‘एक चुप सौ को हराए’, इन मौकों के लिए सही है ये कहावत, जानें कब न बोलें

अपनी दादी-नानी या मम्मी से आपने भी ये कहावत सुनी होगी ‘एक चुप सौ को हराए’. ज्यादातर ये लाइन तब कही जाती है जब किसी से झगड़ा हो रहा हो और ये काफी हद तक सही भी होता है. फिलहाल झगड़े के अलावा भी कई मौकों पर चुप रहने में ही भलाई होती है. अक्सर लोगों को लगता है कि वह चुप रहेंगे तो लोग कमजोर समझ लेंगे, इसलिए वह भी तर्क-वितर्क करने में पीछे नहीं रहते हैं, लेकिन इस वजह से कई बार इंसान अपना ही नुकसान करवा बैठता है, इसलिए यह व्यक्ति को ये पता होना बहुत जरूरी है कि किन मौकों पर उसे चुप रहना चाहिए.
कहा जाता है कि बोलने से ज्यादा मुश्किल होता है चुप रहना और जिसने ये कला सीख ली उसकी जिंदगी सुखी रहती है. हालांकि हमेशा नहीं, लेकिन कुछ स्थितियों में जवाब देने की बजाय चुप रहना चुनना चाहिए और यह आपके लिए फायदे का सौदा हो सकता है. तो चलिए जान लेते हैं कि कब-कब नहीं बोलना चाहिए.
जब गुस्सा आए तो रहें चुप
गुस्सा एक ऐसा इमोशन है, जब इंसान सोचने-समझने की स्थिति में नहीं रहता है और इसके चलते कई बार लोग कुछ ऐसा कटु बोल जाते हैं कि वह ऐसे अनमोल रिश्ते या मौके को खो देते हैं, जिसके लिए वह बाद में पछताते रह जाते हैं, इसलिए जब गुस्सा आए तो उस दौरान चुप रहना ही बेहतर होता है.
सामने वाला जब कर रहा हो किसी की बुराई
निंदा यानी बुराई करना सबसे बुरी बात होती है और ये बचपन से पेरेंट्स अपने बच्चों को सिखाते हैं, हालांकि ये अलग बात है कि लोग अपना समय दूसरों की बुराई करने में काफी गुजारते हैं. ऐसे में आपको चाहिए कि जब कोई किसी की बुराई कर रहा है तो उस दौरान बिल्कुल चुप रहना चाहिए. ऐसे में न तो बहस करें और न ही आप उसमें शामिल हों, क्योंकि कई बार लोग सिर्फ किसी की बुराई इसलिए भी कर रहे होते हैं कि वह आपका रिएक्शन जानना चाहते हैं और ऐसे में पर्सनल लाइफ हो या प्रोफेशनल आप मुसीबत में आ सकते हैं.
कोई बहस करना चाहता हो तो चुप रहें
जिस तरह से खुद को गुस्सा आने के दौरान चुप रहना चाहिए, ठीक उसी तरह अगर कोई आपसे बहस करने के मूड में है तो चुपचाप वहां से निकल जाना चाहिए, क्योंकि इससे तीन नुकसान होंगे, एक आप खुद भी स्ट्रेस में आ जाएंगे और दूसरा ये कि कोई करीबी रिश्ता है तो वह टूट सकता है और तीसरा ये कि बहस में सिर्फ समय की बर्बादी होती है और वक्त बहुत कीमती होता है. उसे किसी से बहस करके गंवाना नहीं चाहिए.
किसी चीज के बारे में जब जानकारी न हो
अगर किसी मुद्दे को लेकर आपके पास अधूरी जानकारी हो या फिर जानकारी न हो तो ऐसे में चुप रहना ही बेहतर होता है, क्योंकि बना जानकारी के आप सिर्फ कुतर्क कर सकते हैं, जिससे बहस को बढ़ावा मिलता है और अंत में खुद की इंसल्ट हो सकती है. हां अगर किसी विषय पर जानकारी न हो तो उस बारे में बात करने की बजाय विनम्रता से पूछना आपकी नॉलेज को बढ़ाता है.
दो लोग कर रहे हैं जब बात
कई बार लोग बिना सोचे-समझे किसी भी बात के बीच में कूद पड़ते हैं. ये आदत न सिर्फ आपके सम्मान को कम कर सकती हैं, बल्कि शायद कोई ऐसे शब्द भी आपसे बोल सकता है, जो आपके दिल को ठेस पहुंचा सकते हैं, इसलिए जब कोई भी दो लोग आपस में बात रहे हो और खासतौर पर किसी गंभीर मुद्दे पर….ऐसे में आपका कोई रोल न हो तो चुप रहना ही बेहतर होता है.

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