एग्जाम से लेकर कोर्ट के ‘सुप्रीम फैसले’ तक… NEET पेपर मामले की टाइमलाइन
सुप्रीम कोर्ट ने नीट-यूजी-2024 पेपर लीक मामले में अपना फैसला सुना दिया है. परीक्षा को रद्द करने और दोबारा परीक्षा कराने की मांग वाली याचिकाओं को खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा है कि दोबारा परीक्षा कराने की जरूरत नहीं है. परीक्षा में धांधली के पर्याप्त सबूत नहीं मिले हैं. आइए जानते हैं कि परीक्षा होने से लेकर फैसला आने तक इस मामले में कब क्या हुआ?
9 फरवरी को एनटीए ने परीक्षा के लिए ऑनलाइन एप्लीकेशन जमा करने के लिए नोटिफिकेशन जारी की.
5 मई को 571 शहरों में 4 हजार 750 केंद्रों पर परीक्षा हुई. इसमें 14 शहर विदेश के भी थे. इसमें करीब 24 लाख छात्र शामिल हुए थे.
4 जून को परीक्षा का रिजल्ट आया था. इसमें 67 परीक्षार्थियों के 100 फीसदी नंबर आए.
11 जून को सुप्रीम कोर्ट ने ने कथित पेपर लीक और अन्य अनियमितताओं के आधार पर दोबारा परीक्षा कराने की मांग वाली याचिका पर केंद्र सरकार और एनटीए से जवाब मांगा.
13 जून को केंद्र ने कोर्ट को बताया कि उसने परीक्षा देने वाले 1 हजार 563 परीक्षार्थियों को दिए गए ग्रेस मार्क्स रद्द कर दिए हैं. इन छात्रों के पास दोबारा परीक्षा देने का विकल्प होगा या दिए गए ग्रेस मार्क्स रद्द करने का.
14 जून को कोर्ट ने पेपर लीक और अन्य अनियमितताओं के आरोपों की सीबीआई जांच की मांग वाली याचिका पर केंद्र और एनटीए से जवाब मांगा.
18 जून को कोर्ट ने कहा, अगर परीक्षा में 0.001 प्रतिशत भी लापरवाही हुई हो तो उससे निपटा जाना चाहिए.
23 जून को शिक्षा विभाग की ओर से बताया गया कि ग्रेस मार्क्स पाने वाले परीक्षार्थियों में से 813 ने दोबारा परीक्षा दी है.
1 जुलाई को एनटीए ने संशोधित परिणाम घोषित किए. इसके बाद परीक्षा में शीर्ष रैंक हासिल करने वाले उम्मीदवारों की संख्या 67 से घटकर 61 हो गई.
5 जुलाई को सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि परीक्षा को रद्द करने से लाखों ईमानदार परीक्षार्थियों का भविष्य खतरे में पड़ जाएगा. बड़े पैमाने पर गोपनीयता के उल्लंघन के सबूत के अभाव में ऐसा करना सही नहीं होगा.
10 जुलाई को सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि बड़े पैमाने पर अनियमितता का कोई संकेत नहीं मिला है. न ही इससे परीक्षार्थियों के स्थानीय समूह को लाभ मिला है.
18 जुलाई को कोर्ट ने ने एनटीए को निर्देश दिया कि 20 जुलाई दोपहर 12 बजे तक परीक्षा के सेंटर और सिटी वाइज रिजल्ट जारी करे. ऐसा करते हुए अभ्यर्थियों की पहचान उजागर न की जाए.
22 जुलाई को कोर्ट ने आईआईटी-दिल्ली को विशेषज्ञों की एक टीम गठित करने के लिए कहा. इस टीम को परीक्षा में पूछे गए भौतिकी के एक प्रश्न का सही उत्तर बताना था. साथ ही कहा कि अपनी रिपोर्ट 23 जुलाई को पेश करें.
23 जुलाई को कोर्ट ने सुनवाई की. इसमें सभी पक्षों को सुना. आईआईटी दिल्ली, सीबीआई की रिपोर्ट भी देखी. इसके साथ ही अन्य पहलुओं पर गौर किया. इसके बाद परीक्षा को रद्द करने या दोबारा कराने से इनकार किया.