एम्स भुवनेश्वर के डॉक्टरों का कमाल, सर्जरी कर सिर से निकाला 7 किलो का ट्यूमर
मेडिकल साइंस के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि एम्स भुवनेश्वर में देखने को मिली है. यहां एक दुर्लभ ट्यूमर को हटाने के लिए एक सफल ऑपरेशन किया गया. इस सर्जरी के बाद पश्चिम बंगाल के एक 51 वर्षीय व्यक्ति को नया जीवन मिला है. यह प्रक्रिया, भारत में अपनी तरह की केवल दूसरी प्रक्रिया है ,जिसमें 7 किलोग्राम के सिनोवियल सारकोमा ट्यूमर को सर्जरी करके हटाया गया. मरीज का नाम रविन्द्र बिशुई है जो करीब दो दशकों से खोपड़ी में सूजन की परेशानी से जूझ रहे थे. रविंद्र ने कई अस्पतालों में इलाज कराया, लेकिन उनका ट्यूमर बढ़ रहा था और सही ट्रीटमेंट नहीं हो पा रहा था. फिर वह इलाज के लिए एम्स भुवनेश्वर गए.
एम्स भुवनेश्वर में जांच के बाद बर्न और प्लास्टिक सर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ. संजय कुमार गिरि के नेतृत्व में एक टीम बनी. इसमें इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी, सर्जिकल ऑन्कोलॉजी, न्यूरोसर्जरी, प्लास्टिक सर्जरी, एनेस्थिसियोलॉजी और पैथोलॉजी के विशेषज्ञों को शामिल किया गया. टीम ने मरीज की सर्जरी करने की योजना तैयार की.
कई घंटों तक चली ट्यूमर की सर्जरी
सीरियस प्रोसेस दिमाग की नसों के सटीक एम्बोलिज़ेशन के साथ शुरू हुई जिसके बाद डॉ. रबी नारायण साहू (न्यूरोसर्जरी) और डॉ. कनव गुप्ता, डॉ. अनिल कुमार, डॉ. फणींद्र कुमार स्वैन (सर्जिकल ऑन्कोलॉजी), और डॉ. दिनेश के नेतृत्व में सर्जिकल प्रोसेस हुआ. इसमें डॉ. संजय के. गिरि, डॉ. सांतनु सुब्बा, डॉ. आर.के. साहू, डॉ. अपर्णा कानूनगो (प्लास्टिक सर्जरी), साथ में डॉ. गोपिका जिथ, डॉ. आकांक्षा राजपूत और डॉ. अहाना भी शामिल थे. ये सर्जरी करीब 7 घंटे तक चली और इसे करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य था.
सर्जरी के बाद भी सेफ्टी का रखा गया ध्यान
इसमें इंट्राऑपरेटिव ब्लड लॉस समेत कई यूनिट ब्लड की जरूरत थी. हालांकि डॉ. अपराजिता पांडा के नेतृत्व वाली सतर्क एनेस्थीसिया टीम और नर्सिंग टीम ने पूरी प्रक्रिया के दौरान मरीज की सेफ्टी का पूरा ध्यान रखा. सफल सर्जरी के बाद रवीन्द्र बिशुई को रिकवरी के लिए वार्ड में ट्रांसफर करने से पहले 24 घंटे तक गहन देखभाल की गई.
सर्जिकल टीमों के प्रयासों के बाद न केवल एक दुर्लभ ट्यूमर का सफल उपचार हुआ. बल्कि जटिल चिकित्सा मामलों को संबोधित करते हुए इस सर्जरी के बारे में डिटेल में भी बताया गया.