एयर इंडिया के विमान में आखिर क्या हुआ था? जानिए कैसे कराई जाती है सेफ लैंडिंग

तमिलनाडु के त्रिची एयरपोर्ट पर शुक्रवार शाम उस समय अफरा-तफरी मच गई जब रनवे से उड़ान भरने के बाद एक विमान के लैंडिंग गियर में खराबी आ गई. लैंडिंग गियर में तकनीकी खराबी की वजह से उसके पहिए अंदर नहीं जा सके. विमान में 141 यात्री सवार थे. विमान करीब शाम 5.30 बजे एयरपोर्ट से उड़ान भरा था. करीब दो घंटे बाद उसी एयरपोर्ट पर विमान की सेफ लैंडिंग हुई.
अब सवाल उठता है कि आखिर लैंडिंग गियर का काम क्या होता है और विमान की लैंडिंग के लिए इसका ठीक से काम करना कितना जरूरी होता है? तो बताते चले कि लैंडिंग गियर पर ही विमान का पूरा दारोमदार होता है. जब विमान टेक ऑफ करता है तो लैंडिंग गियर अंदर चले जाते हैं ताकि फ्लाइट के उड़ान भरने में किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत न आए.
विमान में क्या हुआ था?
ठीक इसी तरह से जब लैंडिंग की बारी आती है तो लैंडिंग गियर बाहर आ जाते हैं. विमान के टायर इसी में फिट होते हैं. इसलिए विमान के टेक ऑफ और लैंडिंग का पूरा जिम्मा इसी के कंधों पर होता है. त्रिची से उड़ान भरने वाले IX 613 विमान के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ.
माना जा रहा है कि टेक ऑफ करने के बाद विमान के लैंडिंग गियर में तकनीकी खराबी आ गई जिसकी वजह से वो हवा में ही लटकता रहा. कभी-कभी ऐसा भी होता है कि विमान के उतरने से पहले भी उसके लैंडिंग गियर में खराबी आ जाती है जिसकी वजह से पहिए बाहर नहीं निकल पाते हैं.
क्या होते हैं सुरक्षित लैंडिंग के उपाय?
अगर किसी विमान के लैंडिंग गियर में खराबी आई है तो उसका एकमात्र उपाय इमरजेंसी लैंडिंग ही है, लेकिन इस दौरान कई तरह की सावधानियां बरती जाती हैं. इसमें फ्यूल को हवा में छोड़ देना या फिर एक तय सीमा तक विमान को हवा में उड़ाकर उसके फ्यूल को खत्म करना पड़ता है. इसके साथ-साथ यात्रियों की सुरक्षा को लेकर भी विमान के भीतर कई तरह के कदम उठाए जाते हैं. इसमें यात्रियों को सीट बेल्ट पहनकर रखने की चेतावनी दी जाती है.
विमान के फ्यूल को कम करना
विमान के फ्यूल को खत्म करने के पीछे वजह ये है कि जब विमान की इमरजेंसी लैंडिंग हो तो उस समय आग लगने के खतरे को कम किया जा सके. क्योंकि लैंडिंग गियर में दिक्कत होने की स्थिति में कभी-कभी विमान की बेली लैंडिंग कराई जाती है. इसमें विमान के पेट यानी बेली को रनवे पर घसीट कर उतारा जाता है. बेली लैंडिंग में विमान में आग लगने की संभावना ज्यादा रहती है.
कम हो जाती है आग लगने की संभावना
इसलिए त्रिची में विमान में आई दिक्कतों के बाद पहले दो घंटे से अधिक समय तक उसे हवा में उड़ाकर फ्यूल को एक लेवल तक लाया गया जिससे की विमान में आग लगने की संभावना न के बराबर हो. क्योंकि लैंडिंग के वक्त कई और भी तरह की समस्याएं पैदा हो सकती हैं. कभी-कभी ऐसा भी होता है कि लैंडिंग गियर में खराबी की वजह से जब विमान लैंड करता है तो रवने पर घसीटने की वजह से चिंगारी पैदा होती है जिससे आग लगने की संभावना ज्यादा रहती है.

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