ऐसे फर्श से अर्श पर पहुंची अनिल अंबानी की रिलायंस पावर, बन गई 16000 करोड़ की कंपनी
सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में मुकेश अंबानी और उनके परिवार की चर्चा बीते कुछ महीनों में काफी हुई है. कभी उनके बेटे अनंत की शादी को लेकर तो अभी पेरिस ओलंपिक में होने को लेकर. पिछले महीने एजीएम में भी जिस तरह की घोषणाएं मुकेश अंबानी और उनके बच्चों ने की. काफी दिनों तक चर्चा जारी रही. वहीं दूसरी ओर उनके छोटे भाई अनिल अंबानी की चर्चा जब भी हुई नेगेटिव कारणों से ही हुई. कभी रिलायंस कैपिटल का बिक जाना. कभी सेबी का अनिल अंबानी पर 6 साल का बैन लगाना आदि. लेकिन आज की चर्चा अनिल अंबानी के उन सकारात्मक पहलुओं पर करना काफी जरूरी है, जो उन्हें एक बार फिर से कारोबारी जगत में फिर खड़ा करने की कोशिश कर रही हैं.
जी हां, साल 2020 में अपने आपको ब्रिटेन की कोर्ट दिवालिया घोषित करने वाले अनिल अंबानी को हम साल 2008 में दुनिया के 6वें सबसे अमीर आदमी के रूप में भी जानते हैं. अनिल अंबानी का सफर काफी उतार चढ़ाव वाला भी रहा है. हजारों करोड़ रुपए का कर्ज और उस पर देनदारों का प्रेशर ऐसा था कि एक समय वो जेल तक जाते—जाते बचे. अब परिस्थितियों में काफी बदलाव देखने को मिला है. सबसे बड़ा बदलाव तो रिलायंस पॉवर के रूप में दिखा. जो मौजूदा समय में कर्जमुक्त ही नहीं हो गई है, बल्कि अनिल अंबानी और निवेशकों को मालामाल भी कर रही है. रिलायंस पॉवर बीते एक साल में 6 हजार करोड़ रुपए की कंपनी से बढ़कर आज 16 हजार करोड़ रुपए की कंपनी बन चुकी है. आइए जरा समझने की कोशिश करते हैं कि जो कंपनी पूरी तरह जमीन पर आ चुकी थी, वो फर्श से अर्श पर कैसे पहुंची?
कैसे कर्ज मुक्त हुई रिलायंस पॉवर?
रिलायंस पावर के कर्जमुक्त की कहानी पिछले साल दिसंबर 2023 से शुरू हुई और मार्च महीने तक कंपनी की ओर 1023 करोड़ रुपए के कर्ज को चुकाने की खबर आई. उसके बाद अगस्त में खबर आई थी उन्होंने बैंकों का 800 करोड़ रुपए का बकाया भी चुका दिया है. जिसके बाद पता चला कि रिलायंस पॉवर स्टैंडअलोन रूप से कर्ज मुक्त कंपनी हो गई है. वहीं पिछले हफ्ते जानकारी मिली थी कि रिलायंस पॉवर ने 3872 करोड़ रुपए का लोन सेटल किया है. रिलायंस पॉवर ने शेयर बाजार को जानकारी देते हुए कहा है कि इस सेटलमेंट के बाद विदर्भ इंडस्ट्रीज पावर लिमिटेड के कुल बकाया 3872.04 करोड़ रुपये के कर्ज से जुड़े कॉरपोरेट गांरटी, अंडरटेकिंग, सभी तरह के ऑब्लिगेशन और क्लेम से रिलायंस पॉवर को रिलीज और डिस्चार्ज कर दिया गया है. सबसे अहम बात ये है कि अब रिलायंस पॉवर को कर्जमुक्त होने का टैग मिल गया है. अब कंपनी पर बैंक और इंस्टीट्यूशनल इंस्टीट्यूशन्स का कोई कर्ज नहीं है.
शेयरों में आई तेजी
इस टैग के मिलने के बाद रिलायंस पॉवर के शेयरों में काफी अच्छी तेजी आई है. बीते 9 कारोबारी दिनों में रिलायंस पॉवर के शेयरों में 35 फीसदी का इजाफा देखने को मिल चुका है. वहीं बीते 4 कारोबारी दिनों में कंपनी के शेयरों में 5 फीसदी का अपर सर्किट लगा हुआ है. लेकिन शेयरों में तेजी का सिलसिला अभी से शुरू नहीं हुआ. ये पूरा प्रोसेस बीते एक बरस से चल रहा था. आंकड़ों से समझने की कोशिश करते हैं. 26 अक्टूबर 2023 को कंपनी का शेयर 15.53 रुपए के साथ 52 हफ्तों के लो पर चला गया था. उसके बाद दिसंबर के महीने से कंपनी के कर्ज में कमी आनी शुरू हुई. 24 सितंबर 2024 यानी एक साल के बाद कंपनी का शेयर 52 हफ्तों के हाई पर पहुंच गया. मौजूदा समय में कंपनी का शेयर 40.06 रुपए पर है. इसका मतलब है कि कंपनी के शेयर में बीते एक साल में 158 फीसदी की तेजी देखने को मिल चुकी है.
बनी 16 हजार करोड़ की कंपनी
खास बात तो ये है कि कंपनी की वैल्यूएशन 16 हजार करोड़ रुपए को पार कर गया है. बीएसई के आंकड़ों के अनुसार जब कंपनी का शेयर पिछले साल 26 अक्टूबर 2023 15.53 रुपए के 52 हफ्तों के लो पर था तो कंपनी की वैल्यूएशन मात्र 6,238.35 करोड़ रुपए थी. जिसमें तब से अब तक 9,853.64 करोड़ रुपए का इजाफा देखने को मिल चुका है. इसका मतलब है कि कंपनी की वैल्यूएशन मौजूदा समय में 16,091.99 करोड़ रुपए पर आ चुकी है. जानकारों की मानें तो आने वाले दिनों में कंपनी के शेयरों में और इजाफा देखने को मिल सकता है और कंपनी की वैल्यूएशन में बढ़ोतरी होगी.
अब बनाया है ये प्लान
रिलायंस पावर कर्ज मुक्त होने के बाद प्रिफेरेंशियल इश्यू के जरिये 1,524.60 करोड़ रुपये जुटाने के लिए शेयरधारकों की मंजूरी लेगी. डाक मतपत्र नोटिस के अनुसार, कंपनी 33 रुपए प्रति शेयर/वारंट की कीमत पर 46.20 करोड़ शेयर और/या कंपनी के समतुल्य संख्या के शेयर में कंवर्टेबल वारंट के प्रिफेरेंशियल के जरिये 1,524.60 करोड़ रुपए तक जुटाएगी. ई-वोटिंग मंगलवार को शुरू हुई और 23 अक्टूबर तक जारी रहेगी. डाक मतपत्र का परिणाम शुक्रवार (25 अक्टूबर 2024) को या उससे पहले घोषित किए जाएंगे.
रिलायंस पावर लिमिटेड के निदेशक मंडल ने सोमवार को प्रिफेरेंशियल इश्यू के जरिये 1,525 करोड़ रुपये जुटाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी. इसके तहत प्रमोटर कंपनी के कारोबार को आगे बढ़ाने के लिए इसमें 600 करोड़ रुपये डालेंगे. प्रिफेरेंशियल इश्यू से कंपनी की नेटवर्थ (शुद्ध मूल्य) करीब 11,155 करोड़ रुपए से बढ़कर 12,680 करोड़ रुपये से अधिक हो जाएगी. यह प्रस्ताव अनिल अंबानी के ग्रुप की एक अन्य कंपनी रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर द्वारा 6,000 करोड़ रुपए जुटाने के प्रस्ताव को मंजूरी दिए जाने के कुछ दिन बाद आया है.
दुनिया 6वां अमीर आदमी फिर हुआ दिवालिया
ये अपने आप में काफी अनोखी घटना है. साल 2008 में अनिल अंबानी की कुल नेटवर्थ 42 अरब डॉलर थी और वो दुनिया के 6वें सबसे अमीर कारोबारी थे. खास बात तो ये है कि मुकेश अंबानी टॉप 10 की लिस्ट में नहीं थे. अगले 12 साल में परिस्थितियां पूरी तरह के विपरीत हो गईं. साल 2020 तक आते-आते अनिल अंबानी की कंपनियों पर हजारों करोड़ रुपए का कर्जा हो गया. कई कंपनियां डूब गई. उनकी टेलीकॉम कंपनी रिलायंस कंयूनिकेशंस इनसॉल्वेंसी प्रॉसीडिंग में चली गई. साल 2020 तक बिटिश कोर्ट में एक केस के दौरान उन्हें अपने आपको दिवालिया तक घोषित करना पड़ा था. इस घटना ने सिर्फ भारतीयों को ही नहीं बल्कि दुनिया के कारोबारी जगत को हिलाकर रख दिया था. करीब 4 से 5 साल के बाद एक बार फिर से अनिल अंबानी अपने पैरों पर खड़ा होने का प्रयास कर रहे हैं. जिसमें उनके बेटें बाखूबी साथ निभा रहे हैं.