कन्फ्यूजन या नियम…55 किलो वाली विनेश फोगाट 50 किलो वर्ग में खेलने को क्यों मजबूर हुईं?

पेरिस ओलंपिक में भारत की स्टार रेसलर विनेश फोगाट मेडल से चूक गईं. वह 50 किलोग्राम वर्ग के फाइनल में पहुंच गई थीं, लेकिन मुकाबले से पहले उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया. विनेश का वजन 100 ग्राम ज्यादा पाया गया. विनेश फोगाट की गिनती दुनिया के अच्छे पहलवानों में होती है. उनके नाम कई मेडल हैं. वह 50 किलोग्राम और 53 किलोग्राम वर्ग में ही लड़ती आई हैं और क्या पता नियम को लेकर स्पष्टता होती तो वह पेरिस ओलंपिक में भी 53 किलोग्राम वर्ग में हिस्सा लेतीं. ये सवाल इस साल मार्च में विनेश के दिए बयान के बाद उठ रहे हैं.
विनेश ने पेरिस ओलंपिक के लिए 50 किलोग्राम वर्ग का ट्रायल जीता था. वहीं उन्होंने 53 किलोग्राम वर्ग के टॉप-4 में जगह बनाई थी. नियमों की अपारदर्शिता के कारण उन्होंने दो श्रेणियों के लिए ट्रायल दिया था. उन्हें यह स्पष्ट नहीं था कि वह किस श्रेणी का हिस्सा बन सकती हैं और इस तरह ओलंपिक में उनकी भागीदारी उनके हाथों में रही. ये पूरी कहानी इस साल 12 मार्च की है.
रियो ओलंपिक में किस किलोग्राम में लिया था हिस्सा?
विनेश फोगाट ने 2016 के रियो ओलंपिक में 48 किलोग्राम वर्ग में हिस्सा लिया था. ये उनका पहला ओलंपिक था. 2018 में उन्होंने 50 किलोग्राम भार वर्ग में एशियाई खेलों का स्वर्ण पदक जीता, लेकिन ठीक एक साल बाद उन्होंने 2019 विश्व चैंपियनशिप में 53 किलोग्राम वर्ग में कांस्य पदक जीता. इस बदलाव का कारण वजन में कटौती थी, जिससे वह जूझ रही थीं.
बार-बार वजन कम करने के संघर्ष से बचने के लिए विनेश फोगाट ने एशियाई खेलों के बाद 53 किलोग्राम वर्ग का पहलवान बनने का फैसला किया. उन्होंने 2022 विश्व चैंपियनशिप में 53 किग्रा में कांस्य पदक जीता. लेकिन पूर्व डब्ल्यूएफआई प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ मोर्चा खोलने के बाद और चोट के कारण उनकी वापसी रोक दी गई थी.
अंतिम पंघाल से टक्कर
जैसा कि हमने बताया कि एशियन गेम्स के बाद फोगाट ने 53 किलोग्राम वर्ग में लड़ने का फैसला लिया था. उस दौरान अंतिम पंघाल ने 2023 के वर्ल्ड चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज मेडल जीता था, जिसके बाद भारत का पेरिस ओलंपिक के लिए 53 किलोग्राम वर्ग में खेलने का रास्ता साफ हुआ था. भारतीय कुश्ती महासंघ के पूर्व के नियमों ने अंतिम पंघाल को पेरिस ओलंपिक के लिए हरी झंडी दे दी थी.
इसके बाद फोगाट असमंजस में थीं, क्योंकि उस समय देश में कुश्ती का संचालन एडहॉक कमेटी कर रही थी. समिति ने वादा किया था 53 किलोग्राम वर्ग के लिए ट्रायल होगा. लेकिन रेसिलंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के चुनाव और संजय सिंह के अध्यक्ष बनने के बाद एडहॉक कमेटी का फैसला उससे छीन लिया गया.
विनेश फोगाट का मानना था कि रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया उन्हें 53 किलोग्राम वर्ग में हिस्सा लेने की गारंटी नहीं देगा. ऐसा होने पर फोगाट 50 किलोग्राम या 57 किलोग्राम में हिस्सा ले सकती थीं. विनेश ने 50 किलोग्राम वर्ग का चुनाव किया. ये वो वर्ग था जिसका हिस्सा फोगाट आखिरी बार साल 2018 में थीं.
फोगाट ने क्या कहा था?
29 वर्षीय फोगाट ने तब कहा था कि मुझे 53 किग्रा कोटा की स्थिति के बारे में कोई स्पष्टता नहीं थी कि ट्रायल होंगे या नहीं. आमतौर पर कोटा देश द्वारा जीता जाता है लेकिन उन्होंने पहले ट्रायल नहीं किए थे. एडहॉक कमेटी ने कहा कि इस बार ऐसा नहीं होगा. मेरे पास ऐसा करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था, क्योंकि मुझे ओलंपिक में भाग लेना है. उन्होंने पुष्टि करते हुए कहा था कि 50 किलोग्राम वर्ग में भाग लेने का निर्णय यह सुनिश्चित करने के लिए था कि उनका पेरिस ओलंपिक में खेलने का सपना बना रहे.
फोगाट का वजन आमतौर पर 55-56 किलोग्राम के आसपास होता है. इसे कई दिनों तक 50 किलोग्राम तक रखने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है. इसीलिए यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग के अध्यक्ष नेनाद लालोविक ने कहा कि यह एक किलो का मामला नहीं था, बल्कि ‘100 ग्राम’ के आंकड़े तक पहुंचने के लिए उन्हें बड़ी मात्रा में कटौती करनी पड़ी, जिसके कारण समस्या पैदा हुई.

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