कब थमेगा माधबी पुरी बुच से जुड़ा विवाद? अब SEBI ने किया RTI का जवाब देने से भी इनकार
हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में एक के बाद एक मार्केट रेग्युलेटर सेबी की प्रमुख माधबी पुरी बुच की भूमिका को लेकर सवाल उठाए गए, इसके बाद उनके नाम पर जारी विवाद थमने का नाम ही नहीं ले रहा है. मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस भी लगातार माधबी पुरी बुच की नियुक्ति से लेकर उनके कामकाज के तरीके और ‘हितों के टकराव’ को लेकर निशाना साध रहा है. ऐसे में अब सूचना के अधिकार (RTI) के तहत उन्हें लेकर सेबी से कुछ सवाल पूछे गए, जिनका जवाब देने से सेबी ने इनकार कर दिया है.
सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून के तहत सेबी से पूछा गया था कि माधबी पुरी बुच ने सरकार और सेबी बोर्ड को अपनी संपत्ति को लेकर जो जानकारियां उपलब्ध कराई हैं, उनकी जानकारी दी जाए. साथ ही सेबी चेयरपर्सन के हितों के संभावित टकराव से जुड़े मामलों से खुद को अलग करने के बारे में भी जानकारी दी जाए.
सेबी ने इस वजह से किया जवाब देने से इनकार
आरटीआई एक्टिविस्ट लोकेश बत्रा की इस एप्लीकेशन को लेकर सेबी ने कहा कि माधबी पुरी बुच के हितों के संभावित टकराव संबंधी मामलों से खुद को अलग करने को लेकर वह ‘फिलहाल’ कोई जानकारी नहीं दे सकता है. इतना ही नहीं इस जानकारी को जुटाने के लिए उसे ‘फिजूल खर्च’ करना होगा.
वहीं माधबी पुरी बुच की संपत्ति से जुड़े सवाल पर सेबी की ओर से कहा गया है कि माधबी पुरी बुच ने अपनी और अपने परिजनों की संपत्ति और इक्विटी इत्यादि को लेकर जो जानकारी सरकार और सेबी बोर्ड को दी है, उनकी कॉपी नहीं दी जा सकती है, क्योंकि ये ब्योरे उनकी ‘व्यक्तिगत जानकारी’ के तहत आते हैं और इसके खुलासे से उनकी सुरक्षा ‘खतरे में’ पड़ सकती है. सेबी ने उन तारीखों की जानकारी देने से भी मना कर दिया जब सेबी चीफ ने इनका ब्योरा सरकार और बोर्ड को सौंपा था.
आरटीआई के जवाब में सेबी ने इस जानकारी को आरटीआई कानून-2005 की धारा 8(1)(जी) और 8(1)(जे) के तहत छूट का हकदार बताया. वहीं माधबी पुरी बुच ने अपने कार्यकाल में हितों के संभावित टकराव के कारण जिन मामलों में खुद को अलग कर लिया है, उनके बारे में सूचना नहीं देने के लिए आरटीआई अधिनियम की धारा 7(9) का हवाला दिया है.
सेबी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में किया था दावा
सेबी ने हाल में प्रेस को एक बयान जारी कर कहा था कि सेबी चेयरपर्सन ने हितों के संभावित टकराव वाले मामलों से खुद को अलग कर लिया है.शेयर होल्डिंग और उनके ट्रांसफर के संदर्भ में सेबी प्रमुख ने समय-समय पर जरूरी खुलासे किए हैं.
सेबी चीफ माधबी पुरी बुच से जुड़े विवादों की शुरुआत हिंडनबर्ग रिसर्च की एक रिपोर्ट से हुई थी. उसने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि अडानी समूह के खिलाफ कार्रवाई करने में सेबी की अनिच्छा शायद इसलिए है क्योंकि माधबी पुरी बुच के पास समूह से जुड़े विदेशी फंड में हिस्सेदारी थी. हिंडनबर्ग ने कहा था कि माधबी और उनके पति धवल बुच ने एक विदेशी फंड में निवेश किया था, जिसका कथित तौर पर इस्तेमाल विनोद अडनी कर रहे थे. इसने निजी इक्विटी कंपनी ब्लैकस्टोन के साथ धवल के जुड़ाव पर भी सवाल उठाए थे.