कभी नौकरी के लिए दर-दर भटकने वाले गोविंदा ने अपने भाई से कहा: चलो पप्पू 100 ट्रक खरीद लेते हैं!
गोविंदा के पिता अरुण कुमार अहूजा ने कई फिल्मों में बतौर एक्टर काम किया. फिर वो फिल्में बनाने लगे. पर उनकी फिल्म फ्लॉप हुई और वो सड़क पर आ गए. उन्हें अपना बांद्रा का घर छोड़ना पड़ा. इसके बाद गोविंदा का जन्म हुआ. उन्होंने अपना बचपन किसी आम बच्चे की तरह गुजारा.
एक इंटरव्यू में गोविंदा ने बताया था कि उनकी आम बच्चों के जैसी ही परवरिश हुई है. वो 9 से 5 की नौकरी खोजने जाते थे. वो एक अपनी नौकरी का किस्सा भी सुनाते हैं. जब वो ताज में मैनेजर की नौकरी मांगने गए थे और उन्हें रिजेक्ट कर दिया गया था. इसका कारण था उनकी खराब अंग्रेजी.
“मुझे अंग्रेजी नहीं आती थी”
गोविंदा कहते हैं, “मैं अंग्रेजी नहीं बोल सकता था, इस वजह से मुझे जॉब नहीं मिली. मैं उन लोगों के सामने कुछ बोल नहीं सका. उन्होंने कहा कि ये कॉन्फिडेंट नहीं है. ये बात भी कैसे करेगा? ये नहीं चल पाएगा.” उस वक्त गोविंदा ग्रेजुएशन कर चुके थे. उन्होंने कॉमर्स स्ट्रीम से पढ़ाई की थी. उस वक्त वो ऑफिस-ऑफिस नौकरी के लिए भटकते थे. पर उन्हें कहीं भी नौकरी नहीं मिली थी.
एक ये दौर था जब गोविंदा के पास नौकरी नहीं थी. फिर ऐसा वक्त भी आया, जब उनके पास इतने पैसे थे कि उन्हें पता नहीं था कि खर्च कहां किये जाएं. इस समय तक गोविंदा ठीकठाक फिल्में करने लगे थे. उनके भाई कीर्ति ने एक इंटरव्यू में बताया था, “एक दिन हमने एक रूम में खुद को लॉक किया. सारे पैसे, बैंक के डॉक्यूमेंट्स इकट्ठे किए. हमें नहीं पता था कि इतने पैसों का क्या करें. तब गोविंदा का पहला आइडिया था कि पप्पू चलो 100 ऑटो रिक्शा खरीद लेते हैं.”
“चलो 100 ट्रक खरीद लेते हैं”
कुछ सालों बाद गोविंदा सुपरस्टार बन गए. उनके पास और ज्यादा पैसा आ गया. तब फिर उन लोगों को नहीं पता था कि इस पैसे का क्या किया जाए. तब गोविंदा ने फिर आइडिया दिया, “पप्पू चलो 10 ट्रक खरीद लेते हैं.” इन दोनों बार गोविंदा के भाई ने उन्हें समझाया कि ये हमारे टाइप का काम नहीं है.