कम उम्र में ही बच्चे को सिखा दें ये मैनर्स, पैरेंटिंग कोच ने बताया
बच्चों को भले ही किताबी ज्ञान स्कूल में मिलता हो, लेकिन बेसिक बिहेवियर का मैनर्स वह घर में ही सीखता है और इसमें सबसे अहम भूमिका पेरेंट्स की होती है. कई बार माता-पिता बच्चों पर झल्ला उठते हैं कि उन्हें मैनर्स नहीं है, लेकिन इस पर ध्यान देना जरूरी है कि धीरे-धीरे मैनर्स को आदत में बदलना पड़ता है, इसलिए कम उम्र से ही अगर बच्चों को कुछ छोटी-छोटी बातें सिखा दी जाएं तो बढ़ती उम्र में उनको किसी तरह की परेशानी नहीं होती है और फ्यूचर में एक अच्छा इंसान बनने में मदद मिलती है. वहीं पेरेंट्स को भी किसी के सामने शर्मिंदा नहीं होना पड़ता.
टाइम चाहे जितना भी बदल जाए और पैरेंटिंग का तरीका, लेकिन कुछ ऐसी चीजें होती हैं जो बचपन से ही सिखानी जरूरी होती हैं. तो चलिए जान लेते हैं कि क्या होते हैं वो मैनर्स.
टेबल मैनर्स सिखाना है जरूरी
बच्चों को छोटी उम्र से ही टेबल मैनर्स सिखाने जरूरी होते हैं, जैसे तब तक खाने के लिए वेट कर जब तक कि कोई सर्व कर रहा है. खाने से पहले गोद में रुमाल बिछाना और जब खाना फिनिश हो जाए तो मुंह को साफ करना. इसके बाद जब सभी लोग खाना खा लें तो बिना पूछे टेबल साफ करने में हेल्प करें, जैसे खुद की प्लेट उठाकर किचन में रखने जाना.
किसी की भी चीज बिना पूछे न लें
बच्चे को सिखाने के लिए सबसे बेसिक मैनर्स में से एक होता है कि किसी का भी सामान बिना पूछे न लें, भले ही वो उनके माता-पिता या भाई बहन का कोई सामान हो. अगर किसी चीज की जरूरत हो तो पहले परमिशन लें. यह आदत बच्चे के भविष्य में भी काम आती है.
कुछ कॉमन फ्रेज सिखाना है जरूरी
बच्चे को यह छोटी उम्र से ही सिखा देना चाहिए कि जब कोई बात कर रहा हो तो बीच में सीधे बोलने की बजाय बहुत ही विनम्र तरीके से उन्हें टोके. इसके लिए कुछ फ्रेज जैसे एक्सक्यूज मी, सॉरी मैं आपको बीच में रोक रहा हूं जैसी बातें सिखाएं.
बात करने से पहले परमिशन
बच्चों को यह समझाना जरूरी होता है कि अगर उन्हें कोई सवाल पूछना है या फिर किसी तरह की कोई कन्फ्यूजन हो और अपने से बड़े फिर किसी से भी उसे क्लियर करना हो तो इसके लिए सबसे पहले बात करने की परमिशन लें.
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इस तरह से बच्चे को अगर छोटी-छोटी बातें कम उम्र से ही सिखानी शुरू कर दी जाएं तो यह उनकी आदत में आ जाता है और बढ़ती उम्र में उन्हें किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं रहती है.