कर्नाटक एमएलसी चुनाव: कांग्रेस को विधान परिषद में क्या मिलेगा बहुमत या JDS-BJP कराएंगे इंतजार?

लोकसभा चुनाव अभी खत्म भी नहीं हुए हैं और कर्नाटक में विधान परिषद के चुनाव की सियासी तपिश तेज हो गई है. राज्य की 17 विधान परिषद (MLC) सीटों पर चुनाव होने हैं. इसमें शिक्षक-स्नातक कोटे की 6 सीटों पर 3 जून को चुनाव है. विधायक कोटे वाली 11 एमएलसी सीटों पर 13 जून को वोटिंग है. कांग्रेस विधानसभा के बाद अब विधान परिषद में भी बहुमत हासिल करने की कवायद में है. वहीं, बीजेपी-जेडीएस गठबंधन की अग्निपरीक्षा है. देखना है कि कांग्रेस अपने सियासी मंसूबे में कामयाब होती है या फिर बीजेपी-जेडीयू की दोस्ती रंग लाती है?
कर्नाटक विधान परिषद में कुल 75 सीटें हैं. राज्य में बीजेपी के 32 और कांग्रेस के 29 एमएलसी हैं. जेडीएस के सात और एक निर्दलीय एमएलसी है. पांच सीटें खाली हैं, जो बीजेपी के तेजस्विनी गौड़ा और केपी नंजुंदी, जेडीएस से मारिथिब्बे गौड़ा और कांग्रेस से जगदीश शेट्टार के इस्तीफे से रिक्त हुई हैं. राज्य में विधान परिषद में बहुमत के लिए 38 सदस्यों का आंकड़ा चाहिए, जिसके लिहाज से कांग्रेस 9 सदस्य कम है.
बीजेपी को 3 और जेडीएस को एक सीट मिलनी तय
एमएलसी की शिक्षक-स्नातक कोटे की जिन 6 सीटों पर चुनाव हैं, उन पर कांग्रेस का सामना करने के लिए बीजेपी-जेडीएस संयुक्त रूप से मैदान में उतरी है. कांग्रेस को उच्च सदन में बहुमत हासिल करने के लिए शिक्षक-स्नातक कोटे की सभी छह सीटें जीतनी होंगी. इसके अलावा विधायक कोटे की 11 सीटों पर 13 जून को चुनाव होने हैं, उनके परिणाम लगभग तय हैं.
विधानसभा में विधायकों की संख्या के आधार पर कांग्रेस को सात सीटें, बीजेपी को 3 और जेडीएस को एक सीट मिलनी तय हैं. इस तरह मुख्य चुनाव शिक्षक-स्नातक कोटे की छह सीटों पर है, जिसके नतीजे से ही विधान परिषद में बहुमत का फैसला होगा. स्नातक और शिक्षकों वाली 6 सीटों पर बीजेपी और जेडीएस के बीच गठबंधन है. बीजेपी 5 और जेडीएस 1 सीट पर चुनाव लड़ रही है. कांग्रेस सभी छह सीटों पर किस्मत आजमा रही है.
‘हमारे पास छह सीटें जीतने का अच्छा मौका’
विधान परिषद में सरकार के मुख्य सचेतक सलीम अहमद ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि बताया कि पार्टी सभी छह सीटों पर जीत की उम्मीद कर रही है, जहां 3 जून को चुनाव होने हैं. उन्होंने दावा किया को लोग कांग्रेस सरकार से खुश हैं. हमारे पास सभी छह सीटें जीतने का अच्छा मौका है. इसके साथ ही जगदीश शेट्टार द्वारा खाली की गई सीट को भरकर हम बहुमत हासिल कर लेंगे.
वहीं, एमएलसी की जिन 11 सीटों पर 13 जून को चुनाव हैं, उसमें से दो सीटें पहले से खाली हैं. वर्तमान में नौ सीटों में से बीजेपी और कांग्रेस के पास चार-चार सीटें हैं जबकि जेडीएस के पास एक सीट है. हालांकि, विधानसभा में संख्याबल के आधार पर चुनाव का परिणाम पहले से तय माना जा रहा है. कांग्रेस को सात, बीजेपी को तीन और जेडीएस को एक सीट मिल सकती है. क्रॉस वोटिंग होती है तो फिर सीटों की संख्या में फेर बदल हो सकता है.
दोनों ही ओर से शुरू हो गया है शह-मात का खेल
कांग्रेस अगर विधानसभा परिषद में 38 सीटें हासिल कर लेती है तो साधारण बहुमत प्राप्त होगा, जिसके चलते एनडीए की संख्या घटकर 35 हो जाएगी. शेट्टार के इस्तीफे के कारण रिक्त हुई एक सीट भी कांग्रेस को भरनी होगी, जिससे उसकी संख्या 39 हो जाएगी. हालांकि, बीजेपी-जेडीएस गठबंधन 3 जून के चुनाव में तीन सीटें जीतता है, तो कांग्रेस को विधान परिषद में बहुमत हासिल करने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ेगा, क्योंकि वह आवश्यक संख्या से कम रह जाएगी. इसके चलते दोनों ही ओर से शह-मात का खेल शुरू हो गया है.
स्नातक और शिक्षक निर्वाचन क्षेत्रों में बीजेपी का हमेशा से दबदबा रहा है. सत्ताधारी पार्टी के रूप में कांग्रेस अधिकांश एमएलसी सीटें जीतने की कोशिश करेगी. कांग्रेस की कोशिश 3 जून को होने वाली 6 सीटों पर कब्जा जमाने का है. हालांकि, कांग्रेस ने अभी 13 जून को होने वाली 11 सीटों के लिए अपने उम्मीदवारों के नाम तय नहीं किए हैं. कांग्रेस से एमएलसी बनने वालों नेताओं की लंबी कतार है. कांग्रेस के तमाम दिग्गज नेता अपने-अपने लिए जुगाड़ लगा रहे हैं. देखना है कि कांग्रेस किन नेताओं को उच्च सदन भेजने का फैसला करती है?

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