कश्मीर पर PAK का साथ देता रहा ये मुस्लिम देश, इस बार भारत को कर दिया खुश!
तुर्की ने अब कश्मीर राग अलापना बंद कर दिया है. कई सालों में पहली बार ऐसा हुआ है जब संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में उसने कश्मीर पर चुप्पी साधे रखी. आम तौर पर तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगन संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने वार्षिक संबोधन में कश्मीर का जिक्र जरूर करते थे लेकिन इस बार उन्होंने ऐसा नहीं किया. कई सालों में पहली बार ऐसा हुआ है.
2019 के बाद ऐसा पहली बार हुआ है कि जब उन्होंने यूएनजीए में कश्मीर राग न अलापा हो. दरअसल, भारत द्वारा अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और क्षेत्र का विशेष दर्जा हटाने के बाद से वे (तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन) संयुक्त राष्ट्र महासभा में जम्मू और कश्मीर में भारत की नीति की लगातार आलोचना करते रहे हैं लेकिन इस बार उन्होंने उन्होंने यूएनजीए में कश्मीर पर चुप्पी साधे रखी.
एर्दोगन ने कश्मीर पर एक शब्द भी नहीं बोला
इस बार उन्होंने कश्मीर पर एक शब्द भी नहीं बोला. एर्दोगन की इस चुप्पी को भारत की कूटनीतिक जीत के तौर पर देखा जा रहा है. न्यूयॉर्क में 79वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने भाषण के दौरान उन्होंने कहा कि हम ब्रिक्स के साथ अपने संबंधों को विकसित करने की चाहत रखते हैं, जो उभरती अर्थव्यवस्थाओं को एक साथ लाता है. उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब तुर्की ब्रिक्स का हिस्सा बनना चाहता है.
पिछले पांच वर्षों में अगर देखें तो एर्दोगन पाकिस्तान के अलावा पहले ऐसे राष्ट्राध्यक्ष थे, जिन्होंने यूएनजीए में कश्मीर का मुद्दा उठाया था.
जानें कब-कब क्या कहा?
सितंबर 2019 में एर्दोगन ने यूएनजीए में कश्मीर पर विवाद के बारे में बात की थी. उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा में कहा था कि दोनों देशों (भारत और पाकिस्तान) को संघर्ष के बजाय बातचीत के माध्यम से इस विवाद का हल करना चाहिए, जिससे कश्मीर के लोगों का भविष्य सुरक्षित और सुनिश्चित हो.
साल 2020 एर्दोगन ने यूएनजीए में कहा था कि कश्मीर समस्या दक्षिण एशिया की शांति की स्थिरता की कुंजी भी है, लेकिन अभी भी इसका समाधान नहीं हो पाया है. कश्मीर के लोगों की अपेक्षाओं के अनुरूप तुर्की संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के ढांचे के भीतर एक समाधान के पक्ष में है.
साल 2021 में एर्दोगन ने कहा था कि 74 से चली आ रही कश्मीर समस्या का समाधान हो, तुर्की इसके पक्ष में है. उन्होंने कहा कि तुर्की ये भी चाहता है कि इस समस्या का हल दोनों पक्षों के बीच बातचीत और संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के अनुरूप हो.
2022 के भाषण में उन्होंने भारत का जिक्र किया था और कहा था कि उन्हें इस बात का अफसोस है कि आजादी के 75 साल बाद भी भारत और पाकिस्तान के बीच शांति और सहयोग अभी तक स्थापित नहीं हो सका है. उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि कश्मीर में न्यायसंगत और स्थायी शांति आएगी.
वहीं, पिछले साल यानी 2023 के भाषण में एर्दोगन ने कहा था कि भारत और पाकिस्तान बातचीत के माध्यम से इस विवाद को सुलझाए. उन्होंने कहा कि कश्मीर में न्यायसंगत और स्थायी शांति की स्थापना दक्षिण एशिया में स्थिरता और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करेगी और तुर्की ऐसा करना जारी रखेगा. इस दिशा में उठाए जाने वाले कदमों का समर्थन करें.
ब्रिक्स में शामिल होना चाहता है तुर्की
तुर्की ब्रिक्स में शामिल होना चाहता है, जिसके संस्थापक सदस्यों में भारत भी शामिल है. एर्दोगन के अगले महीने रूस के कजान में शिखर सम्मेलन में भाग लेने की उम्मीद है. ब्रिक्स के संस्थापक सदस्यों में पांच देश शामिल हैं- ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका. ब्रिक्स ने पिछले साल समूह का विस्तार करने का फैसला किया था. मिस्र, इथियोपिया, ईरान और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) 1 जनवरी 2024 से इसका सदस्य बन गए. सभी सदस्यों के 22 से 24 अक्टूबर तक रूस के कजान में ब्रिक्स नेताओं के शिखर सम्मेलन में भाग लेने की उम्मीद है.