कश्मीर में आज जहां रैली करेंगे राहुल, वहां के क्या हैं सियासी समीकरण?

जम्मू कश्मीर में धारा 370 के समाप्त के बाद हो रहे विधानसभा चुनाव की जंग को जीतने के लिए शह-मात का खेल शुरू हो गया है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी बुधवार से पार्टी के चुनावी अभियान का आगाज करने जा रहे हैं. इसके लिए राहुल गांधी ने अपने दिग्गज नेताओं के क्षेत्र को चुना है. कांग्रेस के दो प्रदेश पूर्व अध्यक्षों के समर्थन में बनिहाल और अनंतनाग के डूरू विधानसभा सीट पर जनसभा संबोधित कर मिशन-कश्मीर के लिए राजनीतिक इबारत लिखने की स्ट्रैटेजी बनाई है.
राहुल गांधी बुधवार को सबसे पहले रामबन जिले के बनिहाल विधानसभा क्षेत्र के लोगों को संबोधित करेंगे. कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष विकार रसूल वानी चुनावी मैदान में किस्मत आजमा रहे हैं. इसके बाद राहुल गांधी अनंतनाग जिले के डूरू विधानसभा क्षेत्र में जनसभा को संबोधित करेंगे, जहां से पार्टी के महासचिव और पूर्व मंत्री गुलाम अहमद मीर चुनावी मैदान में है. कांग्रेस के दोनों दिग्गज नेताओं की साख दांव पर लगी है, जिसके चलते ही राहुल गांधी को मिशन-कश्मीर का आगाज उनकी सीटों से करना पड़ रहा है.
सियासी समीकरण कैसे हैं?
राहुल गांधी की जम्मू-कश्मीर में अपने दो जनसभाओं के जरिए पहले चरण में होने वाली सीटों के समीकरण को साधने की स्ट्रैटेजी मानी जा रही है. राहुल गांधी की इस रैली के बाद प्रियंका गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और अन्य शीर्ष नेता जम्मू-कश्मीर के सियासी रण में उतरकर पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने का काम करेंगे. ऐसे में सवाल उठता है कि राहुल गांधी जिन दो सीटों से चुनावी अभियान का आगाज करने जा रहे हैं, वहां के सियासी समीकरण कैसे हैं?
बनिहाल सीट का समीकरण
जम्मू-कश्मीर की बनिहाल सीट पर कांग्रेस से विकार रसूल वानी किस्मत आजमा रहे हैं. वह कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में से एक हैं. उन्होंने 2008 और 2014 में कांग्रेस के टिकट पर दो बार विधायक रह चुके हैं. 2022 में कांग्रेस ने उन्हें जम्मू-कश्मीर के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में पार्टी की कमान सौंपी थी. कांग्रेस ने हाल ही में उनकी जगह तारिक हमीद कर्रा को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया है. कांग्रेस और एनसी के बीच भले ही गठबंधन हो, लेकिन विकार रसूल वानी की सीट से उन्हें कड़ी चुनौतियां का सामना करना पड़ रहा.
कांटे की टक्कर
विकार रसूल वानी कांग्रेस के टिकट पर इस बार जीत की हैट्रिक लगाने की उम्मीद में उतरे हैं, लेकिन उन्हें अपने ही गठबंधन के सहयोगी नेशनल के सज्जाद शाहीन व पीडीपी के इम्तियाज शान से बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है. सज्जाद शाहीन नेशनल कॉन्फ्रेंस के वर्तमान में रामबन के जिला अध्यक्ष हैं. उन्होंने 2014 और 2008 में दो बार बनिहाल सीट से चुनाव लड़ा था. हालांकि, दोनों ही मौकों पर उन्हें कांग्रेस के विकार रसूल वानी ने हराया था. इस सीट पर 2008 से पहले निर्दलीय और नेशनल कॉन्फ्रेंस का कब्जा था. कांग्रेस ने 1972 के बाद 2008 में यह सीट जीती थी लेकिन अब एक बार फिर से कांटे का मुकाबला बन गया है.
डूरू सीट का सियासी गणित
राहुल गांधी अनंतनाग जिले के डूरू में कांग्रेस महासचिव गुलाम अहमद मीर के समर्थन में रैली को संबोधित करेंगे. डूरू की रैली से राहुल गांधी ने कश्मीर के दक्षिणी हिस्से को साधने की योजना बनाई है. कांग्रेस के दिग्गज नेता गुलाम अहमद मीर डूरू सीट से चुनावी मैदान में हैं. 2014 चुनाव में पीडीपी के सैयद फारूक अहमद से गुलाम मीर चुनाव हार गए थे. यह नेशनल कॉन्फ्रेंस का मजबूत गढ़ रहा है, लेकिन 2002 और 2008 में गुलाम अहमद मीर कांग्रेस के टिकट पर विधायक चुने गए थे.
पहले एनसी फिर कांग्रेस का राज
नेशनल कॉन्फ्रेंस यहां से 1962 से लेकर 1996 तक लगातार जीत दर्ज करने में कामयाब रही, लेकिन उसके बाद कांग्रेस के गुलाम मीर ने अपनी कर्मभूमि बना दी. 2014 में पीडीपी के सैयद फारूक अहमद से जीत नहीं सके. इस बार गुलाम अहमद मीर ने अपने जीत के लिए डूरू क्षेत्र में राहुल गांधी की रैली का प्लान बनाया है. डूरू विधानसभा सीट पर इस बार कुल 11 उम्मीदवार मैदान में किस्मत आजमा रहे हैं. पीडीपी से लेकर निर्दलीय तक ने ताल ठोक रखी है. ऐसे में गुलाम मीर के सामने दोबारा से अपनी सीट पर कब्जा जमाने की चुनौती है.

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *