कांग्रेस का वो नेता जो लोकसभा स्पीकर बनने के बाद पार्टी से दे दिया था इस्तीफा
18वीं लोकसभा का स्पीकर कौन होगा, इसे लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष में तकरार चल रही है. NDA ने इस पद के लिए राजस्थान के कोटा के सांसद और पूर्व स्पीकर ओम बिरला को उम्मीदवार बनाया है. वहीं इंडिया गठबंधन ने के सुरेश को मैदान में उतारा है. स्पीकर को लेकर मची सियासी जंग के बीच हम आपको एक ऐसे नेता के बारे में बताते हैं, जिसने लोकसभा अध्यक्ष का पद संभालने के बाद कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया था. ये नेता थे नीलम संजीव रेड्डी.
रेड्डी भारत के छठे राष्ट्रपति थे. वह इसी के लिए जाने भी जाते रहे हैं. लेकिन इसके अलावा वह आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे. वह प्रदेश के पहले सीएम थे. वह चौथी लोकसभा के स्पीकर भी थे. 26 मार्च, 1967 को उन्होंने शपथ ली थी. 1969 तक वह इस पद पर थे. हालांकि, पद संभालने के बाद उन्होंने कांग्रेस से औपचारिक रूप से इस्तीफा दे दिया था. ऐसा करने वाले वह पहले और इकलौते नेता हैं. उन्होंने निष्पक्षता को लेकर ये कदम उठाया था.
राष्ट्रपति चुनाव में मिली थी हार
19 जुलाई 1969 को राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के लिए उन्होंने स्पीकर पद से इस्तीफा दे दिया था. यहां उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. कहा जाता है कि नीलम संजीव रेड्डी को उनकी अपनी ही पार्टी यानी कांग्रेस के इंदिरा गांधी गुट ने चुनाव में हरवा दिया था. तब वे राष्ट्रपति पद के कांग्रेस की ओर से अधिकृत उम्मीदवार थे. लेकिन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने वी. वी. गिरि को उम्मीदवार बनवा दिया. प्रधानमंत्री ने सांसदों-विधायकों से अपील की कि वे अपनी अंतरात्मा की आवाज के आधार पर वोट करें.
इसके बाद कुछ वर्षों तक रेड्डी राजनीति से दूर रहे. छठी लोकसभा में उन्होंने फिर वापसी की. 26 मार्च 1977 को उन्हें सर्वसम्मति से लोकसभा का स्पीकर चुना गया. हालांकि इस बार भी वह कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए और राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के कारण उन्हें पद छोड़ना पड़ा. 25 जुलाई, 1977 को वह देश के राष्ट्रपति बने.
सर्वसम्मति से चुनाव हुए पर संतोष व्यक्त करते हुए नव निर्वाचित राष्ट्रपति माननीय रेड्डी ने कहा कि यह खुशी की बात है कि राष्ट्रपति पद को राजनैतिक मतभेदों से ऊपर रखा गया है. इससे मेरे लिए विभिन्न दलों के बीच समानता लाने और उनके साथ समता का व्यवहार करने में आसानी होगी.
नीलम संजीव रेड्डी आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले के एक लघु किसान परिवार में जन्मे थे. सीएम, स्पीकर और राष्ट्रपति के अलावा वह केंद्रीय मंत्री भी रहे. रेड्डी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी थे.
नीलम संजीव रेड्डी
स्पीकर को लेकर नेहरू का क्या कहना था?
भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने कहा था कि एक अध्यक्ष की भूमिका उस सदन की गरिमा और शक्ति का प्रतीक है जिसकी वह अध्यक्षता कर रहा है. वह सदन की गरिमा, सदन की स्वतंत्रता का प्रतिनिधित्व करता है और क्योंकि सदन राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करता है, अध्यक्ष राष्ट्र की स्वतंत्रता का प्रतीक बन जाता है. एक बार जब अध्यक्ष का चुनाव हो जाता है तो उसे सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के लिए काम करना होता है.
रेड्डी उसी प्रतीक के रूप में खड़े थे. एक अध्यक्ष के रूप में रेड्डी न केवल निष्पक्ष दिखे, उन्होंने इसको फॉलो भी किया. उन्होंने सदन की कार्यवाही इतनी कुशलता से संचालित की कि एक भी अवसर ऐसा नहीं आया जब विपक्ष ने सदन से वाकआउट किया हो.