कांवड़ रूट पर नेम प्लेट का आदेश रहेगा या हटेगा, योगी सरकार के फैसले पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
उत्तर प्रदेश में कांवड़ रूट पर ‘नेम प्लेट’ लगाने के फैसले पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई है. याचिका में उत्तर प्रदेश सरकार के फैसले को चुनौती दी गई है. साथ ही सरकार के इस आदेश को रद्द करने की भी मांग की गई है. एनजीओ ‘एसोसिएशन ऑफ प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स’ ने शीर्ष अदालत में यह याचिका दायर की है. जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस एसवीएन भट्टी की बेंच मामले की सुनवाई करेगी.
एनजीओ ‘एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स’ की ओर से दायर इस याचिका में यूपी सरकार, डीजीपी, एसएसपी मुजफ्फरनगर को पक्षकार बनाया गया है. इसके अलावा याचिका में उत्तराखंड सरकार को भी पक्षकार बनाया गया है. उत्तर प्रदेश की तर्ज पर उत्तराखंड में हरिद्वार के एसएसपी ने ऐसे निर्देश जारी किए हैं.
NGO के अलावा इन्होंने भी दायर की है याचिका
NGO के अलावा प्रोफेसर अपूर्वानंद और आकार पटेल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. याचिका में कांवड़ यात्रा रूटों पर दुकानदारों के नाम लिखने के यूपी और उत्तराखंड सरकार के फैसले को चुनौती दी गई है. टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने भी यूपी और उत्तराखंड सरकार के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. हालांकि, इस पूरे मामले में सरकार का कहना है कि कांवड़ यात्रियों की आस्था की पवित्रता बनाए रखने के लिए उसने यह फैसला लिया है.
यूपी में गुरुवार को सुनाया गया था ये फरमान
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने कांवड़ यात्रा को लेकर गुरुवार को बड़ा फरमान सुनाया था. योगी सरकार ने कांवड़ रूट की सभी दुकानों पर नेम प्लेट लगाने का आदेश दिया था. आदेश में कहा गया था कि कांवड़ मार्गों पर खाद्य पदार्थों की दुकानों पर ‘नेमप्लेट’ लगानी होगी. दुकानों पर मालिक का नाम और पता लिखना अनिवार्य होगा. दरअसल, यह फरमान पहले मुजफ्फरनगर के लिए जारी किया था, लेकिन गुरुवार को सीएम योगी ने इसे पूरे प्रदेश के लिए लागू कर दिया. इसके बाद इस फैले पर घमासान मच गया.
विपक्षी के साथ सहयोगी दलों ने भी किया फैसले का विरोध
विपक्षी दल के साथ-साथ सरकार के सहयोगी दलों ने भी इस फैसले पर सवाल उठाया है. जेडीयू, आरएलडी ने योगी सरकार के इस फैसले का विरोध किया है. आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी ने कहा है कि सरकार ने यह फैसला सोच समझकर नहीं लिया है. वहीं, जेडीयू का कहना है कि धर्म और जाति के आधार पर किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं होना चाहिए. ऐसे में कांवड़ रूट पर नेम प्लेट का आदेश रहेगा या हटेगा, सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पर सबकी निगाहें टिकी हैं.