काली मिर्च से लेकर लौंग तक, पेड़ पर लगे हुए ऐसे दिखते हैं मसाले

मसालों का राजा कही जाने वाली काली मिर्च अपने तीखे स्वाद के साथ ही कई न्यूट्रिशनल गुणों से भरपूर होती है. पेड़ पर काली मिर्च फली में नहीं बल्कि गुच्छों में लगती है, जिसे हार्वेस्ट करने के बाद ऑक्सीकृत करके मसाले के रूप में तैयार किया जाता है. (image-pixabay)
जायफल या नटमेग, जिसे चटपटी डिश से लेकर मीठे डेजर्ट तक में फ्लेवर लाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. दरअसल ये खुबानी जैसे दिखने वाले एक फल का बीज होता है. फलों को तोड़कर बीज को अलग कर लिया जाता है और फिर इसे सुखाकर तैयार किया जाता है. (image- pixabay)पूजा से लेकर रसोई के मसाले में इस्तेमाल होने वाली लौंग भी स्वाद और सुगंध में लाजवाब होती है और ये औषधीय गुणों से भरपूर भी होती है. मायर्टेसी परिवार के पेड़ सीडियगियम एरोमेटिकम पर लगने वाली लौंग शाखाओं के सिरे पर कली की तरह गुच्छे में लगती है. (image- pixabay)
जावित्री, मसाले में लाल या हल्के नारंगी रंग की जावित्री और जायफल एक ही पेड़ से मिलते हैं. मिस्टिका के पेड़ पर लगने वाले फल से जब बीज (जायफल) निकाला जाता है तो उस बीज के ऊपर लाल रंग के रेशे लिपटे हुए होते हैं और यही रेशे सूखने के बाद जावित्री बन जाती है. (Image-pixabay-freepik)
भारतीय रसोई में सरसों के तेल का खूब इस्तेमाल किया जाता है तो वहीं अचार से लेकर सब्जी में तड़का लगाने तक मसाले के रूप में भी सरसों का इस्तेमाल होता है. सरसों की खेती तो ज्यादातर लोगों ने होती देखी होगी. पीले फूलों वाले इसके पौधे बेहद खूबसूरत लगते हैं. इन्हीं पौधों पर महीन फलियां लगती हैं जिसमें सरसों के बीज निकलते हैं.
दुनिया के सबसे महंगे मसाले में गिना जाने वाला केसर ठंडी जगहों पर उगाया जाता है. ये एक तरह की वनस्पति होती है. केसर के पौधे काफी छोटे होते हैं, जिन पर लैवेंडर कलर के फूल लगे होते हैं, इन्हीं फूलों के बीच में घास की तरह पतली पत्तियां (पुंकेसर) होती हैं, जिन्हें बहुत ही सावधानी के साथ हार्वेस्ट किया जाता है और सुखाकर मसाले के रूप में तैयार किया जाता है. (image-pixabay)

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