किडनी मरीजों को कब पड़ती है डायलिसिस की जरूरत? एक्सपर्ट्स से जानें

हमारे शरीर में हर अंग का कोई न कोई महत्त्वपूर्ण कार्य है जो शरीर को स्वस्थ और सुचारू रूप से चलाने के लिए बहुत जरूरी है. ऐसे में किडनी भी हमारे शरीर को स्वस्थ रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है. किडनी आपके शरीर में मौजूद रक्त से विषाक्त पदार्थों और अपशिष्ट पदार्थों को फिल्टर करने का काम करती है साथ ही इन अपशिष्ट पदार्थों को शरीर से मूत्र के रूप में निकालने के लिए भी किडनी ही उत्तरदायी है. ऐसे में अगर किडनी काम करना बंद कर दे तो शरीर में विषाक्त और अपशिष्ट पदार्थों की संख्या बढ़ जाएगी जिससे शरीर को नुकसान पहुंचना शुरू हो जाएगा.
क्यों हो रही है किडनी खराब?
आजकल के अनहेल्दी लाइफस्टाइल के चलते लोग किडनी की कई समस्याओं से जुझ रहे हैं. किडनी खराब होने के लिए मधुमेह और हाई ब्लड प्रेशर भी सामान्य रूप से जिम्मेदार है. जिसके चलते किडनी रोग और किडनी फेलियर तक की समस्या देखने में आ रही है. ऐसे में जब किडनी अपना काम करना बंद कर देती है तो डायलिसिस की मदद से खून को साफ किया जाता है और अपशिष्ट पदार्थों को शरीर से बाहर निकाला जाता है.
किडनी फेलियर के लक्षण
किडनी फेलियर होने की स्थिति में मरीज में कुछ लक्षण दिखाई देने शुरू हो जाते हैं जिनसे समझ जाना चाहिए कि किडनी पर बुरा असर हो रहा है इनमें
– पेशाब के समय में बदलाव होना
– बार बार पेशाब आना
– उल्टी और थकान शामिल हैं.
डायलिसिस क्या है?
गुरुग्राम के फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च हॉस्पिटल में नेफ्रोलॉजी विभाग में एचओडी डॉ सलील जैन ने इस बारे में बताया है. डॉ. सलील बताते हैं कि किडनी का प्रमुख काम खून को फिल्टर करके शरीर से गंदगी को बाहर निकालना होता है. लेकिन कुछ लोगों की किडनी फेल हो जाती है. ऐसे में डायलिसिस करना पड़ता है. इसमें शरीर से खून को निकाला जाता है और फिर उस खून को मशीन की मदद से साफ करके वापिस शरीर में डाल दिया जाता है.
डायलिसिस की जरूरत किसे है?
जिन लोगों को किडनी फेलियर या लास्ट स्टेज की किडनी की बीमारी (ईएसआरडी) है, उन मरीजों को डायलिसिस की आवश्यकता पड़ती है. किन्हीं कारणों से चोट लगने और हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और ल्यूपस जैसी स्थितियों से किडनी को नुकसान पहुंच सकता है, जिससे किडनी की बीमारी हो सकती है. ऐसे ही कुछ अन्य लोगों को बिना किसी ज्ञात कारण के किडनी की समस्या हो जाती है. ऐसी स्थिति में किडनी अपने सामान्य कार्य का लगभग 10 से 15 प्रतिशत ही काम कर पाती है. ऐसे में मरीज को जीवित रहने के लिए डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ती है. ट्रांसप्लांट सही डोनर मिलने की स्थिति में ही किया जाता है ऐसे में मरीज के पास सिर्फ और सिर्फ डायलिसिस का विकल्प बचता है.
हर मरीज में डायलिसिस करवाने का समय अंतराल अलग अलग होता है, किसी मामले में इसे रोजाना कराना होता है तो कई मरीजों को 1 या 2 दिन के अंतराल में डायलिसिस करवाना पड़ता हैं. इसमें मशीनों द्वारा शरीर का खून साफ किया जाता है और अपशिष्ट पर्दाथों को खून से अलग किया जाता है.
किडनी को खराब होने से कैसे बचाएं
किडनी को स्वस्थ रखना बेहद जरूरी है इसलिए किडनी को किसी भी तरह के इंफेक्शन और बीमारी से बचाने के लिए
– खूब पानी पीएं- ज्यादा पानी पीने से रक्त से अपशिष्ट पदार्थ साफ होते हैं और विषाक्त पदार्थ मूत्र के रास्ते बाहर निकल जाते हैं. साथ ही ज्यादा पानी पीने से यूटीआई संबंधी इंफेक्शन्स का खतरा भी कम रहता है.
– पैनकिलर दवाएं न खाएं- ज्यादा पैनकिलर दवाईयां लेने से किडनी और लिवर पर बुरा असर पड़ता है इसलिए जब जरूरत हो तभी दवाईयां खाएं और बिना डॉक्टर की सलाह के कोई दवाई न लें.
– हेल्दी खाना खाएं- किडनी को स्वस्थ रखना है तो हेल्दी खाना खाएं और जितना हो सके बाहर का जंक फूड न खाएं, इससे सेहत को नुकसान पहुंचता है.
– स्मोकिंग न करें- स्मोकिंग से भी किडनी की सेहत पर बुरा असर पड़ता है इसलिए स्मोकिंग न करें साथ ही शराब आदि का सेवन भी न करें.
– रोजाना वॉक करें- अगर आप अपनी किडनी को स्वस्थ रखना चाहते हैं तो रोजाना आधे घंटे की ब्रिस्क वॉक करें और योगा-मेडिटेशन भी करें.
– स्ट्रेस न लें- किडनी को स्वस्थ रखने में स्ट्रेस मैनेज करना भी उतना जरूरी है इसलिए स्ट्रेस न लें और योगा और मेडिटेशन से स्ट्रेस को मैंनटेन करें.

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