किसान संगठनों ने बदली स्ट्रैटजी, राहुल गांधी से मदद की गुहार, सभी विपक्षी सांसदों को लिखी चिट्ठी, BJP से किया किनारा
लंबे समय से एमएसपी लागू किए जाने समेत कई मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे किसानों ने अब अपनी स्ट्रैटजी बदल दी है. किसान संगठन अब तक अपने आंदोलन और मांगों को पूरा कराने के लिए राजनीतिक दलों की मदद लेने से बचते रहे हैं, लेकिन अब किसानों ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को छोड़ सभी राजनीतिक दलों से मदद की गुहार लगाई है.
किसान संगठनों की ओर से लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी से उनकी मांगों पर प्राइवेट मेंबर बिल लाकर उस पर वोटिंग कराने की गुजारिश भी की है. साथ ही इन संगठनों ने विपक्षी दलों के सांसदों के साथ ही एनडीए में शामिल घटक दलों के सांसदों और नेताओं को खत लिखकर मिलने का वक्त मांगा है. खास बात यह है कि किसानों ने बीजेपी के 240 सांसदों में से किसी को भी यह खत नहीं लिखा है.
राहुल गांधी से की ये सिफारिश
इन किसान संगठनों ने लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी से गुजारिश की है कि वो उनकी मांगों पर प्राइवेट मेंबर बिल पेश करें और फिर उस पर वोटिंग भी करवा लें. इसके जरिये कौन सा दल और कौन सांसद किसानों की मांगों के साथ है और कौन विरोध में है, ये तस्वीर भी सबके सामने आ जाएगी.
किसान संगठन की इसके जरिए एनडीए गठबंधन में फूट डालने की कोशिश भी मानी जा रही है. साथ ही वे लोग बीजेपी को अलग-थलग करके उस पर दबाव भी बढ़ाना चाहते हैं. अब किसान एमएसपी की लीगल गारंटी, किसान कर्ज माफी और स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के आधार पर समर्थन मूल्य की मांग को लेकर सत्ताधारी बीजेपी से आर-पार की लड़ाई के मूड में आ गए हैं.
किसान मोर्चा सांसदों से कर रहे मुलाकात
इस बीच संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से कुछ किसानों ने कल मंगलवार को इलाहाबाद से सांसद उज्ज्वल रमण सिंह और कौशांबी के सांसद पुष्पेंद्र सरोज से मुलाकात की और उन्हें C2 प्लस 50 प्रतिशत फॉर्मूले पर सुनिश्चित फसल खरीद और एमएसपी लागू किए जाने समेत अपनी कई मांगों का ज्ञापन सौंपा. एसकेएम के कई सदस्य विपक्षी सांसदों से मिल रहे हैं और उनसे जुड़े मुद्दे संसद में उठाने का अनुरोध कर रहे हैं.
दूसरी ओर, एक अन्य किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कल मंगलवार को ऐलान किया कि किसान अंबाला के करीब शंभू बॉर्डर पर लगाए गए अवरोधकों के हटने पर दिल्ली की ओर कूच करने की कोशिश करेंगे.
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने पिछले दिनों हरियाणा सरकार को शंभू बॉर्डर पर लगाए गए अवरोधकों को प्रायोगिक तौर पर हटाने को कहा था. किसान 13 फरवरी से यहां पर लगातार डेरा डाले हुए हैं. हालांकि हरियाणा सरकार ने हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है.