किसी की तीसरी तो किसी की चौथी पीढ़ी… हरियाणा में कैसे सेट हो रहे सियासी परिवार

हरियाणा विधानसभा चुनाव की सियासी जंग जीतने के लिए राजनीतिक दल अपने-अपने सिपहसालार मैदान में उतर दिए हैं. प्रदेश की सियासत में आधा दर्जन ऐसे राजनीतिक परिवार हैं, जिनके इर्द-गिर्द हरियाणा की राजनीति सिमटी हुई है. सूबे के अलग-अलग क्षेत्रों में लंबे समय से इन्हीं सियासी परिवारों का दबदबा है और यह अपनी पकड़ से किसी भी सूरत में उसे बाहर नहीं जाने देना चाहते हैं. इस बार के विधानसभा चुनाव में राजनीतिक परिवारों में किसी की तीसरी पीढ़ी तो किसी चौथी पीढ़ी चुनाव में किस्मत आजमाने उतरी है?
प्रदेश के चार पूर्व मुख्यमंत्रियों के पोते-पोती चुनावी मैदान में उतरी हैं. इसके अलावा पूर्व मंत्री, सांसद और विधायकों के परिवार के सदस्य भी विधानसभा चुनाव में किस्मत आजमा रहे हैं. चौधरी सर छोटू राम और चौधरी देवीलाल परिवार की चौथी पीढ़ी विधानसभा चुनाव में उतरी है तो पूर्व सीएम भजनलाल, चौधरी बंसीलाल और राव बीरेंद्र सिंह की नहीं राव अभय सिंह, शमशेर सिंह सुरजेवाला और चौधरी तैय्यब हुसैन की तीसरी पीढ़ी भी इस बार चुनाव में उतरी है. इस तरह से हरियाणा के सियासी परिवार के नेताओं के लिए 2024 का चुनाव लॉन्चिंग पैड बन गया है.
सुरजेवाला परिवार की तीसरी पीढ़ी
कांग्रेस ने राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सुरजेवाला के बेटे आदित्य सुरजेवाला को कैथल विधानसभा सीट से प्रत्याशी बनाया है. इस तरह से सुरजेवाला परिवार की तीसरी पीढ़ी ने राजनीति में कदम रख दिया है. रणदीप सुरजेवाला के पिता शमशेर सुरजेवाला हरियाणा के पहले कृषि और सहकारिता मंत्री थे. शमशेर सुरजेवाला 1967 में पहली बार विधायक बने. इसके बाद 1977, 1982, 1991 और 2005 में विधायक और 1993 में सांसद बने. इसके बाद रणदीप सुरजेवाला ने अपने पिता की सियासी विरासत संभाली और 1993 उपचुनाव में विधायक बने.
अब आदित्य सुरजेवाला
रणदीप सुरजेवाला 1996, 2000, 2005, 2009, 2014 और 2019 में छह चुनाव लड़े, जिसमें 1996 और 2005 में पूर्व सीएम ओम प्रकाश चौटाला को चुनाव हराकर ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी. साल 2005 और 2009 में हुड्डा सरकार में मंत्री रहे, लेकिन 2019 में वह चुनाव हार गए. सुरजेवाला राज्यसभा सदस्य हैं और विधानसभा चुनाव के लिए टिकट मांग रहे थे, लेकिन पार्टी ने उन्हें टिकट देने के बजाय उनके बेटे आदित्य सुरजेवाला को प्रत्याशी बनाया है. आदित्य चुनाव जीतने में अगर सफल रहते हैं तो अपने दादा और पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाएंगे.
सियासी में देवीलाल की तीसरी से चौथी पीढ़ी
चौधरी देवीलाल हरियाणा की सियासत में धुरी माने जाते थे, जिन्होंने सीएम से लेकर देश के डिप्टी पीएम तक का सफर तय किया. इस बार देवीलाल परिवार से करीब एक साथ आठ सदस्य चुनावी मैदान में किस्मत आजमा रहे हैं. देवीलाल की सियासी विरासत संभालने वाले पूर्व सीएम ओम प्रकाश चौटाला भले ही चुनाव नहीं लड़ रहे हैं, उनके भाई, बेटे और पोते ने भी चुनावी ताल ठोक रखी है. देवीलाल के बेटे रणजीत चौटाला रानिया सीट से चुनाव लड़ रहे हैं तो ओम प्रकाश चौटाला के राजनीतिक वारिस अभय चौटाला एलनाबाद सीट से किस्मत आजमा रहे हैं. रानिया सीट से रणजीत के खिलाफ ओम प्रकाश चौटाला के पोते और अभय चौटाला के बेटे अर्जुन चौटाला मैदान में उतरे हैं. अर्जुन का यह पहला चुनाव है, जब वह किस्मत चुनावी पिच पर उतरे हैं.
सियासत में चौटाला परिवार
देवीलाल के छोटे बेटे जगदीश चौटाला के पुत्र आदित्य चौटाला डबवाली विधानसभा सीट से इनेलो के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं, जिनका सामना देवीलाल के परपोते दिग्विजय चौटाला से है, जो चुनावी मैदान में उतरे हैं. इसी सीट से अमित सिहाग भी किस्मत आजमा रहे हैं. ओम प्रकाश चौटाला के भतीजे सिहाग हैं तो दिग्विजय चौटाला पोते हैं. यह सीट चौटाला परिवार की परंपरागत सीट रही है. पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला उचाना सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. ओम प्रकाश चौटाला के बेटे अजय चौटाला के बेटे हैं, दुष्यंत चौटाला, ओम प्रकाश चौटाला के भाई प्रताप चौटाला के बेटे रवि चौटाला की पत्नी सुनैना चौटाला फतेहाबाद सीट से चुनाव लड़ रही हैं. इस बार के चुनाव में देवीलाल की चौथी पीढ़ी से दुष्यंत चौटाला, दिग्विजय और अर्जुन चौटाला चुनाव में उतरे हैं.
बंसीलाल की तीसरी पीढ़ी की सियासी एंट्री
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी बंसीलाल की तीसरी पीढ़ी इस बार तोशाम सीट पर आमने-सामने हैं. बंसीलाल के बेटे सुरेंद्र सिंह की पत्नी किरण चौधरी बीजेपी से राज्यसभा सांसद हैं. ऐसे में किरण चौधरी की बेटी श्रुति चौधरी को बीजेपी ने तोशाम सीट से प्रत्याशी बनाया है. कांग्रेस ने इस सीट पर बंसीलाल के दूसरे बेटे रणबीर महेंद्र के बेटे अनिरुद्ध चौधरी को उम्मीदवार बना दिया है. श्रुति पहले सांसद रह चुकी हैं जबकि अनिरुद्ध पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं. इस तरह तोशाम सीट पर भाई बनाम बहन के बीच मुकाबला हो रहा है. श्रुति पूर्व सीएम बंसीलाल की पोती हैं तो अनिरुद्ध पोते हैं. इसे बंसीलाल की सियासी विरासत की फाइट भी कहा जा रहा है.
भजनलाल की दूसरी और तीसरी पीढ़ी
हरियाणा की सियासत के तीसरे लाल भजनलाल है, जो मुख्यमंत्री रह चुके हैं. चौधरी भजनलाल ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत ग्राम पंचायत में पंच बनकर की थी, वह 9 बार विधायक चुने गए थे. उनके बेटे चंद्रमोहन बिश्नोई प्रदेश में डिप्टी सीएम रह चुके हैं तो दूसरे बेटे कुलदीप बिश्नोई लोकसभा सांसद और विधायक भी रहे हैं. उनकी पत्नी रेणुका बिश्नोई हांसी से विधायक थी. इस बार के विधानसभा चुनाव में भजनलाल परिवार से दो सदस्य चुनावी मैदान में उतरे हैं. भजनलाल के पोते और कुलदीप बिश्नोई के बेटे भव्य बिश्नोई आदमपुर सीट से बीजेपी के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे हैं. भजनलाल के दूसरे बेटे चंद्रमोहन को कांग्रेस ने पंचकुला से प्रत्याशी बनाया है. इस तरह भजनलाल की दूसरी और तीसरी पीढ़ी चुनावी मैदान में किस्मत आजमा रही है.
सर छोटू राम के वंशज बृजेश चौधरी
किसानों के मसीहा सर छोटूराम के राजनीतिक वंशज चौधरी बीरेंद्र सिंह हैं, जो रिश्ते में उनके नाती है. कांग्रेस और बीजेपी सरकार में मंत्री रह चुके हैं. बीरेंद्र सिंह पांच बार विधायक और सांसद भी रहे. चौधरी बीरेंद्र के बेटे ब्रजेंद्र सिंह 2019 के लोकसभा चुनाव में हिसार सीट से सांसद बने थे. बीरेंद्र की पत्नी प्रेमलता विधायक उचाना कलां से विधायक रही हैं, लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव में उन्हें दुष्यंत चौटाला ने हरा दिया था. इस बार कांग्रेस ने ब्रजेंद्र सिंह को उचाना कलां से टिकट दिया है. इस तरह सर छोटू राम की चौथी पीढ़ी से बृजेंद्र चौधरी आते हैं.
राव परिवार की तीसरी पीढ़ी की लॉन्चिंग
हरियाणा के पूर्व सीएम राव बीरेंद्र सिंह के बेटे राव इंद्रजीत केंद्र की मोदी सरकार में मंत्री हैं. दक्षिण हरियाणा की राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी राव इंद्रजीत को माना जाता है. इस बार विधानसभा चुनाव में राव बीरेंद्र की तीसरी पीढ़ी के राव इंद्रजीत की बेटी आरती राव विधानसभा चुनाव मैदान में उतरी हैं. राव इंद्रजीत गुरुग्राम से लोकसभा सांसद और मोदी सरकार में मंत्री हैं और अब उनकी बेटी आरती राव अटेली विधानसभा सीट से चुनाव में उतरी हैं. इसी तरह दक्षिण हरियाणा की सियासत में मजबूती से अपनी धाक जमाने वाले राव अभय सिंह की भी तीसरी पीढ़ी राजनीति में है. राव अभय सिंह के पोते और कैप्टन अजय यादव के बेटे चिरंजीव सिंह यादव को कांग्रेस ने फिर से रेवाड़ी सीट से प्रत्याशी बनाया है. इस तरह राव परिवार की तीसरी पीढ़ियां राजनीति में कदम रखी हैं.
चौधरी तैय्यब हुसैन की तीसरी पीढ़ी
मेवात की सियासत के सबसे मजबूत चेहरा रहे चौधरी तैय्यब हुसैन की तीसरी पीढ़ी इस बार के विधानसभा चुनाव मैदान में उतरी है. ताहिर हुसैन कई बार विधायक और सांसद रहे हैं. तैय्यब के बाद उनके सियासी वारिस के तौर पर जाकिर हुसैन उभरे और तीन बार विधायक रहे. 2019 में बीजेपी के टिकट पर फिरोजपुर झिरका से चुनाव लड़े लेकिन नहीं जीत सके. इस बार बीजेपी ने उन्हें टिकट नहीं दिया तो जाहिर हुसैन के बेटे ताहिर हुसैन ने इनेलो का दामन थाम कर चुनावी ताल ठोक दी है.
हुड्डा परिवार की तीसरी पीढ़ी
हरियाणा के दस साल तक मुख्यमंत्री रहे भूपेंद्र सिंह हुड्डा के पिता एवं स्वतंत्रता सेनानी रणबीर हुड्डा आजादी के बाद पहली बार रोहतक सीट से ही जीत दर्ज करा कर संसद में पहुंचे थे. दूसरी बार भी लोकसभा के लिए चुने गए और वे एमएलए भी रहे और बाद में राज्यसभा सांसद बनेय भूपेंद्र हुड्डा भी चार बार सांसद और पांच बार विधायक रहे चुके हैं. भूपेंद्र हुड्डा के बेटे दीपेंद्र हुड्डा ने चार बार लोकसभा का चुनाव जीता है. भूपेंद्र सिंह हुड्डा एक बार फिर से चुनावी मैदान में हैं. छोटूराम परिवार से हुड्डा का नाता रहा है. चौधरी बीरेंद्र सिंह उनके रिश्तेदार हैं.
हरियाणा के सियासी परिवार
कांग्रेस पार्टी ने महम सीट से बलराम दांगी को मैदान में उतारा है., बलराम दांगी, पूर्व विधायक आनंद सिंह दांगी के बेटे हैं. इसी तरह कांग्रेस ने फरीदाबाद सीट से मौजूदा विधायक नीरज शर्मा को टिकट दिया है, नीरज शर्मा के पिता पंडित शिवचरण लाल शर्मा 2009 में इस सीट से निर्दलीय विधायक बने थे. गन्नौर सीट से कांग्रेस उम्मीदवार कुलदीप शर्मा के पिता चिरंजीलाल चार बार लोकसभा सांसद रहे हैं, कुलदीप शर्मा, हरियाणा विधानसभा के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. ऐसे ही पूर्व केंद्रीय मंत्री विनोद शर्मा की पत्नी एवं राज्यसभा सदस्य कार्तिकेय शर्मा की माता शक्ति रानी शर्मा को भाजपा ने कालका विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया है.
हरियाणा की राजनीति में पंजाबी समुदाय से आने वाले हरपाल सिंह के बेटे एवं पूर्व कृषि मंत्री परमवीर सिंह को कांग्रेस पार्टी ने टोहाना से टिकट दिया है. परमवीर सिंह टोहाना से विधायक रह चुके हैं. उनके पिता हरपाल सिंह टोहाना से पांच बार विधायक रहे थे. वह कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट से सांसद भी रहे हैं. उन्होंने एक बार हरियाणा कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष की कमान भी संभाली थी. सोनीपत से सांसद रह चुके किशन सिंह सांगवान के बेटे प्रदीप सांगवान को बीजेपी ने बड़ौदा विधानसभा सीट से टिकट दिया है, पूर्व विधायक रामरतन के बेटे हरिंदर सिंह रामरतन को होडल से भाजपा का टिकट मिला है. पूर्व मंत्री करतार सिंह भड़ाना के बेटे मनमोहन सिंह भड़ाना को समालखा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. इसी तरह पूर्व सहकारिता मंत्री सतपाल सांगवान के बेटे सुनील सांगवान को चरखी दादरी से भाजपा उम्मीदवार हैं.

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