कीटो डाइट से जान को खतरा! स्टडी में इसे लेकर चौंकाने वाले खुलासे
वजन घटाने के लिए कई तरह के डाइट प्लान फॉलो किए जाते हैं जिनमें से एक कीटो डाइट भी है. इसे लो कार्ब डाइट भी कहा जाता है पर क्या आप जानते हैं कि खानपान का ये अलग तरीका शरीर को कई तरह से नुकसान पहुंचा सकता है. डेली मेल पर छपी एक स्टडी के मुताबिक इस डाइट प्लान से वेट लॉस में मदद मिलती है पर ये हार्ट अटैक तक का खतरा बढ़ाता है. इतना ही नहीं कीटो डाइट के कारण शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल भी बढ़ने लगता है. ये बेहद चौंकाने वाला है पर आप जिस प्लान को हेल्दी समझकर वेट लॉस कर रहे हैं वही आपको मौत के मुंह में पहुंचा सकता है. कीटो डाइट में ब्रेड, चावल और पास्ता के अलावा स्टार्च वाले फूड्स जैसे कॉर्न और बीन्स को खाने की मनाही की जाती है.
जयपुर की डायटिशियन सुरभि पारीक बताती हैं कि हमें पूरी तरह से कार्ब्स न लेने की गलती नहीं करनी चाहिए. आपको रूटीन में सिंपल कार्ब्स तो जरूर लेने चाहिए. अब सवाल है कि कीटो डाइट कैसे हमारी सेहत की दुश्मन बन जाती है. चलिए आपको बताते हैं.
क्या है कीटो डाइट?
डाइट के इस यूनिक पैटर्न में हमें कार्ब्स कम लेने तो होते हैं. इसके अलावा प्रोटीन भी हमें मॉर्डरेट तरीके से लेना होता है. इसमें 75 फीसदी फैट, 20 फीसदी प्रोटीन और 5 फीसदी कार्बोहाइड्रेट्स होते हैं. एनएचएस कहते हैं कि हमें 30 फीसदी फैट, 15 फीसदी प्रोटीन और 55 फीसदी कार्ब्स लेने चाहिए. जो लोग कीटो डाइट पर होते हैं उन्हें रोजाना 20 से 50 ग्राम के बीच कार्ब्स लेने चाहिए. भले ही ये वेट लॉस में मदद करती है पर अगर लगातार कार्ब्स कम लिए जाए तो शरीर में एक नहीं कई दिक्कतें बढ़ने लगती हैं.
क्या कहती है स्टडी
ये रिसर्च यूनिवर्सिटी ऑफ बाथ में की गई है. इसमें करीब 57 लोगों को शामिल किया जिन्हें लो कार्ब्स और लो शुगर डाइट फॉलो करने के लिए कहा गया. शोधकर्ताओं ने करीब 4 हफ्ते तक लोगों को कीटो डाइट और लो शुगर डाइट का रूटीन फॉलो कराया. कीटो डाइट वालों ने इस दौरान 2.9 KG और लो शुगर वालों ने 2.1 KG वजन घटाया. एक्सपर्ट्स ने पाया कि जिन लोगों ने कार्ब्स कम लिए उनमें बैड कोलेस्ट्रॉल का लेवल बढ़ गया. जबकि लो शुगर वालों के खून में बैड कोलेस्ट्रॉल का लेवल घटा हुआ था.
सबसे चौंकाने वाला खुलासा ये हुआ कि इस डाइट की वजह से गट हेल्थ के लिए जरूरी गुड बैक्टीरिया बिफिडोबैक्टीरियम का लेवल घट गया था. ऐसे में उन्हें खराब पाचन तंत्र की शिकायत भी होने लगी. ये बैक्टीरिया प्रोबायोटिक ट्रीटमेंट के लिए जरूरी है क्योंकि ये बी विटामिन्स को बनाने में मदद करता है. इसके अलावा जब कीटो डाइट वाले नॉर्मल खाने की फिर शुरुआत करते हैं तो उनमें टाइप 2 डायबिटीज के होने का खतरा भी बढ़ जाता है. देखा जाए तो डाइट का ये पैटर्न हमें भविष्य में कई बीमारियों का शिकार बना सकता है.
कैसे होता है नुकसान
दरअसल जब हम कार्ब्स नहीं लेते हैं तो हमारी बॉडी एनर्जी के लिए स्टोर किए हुए फैट को बर्न करने लगती है. इससे भले ही वजन घटने लगे पर लंबे समय तक ऐसा नहीं होना चाहिए. स्टडी को लीड करने वाले डॉ. एरोन हेंगिस्ट ने कहा, ‘कीटोजेनिक डाइट हमारे खून में कई बुरे फैट्स का लेवल भी बढ़ाती है. लगातार ऐसा होने पर दिल से जुड़ी बीमारियां हो सकती है या फिर स्ट्रोक तक आ सकता है.’
डेली मेल को दिए इंटरव्यू में डॉ. रसल डेविस ने कहा कि इस डाइट के कारण हमारे रोजाना का फाइबर इंटेक 15 ग्राम तक कम हो जाता है. ऐसे में बिफिडोबैक्टीरियम को नुकसान होता है. ऐसे में आप पेट से जुड़ी समस्याएं, आंतों में सूजन और कमजोर इम्यून सिस्टम का शिकार हो जाते हैं. एक्सपर्ट कहते हैं कि अगर आप वजन घटाना चाहते हैं तो लो शुगर डाइट को फॉलो करें क्योंकि कीटो डाइट हमारे मेटाबॉलिज्म पर बुरा असर डालती है.