केजरीवाल, सिसोदिया और संजय…मनी लॉन्ड्रिंग केस में AAP के 4 नेताओं को बेल दिलाने वाले कौन हैं ये 4 वकील?

मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में जहां कोर्ट से आरोपियों को जमानत लेने में सालों-साल लग जाते हैं, वहीं पिछले 6 महीने में PMLA के आरोप में जेल गए आम आदमी पार्टी के 4 बड़े नेता बेल पर बाहर आ गए हैं. ये नेता हैं- अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, संजय सिंह और विजय नायर. शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट से आप के मुखिया अरविंद केजरीवाल को जमानत मिल गई. केजरीवाल आप के आखिरी सदस्य थे, जो दिल्ली के शराब घोटाला केस में जेल के सलाखों के पीछे थे.
मनी लॉन्ड्रिंग केस में सबसे पहले राज्यसभा सांसद संजय सिंह को जमानत मिली थी. इसके बाद पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया बेल पर बाहर आए. फिर विजय नायर को जमानत मिली और आखिर में केजरीवाल को भी मनी लॉन्ड्रिंग और आपराधिक साजिश के मामले में सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल गई.
इन चारों ही नेताओं को राहत दिलाने में देश के 4 वकीलों ने बड़ी भूमिका निभाई है. इन चारों ही वकीलों ने निचली अदालत से लेकर सर्वोच्च अदालत तक ऐसी दलीलें रखी की ईडी और सीबीआई के सभी सबूत और दावे कोर्ट में ध्वस्त हो गए.
कौन हैं वो चार वकील?
अभिषेक मनु सिंघवी- वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी दिल्ली शराब घोटाले के पूरे केस को लीड कर रहे हैं. इस केस में सिंघवी ने आप नेताओं के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट से लेकर निचली अदालत तक जमकर पैरवी की. मनीष सिसोदिया जब जेल से बाहर निकले तो उन्होंने सिंघवी को भगवान बताया. संजय सिंह भी जेल से बाहर निकलने के बाद सिंघवी से मिलने गए थे.
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में सिंघवी ने बेल नियम और जेल को अपवाद बताया था, जिस पर बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी हामी भरी. सिंघवी का कहना था कि बिना सजा के किसी भी व्यक्ति को अंतहीन समय के लिए जेल में नहीं रखा जा सकता है.
राजस्थान के जोधपुर के मूल निवासी सिंघवी की गिनती सुप्रीम कोर्ट के बड़े वकीलों में होती है. सिंघवी को वकालत विरासत में मिली है. उनके पिता लक्ष्मी मल जैन भी देश के बड़े वकील थे. सिंघवी ने शुरुआती पढ़ाई दिल्ली से की है. हावर्ड विश्वविद्यालय से उन्होंने वकालत की डिग्री हासिल की है.
1997 में सिंघवी पहली बार भारत के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल बनाए गए. उस वक्त उनकी उम्र मात्र 37 साल थी. सिंघवी इसके बाद कांग्रेस में आ गए और पार्टी के प्रवक्ता बन गए. 2006 में सिंघवी को कांग्रेस पार्टी ने राज्यसभा भेजा. सिंघवी वर्तमान में राज्यसभा के सांसद हैं.
सिंघवी क्रीमिनल, पॉलिटिकल और संविधान से जुड़े कई बड़े मामलों की पैरवी कर चुके हैं. इनमें नेशनल हेराल्ड केस में गांधी परिवार को जमानत दिलाना, महाराष्ट्र और कर्नाटक में सरकार का संकट जैसे मुद्दे शामिल हैं. कहा जाता है कि सिंघवी किसी भी मामले में एक सुनवाई के लिए 10 लाख रुपए तक फीस चार्ज करते हैं.
अमित देसाई- सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील अमित देसाई भी दिल्ली शराब घोटाले में आप नेताओं की पैरवी कर रहे हैं. अरविंद केजरीवाल केस में देसाई की पेशी पर बवाल भी मचा था. एक मामले की सुनवाई के दौरान ईडी की तरफ से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल राजू का कहना था कि एक व्यक्ति पैरवी के लिए 2 वकील कैसे रख सकता है?
1982 से वकालत की शुरुआत करने वाले देसाई की गिनती क्रीमिनल मामले के बड़े वकीलों में होती है. देसाई हर्षद मेहता, यूनियन कार्बाइड, शाहरूख खान के बेटे आर्यन खान और मशहूर अभिनेता सलमान खान से जुड़े केस लड़ चुके हैं.
दयान कृष्णन- मनी लॉन्ड्रिंग केस में आप नेताओं को जमानत दिलाने में सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील दयान कृष्णन की भी बड़ी भूमिका रही है. कृष्णन मनीष सिसोदिया और संजय सिंह केस में हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक में दलील रख चुके हैं.
जेल से निकलने के बाद पार्टी कार्यालय में मनीष सिसोदिया ने सार्वजनिक रूप से दयान कृष्णन का धन्यवाद ज्ञापित किया था. 1993 में 1993 में नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया बैंगलोर से वकालत की डिग्री हासिल करने वाले कृष्णन आपराधिक कानून और मनी लॉन्ड्रिंग मामले के विशेषज्ञ माने जाते हैं.
कृष्णन निर्भया सामूहिक बलात्कार मामला, नीतीश कटारा हत्या मामला, नौसेना युद्ध कक्ष लीक मामला, राष्ट्रमंडल खेल घोटाला और उपहार (सबूतों से छेड़छाड़) मामले सहित कई हाई-प्रोफाइल केस में सरकारी अभियोजक के रूप में पैरवी कर चुके हैं.
हाल ही में महिला पहलवानों के विवाद में रेसलिंग फेडरेशन की तरफ से पैरवी करने के लिए कोर्ट में उतरे थे.
मोहित माथुर- लोअर और हाईकोर्ट में आप नेताओं की तरफ से मोहित माथुर ने मोर्चा संभाल रखा था. रोज-रोज की सुनवाई में माथुर ही उपस्थित होते थे. वरिष्ठ वकील माथुर दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. छात्र राजनीति से वकालत में आए माथुर अपराध से जुड़े मामलों में पैरवी करते हैं.

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