केदारनाथ से 228 KG सोना गायब कर दिया गया है… शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद का आरोप

ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती शिवसेना (UBT) नेता उद्धव ठाकरे के अनुरोध पर उनके आवास मातोश्री पहुंचे. इसके बाद उन्होंने मीडिया से बातचीत की. उन्होंने उद्धव ठाकरे से जुड़े मामले, दिल्ली में प्रतीकात्मक केदारनाथ मंदिर, केदारनाथ धाम के 228 किलो सोने जैसे मुद्दों पर बात की. उनके बयान के बाद शिवसेना (शिंदे) गुट के नेता संजय निरुपम का बयान भी आया है. इसमें उन्होंने शंकराचार्य को धार्मिक कम, राजनीतिक ज्यादा करार दिया है. आइए सबसे पहले जानते हैं कि शंकराचार्य ने किन मुद्दों पर क्या कहा…
उद्धव ठाकरे के मामले को लेकर शंकराचार्य ने कहा, हम सनातन धर्म का पालन करने वाले लोग हैं. हमारे यहां पुण्य पाप की भावना बताई गई है. सबसे बड़ा पाप गौ घात बताया गया है. उससे भी बड़ा घात विश्वासघात बताया गया है. उद्धव के साथ विश्वासघात हुआ है. इसकी सबके मन में पीड़ा है. उनके बुलावे पर हम उनसे मिले. उन्होंने स्वागत किया.
सरकार को तोड़ देना, ये अच्छी चीज नहीं
शंकराचार्य ने कहा, हमने उनसे कहा है कि आपके साथ विश्वासघात हुआ है. जब तक आप दोबारा महाराष्ट्र के सीएम पद पर नहीं बैठते, तब तक ये पीड़ा बनी रहेगी. विश्वासघात करने वाला हिंदू नहीं हो सकता. पूरे महाराष्ट्र की जनता इस बात से पीड़ित है. ये ठीक नहीं है. बीच में सरकार को तोड़ देना ये अच्छी चीज नहीं है. शंकराचार्य वही कहेंगे जो सच होगा.
उद्धव ठाकरे ने परिवार के साथ शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद से मुलाकात की. फोटो- पीटीआई
दिल्ली में प्रतीकात्मक केदारनाथ से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं हो सकता. केदारनाथ हिमालय में है. आप केदारनाथ की लोकेशन क्यों बदलना चाहते हैं. ये गलत प्रयास है. जो हमारे धर्म-स्थान हैं, वहां राजनीति वाले लोग प्रवेश कर रहे हैं.
केदारनाथ में सोने का घोटाला हो गया है
शंकराचार्य ने कहा कि केदारनाथ में सोने का घोटाला हो गया है. 228 किलो सोना गायब कर दिया गया है. आज तक कोई जांच भी नहीं हुई है. इसका कौन जिम्मेदार है. आप कहेंगे कि हम दिल्ली में केदारनाथ बना लेंगे… ये नहीं हो सकता है. नरेंद्र मोदी मेरे दुश्मन नहीं हैं. हम पीएम मोदी के शुभचिंतक हैं.
ये शंकराचार्य को शोभा नहीं देता
उद्धव को लेकर दिए गए शंकराचार्य के बयान पर शिवसेना (शिंदे) नेता संजय निरुपम ने भी रिएक्शन दिया है. उन्होंने कहा, जगतगुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद जी धार्मिक कम, राजनीतिक ज्यादा हैं. यूबीटी के प्रमुख से मिलना उनका व्यक्तिगत फैसला हो सकता है. इस पर कोई एतराज नहीं है. मगर , शिवसेना के अंदरूनी विवाद पर राजनीतिक भाष्य करने से उन्हें बचना चाहिए था. ये उन्हें शोभा नहीं देता.
ये शंकराचार्य नहीं तय कर सकते
निरुपम ने आगे कहा, कौन मुख्यमंत्री बनेगा, कौन नहीं, ये जनता तय करेगी, शंकराचार्य नहीं. बोलते-बोलते वो ये भी बोल गए कि जो विश्वासघात करते हैं, वो हिंदू नहीं हो सकते. ये बड़ा अजीबोगरीब तर्क है. पहले तो ये तय होना है कि विश्वासघात किसने किया? और ये शंकराचार्य नहीं तय कर सकते.
वो हिंदू हो ही नहीं सकता, ये कुतर्क है
संजय निरुपम ने कहा, हिंदू पौराणिक कथाओं और इतिहास में विश्वासघात के तमाम प्रकरण उपलब्ध हैं. क्या वो हिंदू नहीं थे? विश्वासघात एक मानवीय अवगुण है. इसका किसी धर्म से कोई लेना-देना नहीं है. हां, इस अवगुण की वजह से कोई अच्छा या बुरा हिंदू हो सकता है. मगर वो हिंदू हो ही नहीं सकता, ये कुतर्क है.

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