केरल: रेप के बाद हत्या मामले में दोषी की फांसी की सजा पर रोक, सुप्रीम कोर्ट का आदेश

केरल में लॉ स्टूडेंट के साथ रेप के बाद हत्या के मामले में दोषी की फांसी की सजा पर रोक लग गई है. सुप्रीम कोर्ट ने दोषी की अपील पर फैसला होने तक सजा पर रोक लगाई है. दोषी असम का प्रवासी मजदूर मोहम्मद अमीर-उल इस्लाम है. ये आदेश जस्टिस बीआर गवई, संजय करोल और केवी विश्वनाथन की पीठ का है.
सुप्रीम कोर्ट ने दोषी की सजा कम करने और मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन के संबंध में रिपोर्ट मांगी है. इससे पहले केरल हाई कोर्ट ने उसको फांसी की सजा सुनाई थी. हाई कोर्ट के फैसले को दोषी ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.
छात्र सिद्धार्थन की मौत मामले में आयोग ने सौंपी रिपोर्ट
उधर, केरल में छात्र सिद्धार्थन जे.एस. की मौत का मामला तूल पकड़े हुए है. इसमें राज्य के पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के अधिकारियों पर प्रशासनिक चूक का आरोप लगा है. इसकी जांच के लिए राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने जांच आयोग गठित किया था, जिसने बुधवार को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी.
सूत्रों के अनुसार, जांच आयोग का नेतृत्व करने वाले रिटार्यड जज ए. हरिप्रसाद ने राजभवन में राज्यपाल से मुलाकात की. उन्होंने आरिफ खान को रिपोर्ट सौंपी.राज्यपाल ने 20 साल के सिद्धार्थन की मौत के बाद राज्य के विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के रूप में जांच आयोग का गठन किया था.
18 फरवरी को बाथरूम में मिला था सिद्धार्थन का शव
18 फरवरी को सिद्धार्थन का शव पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान महाविद्यालय के छात्रावास के बाथरूम में मिला था. कहा जा रहा हि कि जांच आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि परिसर में अनुशासन बनाए रखने के लिए कुलपति जिम्मेदार हैं. वो इस दुखद घटना के लिए जवाबदेही से बच नहीं सकते.
आयोग ने अपनी रिपोर्ट में सिद्धार्थन की मौत से पहले परिसर में हुई रैगिंग की दो घटनाओं का भी जिक्र किया है. इस मामले में कार्रवाई करने में विफल रहने के लिए कुलपति, डीन और शिक्षकों के बीच समन्वय की कमी को जिम्मेदार ठहराया है. रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि 16-17 फरवरी की रात सियासी मतभेदों के चलते छात्र सिद्धार्थनको प्रताड़ित किया गया था.

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