केरल हाई कोर्ट ने हेमा समिति की रिपोर्ट जारी करने की दी अनुमति दी, रोक लगाने की याचिका हुई खारिज
केरल हाई कोर्ट ने जस्टिस के हेमा समिति की रिपोर्ट के जारी किए जाने वाले की रोक लगाने की याचिका को खारिज कर दिया है. हाई कोर्ट ने कुछ समय पहले मलयालम फिल्म इंडस्ट्री से जुड़ी एक रिपोर्ट जारी करने का आदेश दिया था, जिसमें महिलाओं के साथ होने वाली मुश्किलों और उनके द्वारा सामना किए जाने वाले सभी मुद्दों के अध्ययन किया गया था.
जस्टिस वी जी अरुण ने हेमा समिति की रिपोर्ट को एक हफ्ते के अंदर ही प्रकाशित करने का आदेश दिया है. कोर्ट के इस आदेश के खिलाफ याचिका दाखिल की गई थी, जिसे केरल हाई कोर्ट ने मंगलवार यानी 13 अगस्त को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता मलयालम फिल्म निर्माता साजिमोन परायिल कोर्ट के सामने ये पेश करने में सफल नहीं हो पाए कि इस आदेश से उनके कानूनी या मौलिक अधिकार कैसे प्रभावित हुए हैं, परायिल ने याचिका दर्ज करते हुए इसे निजता का मामला कहा था.
6 अगस्त को बढ़ा था समय
कोर्ट ने कहा कि केरल पहला ऐसा राज्य था, जहां फिल्म इंडस्ट्री में काम करने वाली महिलाओं के उठाए जा रहे उत्पीड़न और भेदभाव की शिकायतों को कम करने के लिए उपाय शुरू हुआ. कोर्ट ने कहा कि इस मामले में ऐसा कोई टकराव नहीं है, स्टेट इंफार्मेशन कमिशन ने अपने आदेश में पर्याप्त सुरक्षा उपाय शामिल किए हैं, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि संशोधित रिपोर्ट की कॉपियां जारी करने से व्यक्तियों की गोपनीयता का उल्लंघन न हो. इन्हीं वजहों से रिट याचिका खारिज की जाती है. 24 जुलाई को कोर्ट ने एक हफ्ते के लिए रिपोर्ट जारी करने पर रोक लगा दी और अंतरिम आदेश को समय-समय पर बढ़ाया गया. अंतरिम आदेश को आखिरी बार 6 अगस्त को बढ़ाया गया था.
5 जुलाई को दी गई थी चुनौती
परायिल ने इंफार्मेशन कमिशन के 5 जुलाई के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें स्टेट पब्लिक इंपार्मेशन ऑफिसर (SPIO) को रिपोर्ट में दी गई जानकारी को उचित रूप से प्रसारित करने का निर्देश दिया गया था, जबकि यह सुनिश्चित किया गया था कि इससे व्यक्तियों की गोपनीयता से समझौता न हो. जस्टिस के हेमा समिति की रिपोर्ट की सत्यापित प्रतियां प्रदान करते समय, एसपीआईओ को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सामग्री से उक्त रिपोर्ट में संदर्भित व्यक्तियों की पहचान न हो या उनकी गोपनीयता से समझौता न हो.
क्या है साल 2017 का मामला ?
जस्टिस हेमा समिति का गठन, वूमेन इन सिनेमा कलेक्टिव (डब्ल्यूसीसी) के सदस्यों के काफी ज्यादा अनुरोध करने पर और एक्टर दिलीप से जुड़े साल 2017 के अभिनेत्री उत्पीड़न मामले के बाद किया गया था. तमिल, तेलुगु और मलयालम फिल्मों में काम कर चुकी अभिनेत्री-पीड़ित को कथित तौर पर कुछ आरोपियों ने 17 फरवरी, 2017 की रात को जबरदस्ती उसकी कार में घुसकर उसे दो घंटे तक अगवा कर लिया और उसके साथ छेड़छाड़ की और बाद में एक बिजी इलाके में भाग गए, हालांकि यह रिपोर्ट 2019 में दायर की गई थी जब मी टू अभियान चल रहा था, लेकिन सरकार की तरफ से अभी तक इस मामले में कोई जामकारी नहीं साझा किया गया है क्योंकि इसमें संवेदनशील जानकारी होने की उम्मीद है.
इस मामले को लेकर कहा गया कि अभिनेत्री को ब्लैकमेल करने के लिए ये काम किया गया था. इस मामले में 10 आरोपी है, जिनमें से एक एक्टर दिलीप है, जिन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था फिलहाल वो जमानत पर रिहा है.