केशव के सुर में सुर मिलाने वाले संजय निषाद अब क्यों सीएम योगी को बता रहे अभिभावक

लोकसभा चुनाव के बाद उत्तर प्रदेश की राजनीति में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. यूपी में 80 में से 33 सीटें मिलने से राष्ट्रीय राजनीति तक में बीजेपी के समीकरण बिगड़ गए हैं. बीजेपी नेता और उसके सहयोगी लोकसभा चुनाव में बुरी हार के लिए योगी सरकार के प्रशासन को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. सरकार से बड़ा संगठन बताने वाले डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के साथ कदमताल मिलाने वाले वाले निषाद पार्टी के अध्यक्ष और मंत्री संजय निषाद लगातार योगी सरकार को कठघरे में खड़े करने में जुटे थे, लेकिन मुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद उनके सुर बदल गए हैं. ऐसे में आखिर क्या हुआ कि बुलडोजर नीति पर सवाल खड़े करने वाले संजय निषाद अब सीएम योगी को अपना अभिभावक बताने लगे हैं?
उत्तर प्रदेश में बीजेपी के सहयोगी निषाद पार्टी के अध्यक्ष और योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री संजय निषाद अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में बने हुए हैं. अधिकारियों पर मनमानी को लेकर मोर्चा खोलने वाले मंत्री संजय निषाद ने गुरुवार को सीएम योगी से मुलाकात की. सीएम ऑफिस ने संजय निषाद की योगी आदित्यनाथ से हुई मुलाकात पर कहा कि कैबिनेट मंत्री ने मुख्यमंत्री से शिष्टाचार भेंट कर मार्गदर्शन प्राप्त किया है, लेकिन इस मुलाकात के बाद मंत्री के बदले तेवर को लेकर सियासी मायने निकाले जाने लगे हैं.
योगी सरकार की बुलडोजर नीति पर उठाए थे सवाल
लोकसभा चुनाव के बाद से यूपी नेताओं की बयानबाजी और लगातार सियासी खींचतान जारी है. सियासी वर्चस्व की लड़ाई में चल रहे शह-मात के खेल में संजय निषाद अभी तक डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के साथ खड़े नजर आ रहे थे. पिछले दस दिनों में संजय निषाद न केशव प्रसाद मौर्य से दोबार मुलाकात की थी. बीजेपी की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने संगठन को सरकार से बड़ा बताया तो संजय निषाद उनके समर्थन में खड़े नजर आए थे. उन्होंने योगी सरकार की बुलडोजर नीति पर सवाल उठाते हुए कहा था कि अगर बुलडोजर चलाओगे तो वोट नहीं मिलेगा.
अपनी ही पार्टी को किया कठघरे में खड़ा
केशव प्रसाद मौर्य ने योगी सरकार से संविदा और ऑउटसोर्सिंग के तहत होने वाली नियुक्ति में ओबीसी और दलित आरक्षण के नियमों के पालन को लेकर सवाल उठाते हुए, सूचनाएं मांगी तो संजय निषाद ने भी उनका साथ दिया. उन्होंने प्रदेश में अफसरों पर मनमानी करने का भी आरोप लगाते हुए कहा था कि यूपी में बीजेपी की हार में सबसे बड़ा कारण प्रशासन का मनमानी रवैया रहा. इसके अलावा उन्होंने कहा कि आरक्षण का पालन नहीं किया जा रहा है, जिसे लेकर ओबीसी और दलित समुदाय में नाराजगी बढ़ रही है. इसके अलावा निषाद आरक्षण का मुद्दा भी उठाते हुए इशारों-इशारों में अपनी ही सरकार को कठघरे में खड़ा किया था.
सरवन निषाद ने सुरक्षा को लेकर उठाए थे सवाल
कैबिनेट मंत्री के बेटे संजय निषाद के साथ उनके बेटे सरवन निषाद जो गोरखपुर के चौरी-चौरा से बीजेपी विधायक हैं, उन्होंने अपनी सुरक्षा को लेकर सवाल उठाते हुए यूपी प्रशासन पर सवाल खड़े किए थे. उन्होंने कहा था कि मेरी जान को खतरा होने के बावजूद पुलिस प्रशासन ने उनकी सुरक्षा को हटा लिया था. सरवन निषाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कर्मभूमि गोरखपुर जिले से ही हैं. ऐसे में प्रशासन पर सवाल खड़े करके विपक्ष के हाथों में योगी सरकार को घेरने के लिए मौका दे दिया था.
संजय निषाद के तेवर पड़े नरम
संजय निषाद और उनके बेटे पूरी तरह खुलकर केशव मौर्य के साथ खड़े नजर आ रहे थे, लेकिन मुख्यमंत्री के साथ मुलाकात के बाद अब उनके तेवर नरम पड़ गए हैं. संजय निषाद ने अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अपना अभिभावक बताया है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी हमारे अभिभावक है, हमारे मार्गदर्शक है. उनसे दिशा-निर्देश लेना और अपने दर्द को बताना हमारा काम है. संजय निषाद ने कहा कि 16 अगस्त को निषाद पार्टी का स्थापना दिवस है, उसके लिए मुख्यमंत्री को आमंत्रित किया है. साथ ही उन्होंने कहा कि सीएम से लापरवाह और मनमाने अधिकारियों के मुद्दे पर भी बात हुई है. इस दौरान योगी सरकार में मनमुटाव की बात को संजय निषाद ने बेबुनियाद और विपक्षी दल की साजिश करार दिया.
संजय निषाद राजनीतिक बैलेंस बना रहे हैं
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो संजय निषाद मंझे हुए सियासी खिलाड़ी हैं. डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और सीएम योगी आदित्यनाथ दोनों के साथ अपना बैलेंस बनाकर रखना चाहते हैं. इसीलिए जब केशव प्रसाद मौर्य से मिलते हैं तो उनके सुर में सुर मिलाते नजर आते हैं और जब सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकात करते हैं तो उनकी भाषा बोलने लगते हैं. इसके अलावा संजय निषाद इस बात को भी समझते हैं कि यूपी के सत्ता में फिलहाल कोई परिवर्तन होता नहीं दिख रहा है तो मुख्यमंत्री के साथ संबंध बिगाड़ कर चलने के बजाय उनके साथ बनाकर चलना उन्हें ज्यादा मुफीद दिख रहा है.
संजय निषाद ने क्यों लिया सियासी यू-टर्न
वरिष्ठ पत्रकार विजय उपाध्याय कहते हैं कि संजय निषाद और सीएम योगी दोनों ही गोरखपुर से आते हैं और उनका राजनीतिक आधार पूर्वांचल के इलाके में है. केशव के सुर में सुर मिलाकर संजय निषाद ने अपनी बार्गेनिंग पॉवर बढ़ाने की कोशिश की और फिर सीएम योगी के समर्थन में उतरकर उसे कैस कराना चाहते हैं. बीजेपी में जिस तरह से सीएम योगी ने अपनी जड़े जमा रखी है, उसे हिलाना अभी आसान नहीं है. इस बात को संजय निषाद ने समझ लिया है और इस बात को जानते हैं कि जो भी उनकी समस्याएं हैं, उसका समाधान मुख्यमंत्री से होना है. तभी वो सीएम योगी के साथ मुलाकात करने के बाद अब उन्हें अभिभावक और अपना मार्गदर्शक बताने में जुट गए हैं. इसीलिए संजय निषाद ने सियासी यू-टर्न ले लिया है.

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