कैसे पूरा होगा पीएम मोदी का सपना? जब Infosys जैसी कंपनी को आ रही 2000 नौकरियां देने में दिक्कत, विवाद के बाद किया ये ऐलान

भारत में आईटी सेक्टर की कंपनियों को ‘मास रिक्रूटर’ के तौर पर देखा जाता है. टीसीएस, विप्रो, एचसीएल से लेकर इंफोसिस तक देश की सभी टॉप आईटी कंपनियां इंजीनियरिंग कॉलेजों से शुरुआती पैकेज पर बड़ी संख्या में फ्रेशर्स का कैंपस प्लेसमेंट करती हैं. ऐसे में Infosys जैसी बड़ी कंपनी का साल 2022 के बैच के बच्चों को ‘ऑफर लेटर्स’ देने के बावजूद नौकरी पर नहीं रख पाना बड़े सवाल करता है. हालांकि अब कंपनी ने इस पूरे मामले पर अपनी सफाई दी है, लेकिन ये मामला इस साल बजट में घोषित की गई ‘पीएम इंटर्नशिप स्कीम’ के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए भी एक चुनौती की तरह दिखता है.
हाल में आईटी सेक्टर के कर्मचारियों के एक यूनियन ने इंफोसिस के खिलाफ लेबर मिनिस्ट्री में शिकायत दर्ज की थी. नैसेंट इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एम्प्लॉइज सीनेट (एनआईटीईएस) ने अपनी शिकायत में कहा था कि इंफोसिस ने 2022-23 की रिक्रूटमेंट ड्राइव के दौरान सिस्टम इंजीनियर और डिजिटल स्पेशलाइज्ड इंजीनियर्स की पोस्ट के लिए करीब 2,000 इंजीनियरिंग फ्रेशर्स को ऑफर लेटर दिया था, लेकिन अभी तक उनकी जॉइनिंग नहीं हो पाई है. इस शिकायत के बाद ही ये पूरा मामला सुर्खियों में आया.
हर ‘ऑफर लेटर’ के बदले जॉब
अब इस पूरे मामले पर कंपनी के सीईओ सलिल पारेख ने बड़ा बयान दिया है. उनका कहना है कि कंपनी हर सिलेक्ट किए गए व्यक्ति को रोजगार देगी. हालांकि इसकी तारीखों में कुछ बदलाव किया गया है. उन्होंने कहा कि हमने जिन्हें भी ‘ऑफर लेटर’ दिए हैं, वे सभी लोग कंपनी में शामिल होंगे. कंपनी के कर्मचारियों की संख्या 30 जून 2024 को 3,15,332 थी.
कैसे पूरा होगा पीएम मोदी का सपना?
इंफोसिस का ये पूरा घटनाक्रम देश में रोजगार की समस्या को लेकर भी बड़े सवाल खड़ा करता है. देश में बढ़ती बेरोजगारी को लेकर लगातार विपक्ष के निशाने पर रहने और लोकसभा चुनाव 2024 का प्रमुख मुद्दा बनने के बाद इस साल जुलाई में जब 2024-25 का पूर्ण बजट पेश किया गया, तो उसमें एक पीएम इंटर्नशिप योजना का भी ऐलान किया गया. पीएम इंटर्नशिप योजना के तहत देश में एक करोड़ लोगों को शुरुआती रोजगार उपलब्ध कराने का लक्ष्य है. इस योजना के तहत चयनित होने वालों को हर महीने 5000 रुपए का इंटर्नशिप भत्ता दिया जाना है. जबकि इस योजना के दौरान एक निश्चित अवधि में युवाओं को ₹6000 की एकमुश्त सहायता राशि भी दी जानी है.
इस योजना के लक्ष्य पूरा करने को लेकर बड़ा सवाल ये है कि युवाओं को ये इंटर्नशिप देश की टॉप-500 कंपनियों में दी जानी है. कंपनियां युवाओं की ट्रेनिंग का खर्च उठाएंगी, वहीं इंटर्नशिप की लागत का 10 प्रतिशत हिस्सा अपने सीएसआर फंड से खर्च करेंगी. लेकिन जब इंफोसिस जैसी मास रिक्रूटर कंपनी को पुराने ऑफर लेटर्स के हिसाब से 2000 इंजीनियर्स को जॉब जॉइन कराने में दिक्कत पेश आ रही है, तो इंटर्नशिप योजना के लक्ष्यों को पूरा करना कितना मुश्किल हो सकता है?

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