कोयला बेचकर 4 महीने में सरकार ने कमाए 20,000 करोड़, इतना हुआ प्रोडक्शन

मोदी सरकार के खाते में कोयला ने बीते 4 महीने (अप्रैल-जुलाई) ने कुल 20,071.96 करोड़ रुपए डाले हैं. सरकारी स्वामित्व वाली कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) का सरकारी खजाने में योगदान इस दौरान 2.06 प्रतिशत बढ़ा है. कोल इंडिया लिमिटेड ने एक साल पहले की इसी अवधि मं सरकारी खजाने में 19,666.04 करोड़ रुपए का योगदान दिया था. कोल इंडिया देश में प्रोडक्शन किए जाने वाले कोयले का 80 प्रतिशत उत्पादन करती है.
ये जानकारी कोयला मंत्रालय के अस्थायी आंकड़ों में सामने आई है. कोल इंडिया देश के तमाम बिजली घरों को कोयला बेचती और उससे होने वाली कमाई का एक हिस्सा सरकार के खाते में जमा कराती है.
जुलाई में इतना बढ़ा कोल इंडिया का पेमेंट
कोल इंडिया द्वारा जुलाई में सरकार को भुगतान की गई कुल राशि बढ़कर 4,992.48 करोड़ रुपए हो गई. पिछले साल पहले की इसी अवधि में यह 4,789.42 करोड़ रुपए थी. कोल इंडिया की तरफ से केंद्र और राज्य सरकारों को रॉयल्टी, जीएसटी, कोयले पर सेस और अन्य शुल्क का पेमेंट किया जाता है. केंद्र और राज्य सरकार दोनों को कोयला उत्पादन से पर्याप्त राजस्व मिलता है.
वित्त वर्ष 2024-25 के पहले चार महीनों में कोल इंडिया ने झारखंड सरकार को सबसे अधिक 4,417.12 करोड़ रुपए का पेमेंट किया है. इसके बाद ओडिशा सरकार को 4,319.67 करोड़ रुपए, छत्तीसगढ़ को 3,950.41 करोड़ रुपए, मध्य प्रदेश को 3,526.27 करोड़ रुपए और महाराष्ट्र को 2,086.35 करोड़ रुपए का पेमेंट किया गया है.
देश में बढ़ा कोयले का प्रोडक्शन
इसी के साथ कोयला मंत्रालय की ओर से देश में कोयला उत्पादन के आंकड़े भी जारी किए गए हैं. इसके हिसाब से अप्रैल से 25 अगस्त के बीच देश में कोयले का उत्पादन 7.12 प्रतिशत बढ़कर 37 करोड़ 6.7 लाख टन हो गया. एक साल पहले इसी अवधि में कोयला उत्पादन 34 करोड़ 60.2 लाख टन था.
चालू वित्त वर्ष में 25 अगस्त, 2024 तक कुल कोयला का उठाव 39 करोड़ 70.6 लाख टन था, जो साल-दर-साल 5.48 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है. बिजली सेक्टर को भेजे जाने वाले कोयला की मात्रा एक साल पहले की इसी अवधि के 31 करोड़ 34.4 लाख टन से बढ़कर 32 करोड़ 59.7 लाख टन हो गई है. वहीं कोल इंडिया ने भी चालू वित्त वर्ष में 83.8 करोड़ टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया है.

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