कोलकाता कांड में सबूतों के साथ छेड़छाड़ की आशंका, ये बातें कर रहीं इशारा
पश्चिम बंगाल के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में महिला डॉक्टर के साथ हुई हैवानियत से देश में आक्रोश है. इस मामले में अभी कई चौंकाने वाले खुलासे हो चुके हैं. पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं. इससे जुड़ा एक बड़ा सवाल है कि रेप-मर्डर केस में सबूत मिटाने की कोशिश हुई, क्यों पीड़ित परिवार को बेटी की डेड बॉडी देखने के लिए तीन घंटे इंतजार करवाया गया? जनप्रतिनिधियों से भी सवाल किए जा रहे हैं. मगर, हैरान करने वाली बात ये है कि TMC सांसद महुआ मोइत्रा से सवाल पूछने पर वो सोशल मीडिया पर ब्लॉक कर दे रहीं हैं. कठुआ, हाथरस, उन्नाव जैसे मामले में खुलकर बोलने वाले कोलकाता पर चुप हैं.
महिलाओं का सम्मान करें. जब महिलाएं आपको किसी अपराध के बारे में बताएं तो उन पर विश्वास करें. उनके खिलाफ अपराधों की निंदा करने में कभी भी अपनी राजनीतिक विचारधारा और मान्यताओं को आड़े न आने दें. ये कुछ बुनियादी बातें हैं जो हमें सिखाई जाती हैं. मगर, ऐसा क्यों है कि कठुआ के लिए कैंडल मार्च का नेतृत्व करने वालों ने कोलकाता पर सवाल पूछने वालों को BLOCK कर दिया.
सवाल पूछने वालों को चुप कराने की कोशिश
ऐसा क्यों है कि जो महिला सांसद हाथरस में बलात्कार के खिलाफ एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने में सबसे आगे थीं, वो कोलकाता में कहीं नजर नहीं आ रही हैं? ऐसा क्यों है कि जो लोग उन्नाव में एक महिला के साथ अपराध के खिलाफ संसद के बाहर खड़े होकर नारे लगा रहे थे, वो आरजी कर अस्पताल में हुए बलात्कार और हत्या पर सवाल पूछने वालों को चुप करा रहे हैं?
हम बात कर रहे हैं महुआ मोइत्रा की. महिला अधिकारों और महिला सुरक्षा के मुद्दे पर वो बीजेपी की सबसे मुखर, प्रखर और सटीक आलोचक में से एक हैं, लेकिन जब उनके अपने समर्थकों ने कोलकाता में 31 साल की महिला डॉक्टर के साथ हुए जघन्य बलात्कार पर मुखर, कठोर और आलोचनात्मक होने के लिए कहा तो न केवल उन्हें नजरअंदाज कर दिया गया बल्कि उन्हें ब्लॉक कर दिया गया.
सबूतों के साथ छेड़छाड़ होने का शक
बलात्कार और हत्या की जांच CBI को दिए जाने के बाद भी, कई लोग ये सवाल पूछ रहे हैं कि क्या सच सामने आ पाएगा? ऐसा इसलिए क्योंकि शक है कि महत्वपूर्ण सबूतों के साथ छेड़छाड़ की जा चुकी है. ये आशंका इसलिए हुई क्योंकि आरजी कर अस्पताल में, जहां ये वारदात हुई, उसके ठीक बगल के कमरे में तोड़फोड़ शुरू कर दी गई. कुछ निर्माण कार्य भी शुरू कर दिया गया.
अस्पताल के अधिकारी कह रहे हैं कि ये निर्माण कार्य पहले से तय था. मगर, विरोध करने वाले डॉक्टर आशंकित हैं कि क्या महत्वपूर्ण सबूतों को इधर-उधर कर दिया गया है? पहले तो इस घटना को आत्महत्या कह कर टाल दिया गया. पीड़िता के रिश्तेदारों को 2 से 4 घंटे तक मिलने नहीं दिया गया. उसकी बॉडी नहीं देखने दी गई.
बंगाल की महिलाओं ने बोलने का बीड़ा उठाया
जब स्थानीय डॉक्टरों ने हड़ताल शुरू की तब पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट सामने आई. इसमें यहां तक लिखा हुआ है कि जब उसका पोस्टमॉर्टम हुआ तब उसकी आंखों में उसका पूरा चश्मा चला गया था. आंखों से खून आ रहा था. मुंह से खून आ रहा था. बॉडी का ऐसा कोई पार्ट नहीं बचा था, जहां मल्टी इंजरी ना हो.
जब नेताओं और राजनेताओं ने चुप रहने का फैसला किया, तब बंगाल की महिलाओं ने बोलने का बीड़ा उठाया. आज रात एक गैर-राजनीतिक आंदोलन के बैनर तले हजारों महिलाओं के सड़कों पर उतरने की उम्मीद है. इस मार्च में उनका नारा है- Reclaim The Night.
टीएमसी मंत्री पार की बेशर्मी की हद
इस मार्च को लेकर टीएमसी मंत्री उदयन गुहा ने बेशर्मी की हद पार कर दी. उन्होंने कहा कि महिलाओं को Reclaim The Night का मार्च जरूर निकालना चाहिए लेकिन इस वजह से अगर उनके पति रात में उन्हें पीटते हैं तो फिर उन्हें मदद नहीं मांगनी चाहिए. TMC के दूसरे प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा कि जो लोग आज रात मार्च निकाल रहे हैं, वो एक नाटक के अलावा कुछ नहीं कर रहे हैं.
कोर्ट द्वारा सीबीआई जांच के आदेश के बाद टीएमसी कह रही है कि हम हमेशा सच के साथ हैं. कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए. अब आपको बताते हैं प्रारंभिक जांच क्या कहती है?
नीले रंग के गद्दे में बॉडी अर्द्धनग्न अवस्था में थी.
मृतका की बॉडी के बाएं तरफ एक जींस पैंट और ब्राउन रंग की इनर वियर रखी हुई थी.
साथ ही एक हेयर क्लिप प्राइवेट पार्ट के पास मिली. डेडबॉडी के पास एक टूटा चश्मा भी मिला.
उसकी दोनों आंखों और मुंह से खून निकल रहा था. चेहरे, बाएं पैर, पेट और नाखून में चोट के निशान मिले.
प्राइवेट पार्ट से ब्लीडिंग हो रही थी. गर्दन और दाएं हाथ की रिंग फिंगर, होठों पर भी चोट इंजरी मार्क मिले.
गद्दे पर काफी बाल बिखरे हुए थे. नीले गद्दे पर खून सूख चुका था.
रिपोर्ट- TV9 ब्यूरो.