कोलकाता रेप केस में क्यों ममता पर लग रहा आरोपियों को बचाने का आरोप?

कोलकाता में जूनियर महिला डॉक्टर से रेप और हत्या के मामले में पूरे देश में विरोध प्रदर्शन हो रहा है. मृत महिला डॉक्टर को न्याय और सुरक्षा की मांग पर पूरे देश के डॉक्टरों ने एक साथ हड़ताल किया. कोलकाता के साथ-साथ पूरे देश में प्रदर्शन हो रहे हैं. भारतीय जनता पार्टी सहित विपक्षी पार्टी के नेता और वामपंथी छात्र संगठन एसएफआई की ओर से लगातार प्रदर्शन किया जा रहा है. हालांकि पुलिस ने इस मामले में आरोपी सिविक वॉलेंटियर संजय रॉय का गिरफ्तार किया है, लेकिन प्रदर्शनकारी इस मामले में और लोगों के शामिल होने के आरोप लगा रहे हैं और न्याय की मांग कर रहे हैं.
आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के प्रिंसिपल संदीप घोष की भूमिका पर सवाल उठाये गये. उनका तबादला कर दिया गया. फिर से उनकी नियुक्ति पर सवाल उठे और अब उन्हें 21 दिनों की छुट्टी पर भेज दिया गया. इस बीच, मामला कलकत्ता हाईकोर्ट तक पहुंच गया और कलकत्ता हाईकोर्ट ने पूरे मामले की सीबीआई जांच का आदेश दिया है. अब सीबीआई इस मामले की जांच कर रही है.
लेकिन इसे लेकर पूरे राज्य में बवाल मचा हुआ है. बीजेपी अब सीएम और पुलिस मंत्री ममता बनर्जी के इस्तीफे की मांग कर रही है. ममता बनर्जी पर आरोपियों को बचाने का आरोप लगाया जा रहा है. आइए जानते हैं कि आखिर क्यों ये आरोप लग रहे हैं? ये सवाल उठ रहे हैं कि कोलकाता रेप मामले में ममता बनर्जी पर आरोपियों को बचाने के आरोप क्यों लग रहे हैं? ममता बनर्जी आखिर इस मुद्दे को सुलझाने में क्यों असफल हो रही हैं? क्या अस्पताल प्रबंधन या पुलिस ने कोई ऐसी लापरवाही बरती, जिससे रेप और हत्या का मुद्दा पहले राज्य स्तर का और अब राष्ट्रीय स्तर का मुद्दा बन गया है?
अधिकारियों ने मौत को बताया आत्महत्या
जूनियर डॉक्टर की मौत के बाद सबसे पहले अस्पताल प्रबंधन की भूमिका पर सवाल उठे. अस्पताल प्रबंधन की ओर से मृतका की मां को फोन कर कहा गया है कि मृतका ने आत्महत्या किया है. बिना किसी जांच के किस तरह से अस्पताल के एक वरिष्ठ अधिकारी की ओर से मृतका की मां को फोन किया गया और रेप और हत्या के मामले (जिसकी पोस्टमार्टम में पुष्टि हुई है) उसे आत्महत्या करार दिया गया. ऐसे में सवाल है कि शव देख अधिकारियों ने महिला डॉक्टर के घर में कैसे बता दिया कि यह ‘आत्महत्या’ है.
सवाल यह है कि न तो पुलिस और न ही अस्पताल अधिकारी अनुभवहीन हैं. स्वाभाविक है कि उनमें शव देखकर यह समझने की क्षमता होगी कि यह हत्या है या आत्महत्या. इससे यह सवाल उठता है कि क्या यह अपराध छुपाने की कोशिश नहीं है? बाद में जब मृतक के मां और पिता अस्पताल पहुंचे तो तीन घंटे तक वे मिल नहीं पाए. इसे लेकर सवाल उठे हैं.
अधिकारियों के खिलाफ विभागीय जांच क्यों नहीं?
इसी तरह से जिस तरह से मृत डॉक्टर के बारे में रिपोर्ट बनाई गई थी. उसमें जिस तरह के घावों और चोटों के बारे में लिखा गया है, वे किसी एक व्यक्ति पर किसी एक व्यक्ति के अत्याचार से नहीं हो सकते. चाहे वह कितना भी ताकतवर क्यों नहीं हो. वहीं से अगला सवाल यह है कि अधिकारियों और व्यक्तियों के मामले में विभागीय जांच क्यों शुरू नहीं हुई? हत्या और बलात्कार का मामला हुआ, अधिकारियों को पता चला कि जांच शुरू करने से पहले ही ‘आत्महत्या’ की आड़ में घर के लोगों को बुला लिया. ऐसा लगता है कि जांच को गुमराह करने के लिए ऐसा किया गया होगा. बाकी अपराधियों को छुपाने की कोशिश इस मानसिकता में झलकती है. यह भी एक तरह का अपराध है. ऐसे में उनके खिलाफ जांच क्यों नहीं हुई?
क्यों नहीं था समिनॉर हॉल में सीसीटीवी कैमरा?
अदालतें, अस्पताल और पुलिस स्टेशन. इन तीनों जगहों पर अपराधियों का आना-जाना लगा रहता है. अपराधियों को कोर्ट केस, अस्पताल में इलाज और पुलिस स्टेशन में उपस्थिति के कारण इन तीन स्थानों पर जाना पड़ता है. इसलिए इन तीनों स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे का होना जरूरी है. यदि जहां जूनियर डॉक्टर की हत्या हुई. वहां कैमरा नहीं था. यह देखने की जिम्मेदारी किसकी है कि कैमरा ठीक से काम कर रहा है या नहीं, उसका नियमित रखरखाव हो रहा है या नहीं? उन्हें खराब बनाए रखने या उन्हें बदतर बनाने का अवसर लेने के लिए कौन जिम्मेदार है? यदि यह पाया गया कि अपराध के दौरान कैमरा काम नहीं कर रहा था, तो इसकी जिम्मेदारी किसकी है? सवाल उठाना जरूरी नहीं?
बगल वाले कमरे की रिपेयरिंग पर सवाल?
इसी तरह से जूनियर डॉक्टर के सेमीनार हॉल में शव मिलने पर भी सवाल किये जा रहे हैं. हालांकि प्रबंधन की ओर से कहा जा रहा है कि यहां रिपेयिरंग का काम होना था. वहां सीसीटीवी कैमरा नहीं था. यह बात तो समझ में आती है, लेकिन जिस तरह से सेमिनॉर हॉल के बगल वाले कमरे की रिपयरिंग की गई. उससे यह सवाल उठे कि क्या सबूतों से छेड़छाड़ करने के लिए तो नहीं किया गया है.
इसे लेकर बीजेपी ने ट्वीट किया है कि यह घृणित है! पश्चिम बंगाल गुस्से की आग में जल रहा है, फिर भी ममता बनर्जी और उनकी चाटुकार कोलकाता पुलिस एक क्रूर बलात्कार और हत्या को छिपाने में लगी हुई है.
बीजेपी ने ममता बनर्जी से किया सवाल?

This is an abomination! West Bengal is in flames with rage, yet Mamata Banerjee and her lapdog Kolkata Police are knee-deep in a filthy cover-up of a brutal rape and murder!
RG Kar Medical College authorities are smashing down walls, obliterating crucial evidence—evidence that pic.twitter.com/FF7sHYV43X
— BJP West Bengal (@BJP4Bengal) August 13, 2024

ट्वीट में कहा गया कि आरजी कर मेडिकल कॉलेज के अधिकारी दीवारों को तोड़ रहे हैं, महत्वपूर्ण सबूतों को मिटा रहे हैं. सबूत जो इस जघन्य कृत्य को अंजाम देने वाले दुष्ट राक्षसों को बेनकाब कर सकते थे. क्या यह ममता के बंगाल में सामान्य बात है, जहां बलात्कारियों और हत्यारों को इसलिए बचाया जाता है क्योंकि वे टीएमसी के अभिजात वर्ग से जुड़े हैं? चेस्ट मेडिसिन डिपार्टमेंट में तथाकथित ‘नवीनीकरण’ अपराध स्थल को मिटाने का एक घिनौना प्रयास है, जो उन दोषियों को बचाने के लिए है जिनके बारे में अफवाह है कि वे टीएमसी नेताओं के रिश्तेदार हैं. आपके शासन में बंगाल एक नरक बन गया है, जहां महिलाएं शिकार हैं और न्याय एक मजाक है. बहुत हो गया, बंगाल अब जवाबदेही मांग रहा है!

The obnoxiously shrill women MPs of the TMC couldnt muster the courage to use the words rape and murder pic.twitter.com/Vej2wfVVZ0
— Amit Malviya (@amitmalviya) August 14, 2024

बीजेपी नेता अमित मालवीय यह सवाल करते हैं कि टीएमसी की बेहद तीखी आवाज वाली महिला सांसद बलात्कार और हत्या जैसे शब्दों का इस्तेमाल करने का साहस नहीं जुटा सकीं…

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