कोलकाता रेप मर्डर केस: मंत्री अन्नपूर्णा देवी की ममता बनर्जी को चिट्ठी, क्या मांग की?

कोलकाता में 9 अगस्त को आरजी कर मेडिकल कॉलेज में जूनियर डॉक्टर के साथ रेप और मर्डर हुआ, जिसके बाद अब पूरे देश में पीड़िता को इंसाफ दिलाने की मांग उठ रही है. हाल ही में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी
ने पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी को पत्र लिखा.
मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने पत्र में सीएम बनर्जी से राज्य में बलात्कार एवं यौन अपराधों सहित बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत दर्ज मामलों के निपटारे के लिए समर्पित (फास्ट ट्रेक स्पेशल कोर्ट) (एफटीएससी) की स्थापना करने और उनके संचालन में तेजी लाने के लिए कहा.
मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने इससे पहले भी 25 अगस्त को सीएम बनर्जी को पत्र लिखा था, जिसका जवाब सीएम ने दिया था, जिसके बाद अब बाल विकास मंत्री ने सीएम के जवाब पर फिर एक बार 30 अगस्त को पत्र लिखा. 30 अगस्त को लिखे पत्र में मंत्री ने राज्य की मौजूदा फास्ट ट्रेक कोर्ट(एफटीसी) को लेकर चिंता व्यक्त की और मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि वह सुनिश्चित करें कि जघन्य अपराधों के पीड़ितों को जल्द से जल्द इंसाफ दिया जा सके.
अन्नपूर्णा देवी ने लिखा पत्र
केंद्रीय मंत्री ने इससे पहले 25 अगस्त को अपने लिखे गए पत्र का जिक्र किया, जिसमें उन्होंने बलात्कार और हत्या जैसे अपराधों के लिए कड़े कानून बनाने और कठोर सजा देने की जरूरत पर जोर दिया था. मंत्री के 25 अगस्त के पत्र के बाद सीएम ममता ने उसका जवाब दिया था और कहा था कि राज्य में 88 एफटीसी हैं, जिसपर अब पत्र लिखकर अन्नपूर्णा देवी ने कहा, पश्चिम बंगाल ने 88 एफटीसी स्थापित किए हैं, लेकिन ये केंद्र सरकार की योजना के तहत अनुशंसित एफटीएससी (फास्ट ट्रेक स्पेशल कोर्ट) के बराबर नहीं हैं.
उन्होंने कहा कि राज्य में एफटीसी केवल बलात्कार और पॉक्सो मामलों के लिए समर्पित होने के बजाय महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों से जुड़े अपराध के निपटारे के लिए भी की जाती है. यह कोर्ट सिर्फ महिलाओं और बच्चों के संग हुए रेप और पॉक्सो एक्ट के लिए नहीं होती, जबकि फास्ट ट्रेक स्पेशल कोर्ट सिर्फ यौन उत्पीड़न, रेप और पोक्सो एक्ट के लिए बनाया गया है.
क्या मांग की?
मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने राज्य की न्याय प्रणाली में लंबित मामलों का जिक्र किया और कहा की राज्य में फास्ट ट्रेक कोर्ट में 30 जून 2024 में 81,000 से ज्यादा मामले लंबित हैं, उन्होंने चिंता व्यक् करते हुए कहा, लंबित पड़े मामलों में 48,600 केस पॉक्सो और रेप से जुड़े हैं इसके बावजूद भी राज्य ने 11 एफटीएससी के संचालन का काम अभी तक शुरू नहीं किया है.
अपने पत्र में अन्नपूर्णा देवी ने एफटीएससी में न्यायिक अधिकारियों की नियुक्ति के मुद्दे का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा, एफटीएससी में ऐसे न्यायिक अधिकारियों को शामिल किया जाता है, जो बलात्कार और पॉक्सो अधिनियम के तहत आने वाले अपराधों के मामलों पर काम करते हैं, उन्होंने कहा ऐसे पदों के लिए कोई स्थायी नियुक्ति नहीं की जानी चाहिए।
यौन उत्पीड़न को लेकर कानून सख्त
अन्नपूर्णा देवी ने कहा देश में रेप जैसे अपराध से निपटने के लिए भारतीय न्याय संहिता में पहले से ही कठोर दंड का प्रावधान है, जिसमें बलात्कार के लिए न्यूनतम 10 वर्ष की जेल की सजा सुनाई जाती है, जिसे अपराध की गंभीरता के आधार पर आजीवन कारावास या यहां तक ​​कि मृत्युदंड तक में बदला जा सकता है. उन्होंने ऐसे मामलों की समय पर जांच और सुनवाई के लिए भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) के प्रावधानों का भी जिक्र किया, जिसमें अपराध के दो महीने के भीतर अनिवार्य फॉरेंसिक जांच का प्रावधान शामिल है.
अपने पत्र में अन्नपूर्णा देवी ने पश्चिम बंगाल सरकार से कोलकाता की निर्भया को जल्द से जल्द इंसाफ दिलाने की मांग की और केंद्रीय कानून को पूरी तरह लागू करने और मामलों को उचित तरीके और जल्द से जल्द निपटाने के लिए सक्रिय कदम उठाने का आग्रह किया. उन्होंने महिलाओं के साथ हो रही हिंसा और भेदभाव से मुक्त एक सुरक्षित समाज बनाने के महत्व पर जोर दिया.

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *