कौन मालिक, किसकी है दुकान…मुजफ्फनगर में कांवड़ा यात्रा से पहले क्यों छिड़ा नाम पर संग्राम?
दुकान का नाम दुर्गा का मिष्ठान भंडार, लेकिन मालिक दानिश, इसी तरह कृष्णा टी स्टॉल लेकिन उसे चलाने वाले का नाम कामरान.. यह सिर्फ उदाहरण हैं. जो मुजफ्फरनगर प्रशासन के उस आदेश से जोड़कर देखे जा रहे हैं, जिसमें कांवड़ यात्रा में रेहड़ी या दुकान लगाने वालों को नाम लिखने का आदेश दिया गया है. प्रशासन के इस आदेश के बाद से देश भर में एक अलग ही बहस छिड़ गई है. कोई इसे सही बता रहा है तो कोई फैसले पर सवाल उठा रहा है.
उत्तर प्रदेश में दुकान और दुकान मालिक के नाम बताने वाले आदेश पर विवाद छिड़ गया है. 4 दिन बाद सावन का पवित्र महीना शुरू हो रहा है. हरिद्वार से गंगा जल भरने के बाद देश के अलग-अलग हिस्सों में कांवड़िये जाते हैं. इस क्रम में उत्तर प्रदेश के बड़े इलाके से शिवभक्त कांवड़ यात्री गुजरते हैं, जिसमें मुजफ्फरनगर एक बड़ा केंद्र है. इसी को देखते हुए मुजफ्फरनगर पुलिस ने खाने-पीने की दुकानों के लिए एक आदेश जारी किया है, जिसमें दुकान के बाहर मालिक और कर्मचारी का नाम लिखने को कहा गया है.
यह हैं आदेश
आदेश के मुताबिक फल की रेहड़ी लगाने वालों को अपना नाम रेहड़ी पर लिखना होगा. वो गलत नाम नहीं लिख सकते हैं, गलत नाम पर फल बेचने वालों पर कार्रवाई होगी. इसी तरह होटल मालिक को अपना और अपने कर्मचारी का नाम होटल के बोर्ड पर लिखना होगा, जिससे कांवड़ यात्रियों को ये जानकारी मिल पाए कि वो जिस होटल से खाना ले रहे हैं या फिर जिस दुकान से फल खरीद रहे हैं वो किसका है, उनका नाम क्या है. मुजफ्फरनगर प्रशासन के इस आदेश का असर भी दिखने लगा है. कई जगहों पर फलों का ठेला लगाने वाले अब अपने ठेलों पर अपने अपने नाम के पोस्टर भी लगाए हुए दिखाई दे रहे है.
आदेश का हो रहा विरोध
कई राजनीतिक दल और सामाजिक संगठन मुजफ्फरनगर प्रशासन के इस आदेश का विरोध कर रहे हैं. समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस फैसले का विरोध करते हुए एक सोशल मीडिया पोस्ट किया है. उन्होंने लिखा-जिसका नाम गुड्डू, मुन्ना, छोटू या फत्ते है, उसके नाम से क्या पता चलेगा? उन्होंने आगे लिखा कि कोर्ट को इस फैसले पर खुद संज्ञान लेना चाहिए. AIMIM के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी भी इस आदेश के खिलाफ खड़े हुए और उन्होंने इसकी तुलना हिटलर के फैसले से की है. उन्होंने लिखा कि अब हर ठेले के मालिक को अपना नाम बोर्ड पर लगाना होगा, ताकि कोई कांवड़िया गलती से मुसलमान की दुकान से कुछ न खरीद ले. मशहूर लेखकर जावेद अख्तर ने भी इस फैसले पर सवाल उठाए और इसकी तुलना जर्मनी के नाजी काल से की, जबकि कांग्रेस पूछ रही है ये मुसलमानों के आर्थिक बॉयकॉट की दिशा में उठाया गया कदम है या दलितों के आर्थिक बॉयकॉट का ?
मुजफ्फरनगर पुलिस ने दी सफाई
नाम बताने वाले आदेश पर नॉनस्टॉप राजनीति के बीच मुफ्फरनगर पुलिस प्रशासन की तरफ से बयान आया है. डीएम और एसपी दोनों ने कहा है कि नाम लिखने वाला आदेश सिर्फ कांवड़ यात्रा मार्ग में सावन महीने के लिए ही है. कांवड़ियों और स्थानीय दुकानदारों में किसी तरह का विवाद ना हो, इसलिए ऐसा किया गया है. हालांकि स्थानीय दुकानदार और ठेले वाले नाम लिखने वाले आदेश को सही बता रहे हैं उनका तर्क है कि कांवड़ यात्रा के दौरान किसी तरह की समस्या ना हो, इसके लिए जरूरी है कि पहले से उपाय किए जाएं, जो हो भी रहे हैं.
– Tv9ब्यूरो