कौन हैं ईरान के नए राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियान, क्या बदलेगा हिजाब कानून?
Iranian Presidential Election 2024: सुधारवादी नेता मसूद पेजेश्कियान ने ईरान के राष्ट्रपति चुनाव में जीत हासिल कर ली है. उन्होंने अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी कट्टरपंथी नेता सईद जलील को करीब 9 प्रतिशत वोटों के अंतर से हराया. चुनाव नतीजों के मुताबिक मसूद पेजेश्कियान को 53.3 प्रतिशत वोट मिले जबकि सईद जलील को 43.3 प्रतिशत वोट मिले.
इस साल ईरान में हेलीकॉप्टर दुर्घटना में पूर्व राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की मौत हो गई थी. इसके बाद ईरान के राष्ट्रपति चुनाव हुए. अब ईरान को मसूद पेजेश्कियान के रूप में नया राष्ट्रपति मिल गया है. वहीं, सवाल यह है कि क्या पेजेश्कियान के राष्ट्रपति बनने से भारत और ईरान के रिश्ते पहले की तरह मजबूत रहेंगे या सत्ता फेरबदल से खटास बढ़ेगी…
कौन हैं मसूद पेजेश्कियान?
ईरान के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियान का जन्म उत्तर-पश्चिमी ईरान के महाबाद में 29 सितंबर 1954 को हुआ. पेजेश्कियान पेशे से एक हार्ट सर्जन रहे हैं. इससे पहले भी उन्होंने 2013 और 2021 में दो बार राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ा था, लेकिन सफलता नहीं मिल सकी थी. मसूद 2008 से उत्तर-पश्चिमी शहर ताब्रीज से सांसद हैं.
पेजेश्कियान को पूर्व राष्ट्रपति हसन रूहानी का करीबी माना जाता हैं. उन्होंने 2015 के परमाणु समझौते को पुनर्जीवित करने में भी साकारात्म भूमिका निभाई थी. मसूद पेजेश्कियान पश्चिमी ईरान से आने वाले देश के पहले राष्ट्रपति हैं. पेजेश्कियान ने मोहम्मद खातमी की सरकार में 2001 से 2005 तक स्वास्थ्य मंत्री का पद संभाला था.
हिजाब कानून को लेकर महिलाओं पर जबरन हिजाब को लागू करने को लेकर मसूद पेजेश्कियान जमकर विरोध व्यक्त करते हैं. ईरानी मीडिया के मुताबिक चुनाव के दौरान उन्होंने कहा था कि, उनका मानना है कि किसी महिला के सिर से न तो जबरन हिजाब हटाना मुमकिन है और न ही उसके साथ जबरदस्ती करके हिजाब लागू करना मुमकिन है.
भारत और ईरान के रिश्ते का क्या?
भारत और ईरान के बीच कई क्षेत्रों में मैत्रीपूर्ण और व्यापारिक संबंध हैं. भारत को कच्चे तेल के आयात और ईरान को डीजल के निर्यात के मामले में दोनों के बीच अच्छे संबंध हैं. वहीं, चाबहार बंदरगाह को लेकर भी ईरान और भारत के बीच एक बड़ी डील हुई है. यह डील दोनों देशों के रिश्तों के साथ-साथ व्यापारिक दृष्टिकोण से भी काफी अहम है.
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चाबहार बंदरगाह डील पूर्व राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी के निधन से पहले ही हो गई थी हालांकि, इस परियोजना को लेकर ईरान के राजदूत राज इलाही ने साफ कहा है कि भारत के साथ विदेश नीति और आंतरिक नीति में कोई बदलाव नहीं होगा. उन्होंने यह भी कहा कि किसी के राष्ट्रपति बनने से भारत के साथ ईरान के रिश्ते में कोई बदलाव नहीं होगा.
वहीं, मसूद पेजेश्कियान के राष्ट्रपति बनने के बाद ईरान के भारत के साथ रिश्ते और मजबूत होने की संभावना है. साथ ही, दोनों देशों का फोकस चाबहार बंदरगाह पर रहेगा. इस डील से दोनों देशों के साथ-साथ यूरोप और मध्य एशिया के बीच निवेश के कई रास्ते खुलेंगे.