कौन होते हैं सिविक वॉलेंटियर? कोलकाता में डॉक्टर रेप केस से क्यों आए चर्चा में, जानिए
कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में जूनियर डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या के सिलसिले में कोलकाता पुलिस ने सिविक वॉलेंटियर संजय रॉय को गिरफ्तार किया है. शुक्रवार की रात को जूनियर डॉक्टर की रेप के बाद हत्या मामले की जांच के लिए कोलकाता पुलिस ने सात सदस्यीय विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया. एसआईटी ने कोलकाता पुलिस के सिविक वॉलेंटियर संजय रॉय को गिरफ्तार किया. गिरफ्तार करने के बाद पुलिस ने उसे कोर्ट में पेश किया. फिलहाल वह 14 दिनों की पुलिस रिमांड पर है.
इस घटना के बाद से जूनियर डॉक्टर्स कोलकाता में लगातार विरोध प्रदर्शन और हड़ताल कर रहे हैं. मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल को हटाने और न्याय की मांग कर रहे हैं. इस मामले को लेकर बंगाल के साथ-साथ पूरे देश की सियासत गरमा गयी है. न्याय और डॉक्टरों की सुरक्षा की मांग पर सोमवार को देशभर के डॉक्टर हड़ताल करेंगे.
लेकिन इस दुष्कर्म कांड के साथ ही सिविक वॉलेंटियर भी चर्चा में आ गये हैं. इस बात को लेकर लोगों में जिज्ञासा है कि सिविक वॉलेंटियर कौन होते हैं और उसका क्या काम है? आरोपी सिविक वॉलेंटियर अस्पताल में क्या कर रहा था?
कौन हैं सिविक वॉलेंटियर?
पश्चिम बंगाल सरकार की वेबसाइट के अनुसार पश्चिम बंगाल और कोलकाता में पुलिस के कामकाज में मदद के लिए सिविक वॉलेंटियर पद का सृजन किया गया है. आधिकारिक तौर पर इन्हें सिविक वॉलेंटियर कहा जाता है, फिर भी कई लोग इन्हें ‘सिविक पुलिस’ कहते हैं.
यह बल मूल रूप से बंगाल में पुलिस की सहायता के लिए बनाया गया था. हालांकि, ऐसे कई उदाहरण हैं, जहां सिविक वॉलेंटियर खुद को पुलिस के बराबर मानते हैं. इनकी नियुक्ति कांट्रैक्ट पर होती है और पुलिस की ओर से मासिक पारिश्रमिक दिया जाता है.
वामपंथी शासन के दौरान सिविक वॉलेंटियर जैसा कोई पुलिस बल नहीं था. साल 2008 में, नगरपालिका विभाग ने कोलकाता में यातायात को नियंत्रित करने के लिए ‘ग्रीन पुलिस’ नामक एक बल का गठन किया. इस टीम को बनाने की मुख्य पहल ममता बनर्जी की सरकार के गठन के बाद 2012 में शुरू हुई थी.
बंगाल में एक लाख से अधिक हैं सिविक वॉलेंटियर्स
पश्चिम बंगाल सरकार की वेबसाइट के अनुसार, अपर्याप्त पुलिस कर्मियों के कारण 2013 में 40,000 पुलिस अधिकारियों और 1.3 लाख ‘सिविक पुलिस वॉलेंटियर’ की भर्ती करने का निर्णय लिया गया था.
वेबसाइट पर यह भी बताया गया है कि इस टीम में 1,19,916 लोगों की भर्ती की गई है. प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, बल के गठन के पीछे मूल विचार पुलिस की सहायता के लिए अनुबंध के आधार पर सिविक वॉलेंटियर की भर्ती करना था. अनुबंध को हर छह महीने में नवीनीकृत किया जाना था. उनकी प्राथमिक जिम्मेदारियों में यातायात नियंत्रण और मेलों और त्योहारों में भीड़ का प्रबंधन करना शामिल था.
आरोपी सिविक वॉलेंडियर संजय रॉय कौन है?
संजय रॉय 2019 में कोलकाता पुलिस के आपदा प्रबंधन समूह में एक सिविक वॉलेंटियर के रूप में शामिल हुआ, लेकिन कोलकाता पुलिस के कल्याण प्रकोष्ठ में स्थानांतरित होने के लिए उसने अपने राजनीतिक संबंधों का इस्तेमाल किया और आरजी कर अस्पताल में अपनी नियुक्ति करवाई.
संजय रॉय को कई मौकों पर आरजी कर अस्पताल में पुलिस चौकी पर नियुक्त किया गया था, कभी-कभी लंबी अवधि के लिए, जिससे उन्हें अस्पताल के सभी विभागों में आसानी से पहुंच मिलती थी.
टूटे ईयरफोन से पकड़ा गया सिविक वॉलेंटियर
जूनियर डॉक्टर से रेप और हत्या के मामले की जांच के दौरान पुलिस को इमरजेंसी विभाग की बिल्डिंग की तीसरी मंजिल पर सेमिनार कक्ष में एक टूटा हुआ ईयरफोन मिला था. जहां शुक्रवार को जूनियर डॉक्टर का शव मिला था, जिससे उसकी पहचान हुई.
सीसीटीवी फुटेज में संजय रॉय को सुबह 4 बजे अपने गले में ब्लूटूथ डिवाइस लटकाए हुए इमरजेंसी विभाग में प्रवेश करते हुए देखा गया. जब वह 40 मिनट बाद भवन से बाहर निकला, तो ईयरफोन दिखाई नहीं दे रहा था. बाद में पता चला कि डिवाइस उसके सेलफोन से जुड़ी हुई थी. उसी आधार पर पुलिस ने उसे रेप और हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया. बाद में उनसे आरोप स्वीकार भी कर लिया.
इससे पहले भी सिविक वॉलेंटियर पर उठे थे सवाल
इससे पहले अनीस खान हत्याकांड में भी सिविक वॉलेंटियर को लेकर विवाद सामने आया था. उस समय राज्य को कोर्ट में सवालों का सामना करना पड़ा था. जस्टिस राजशेखर मंथा ने सिविक वॉलेंटियर के लिए गाइडलाइन बनाने का आदेश दिया था. राज्य पुलिस आईजी को ये गाइडलाइन तैयार कर कोर्ट में जमा करने का निर्देश दिया गया था. पुलिस ने इस बाबत गाइडलाइन भी कोर्ट में जमा दी थी, लेकिन अब फिर से सिविक वॉलेंटियर के कामकाज को लेकर सवाल उठे हैं.