क्या अमेरिकी मंदी के संकेतों को हजम कर गया भारत का बाजार? तीन दिनों के बाद D-Street में लौटी बहार
बीते से 3 से 4 कारोबारी दिनों में अंतर्राष्ट्रीय बाजारों की अमेरिकी मंदी के संकतों की वजह से देखने को मिल रही थी. उसका असर भारत के शेयर बाजार में देखने को मिल रहा था. शुक्रवार को जो आंकड़ा निकलकर सामने आया. उसने देश के निवेशकों को हिलाकर रख दिया था. 1000 से ज्यादा अंकों की गिरावट और 5 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का मार्केट कैप को नुकसान. ये कोई मामूली घटना नहीं थी. इस गिरावट का प्रमुख कारण था अमेरिकी अर्थव्यवस्था में मंदी के संकेत.
वहीं सप्ताह के पहले कारोबारी दिन शेयर बाजार के लगातार तीन दिनों की गिरावट को पीछे छोड़ते हरे निशान पर ओपन हुआ हुआ और करीब 470 अंकों की तेजी देखने को मिली. वैसे ये तेजी एक फीसदी का भी रिटर्न नहीं देकर गई, लेकिन निवेशकों और विश्लेशकों के मन में एक सवाल जरूर खड़ा कर गई कि क्या भारत का बाजार अमेरिकी मंदी के संकेतों को हजम कर गया है? क्या आने वाले दिनों में भारत के दलाल स्ट्रीट पर बुल रन देखने को मिलेगा? क्या भारत के निवेशक अमेरिकी इकोनॉमी को नजरअंदाज कर शेयर बाजार में निवेश करना जारी रखेंगे? क्या विदेशी निवेशक भारत जैसे ओवरवैल्यूड बाजार में भरोसा कायम रख सकेंगे?
ये तमाम सवाल जरूर मुश्किल हैं, लेकिन इनके जवाब तलाशना इसलिए भी बेहद जरूरी है, क्योंकि अमेरिकी प्रेजीडेंशियल इलेक्शन से पहले और उसके दौरान कम से कम दो बार फेड रिजर्व को मीटिंग करनी है. फेड रिजर्व के फैसलों का असर भारत के बाजार और निवेशकों पर साफ दिखाई दे सकता है. आइए शेयर बाजार के आंकड़ों से समझने की कोशिश करते हैं कि आखिर सेंसेक्स और निफ्टी की चाल किस तरह की देखने को मिली है.
सेंसेक्स और निफ्टी में तेजी
पिछले सप्ताह के जॉब डाटा आने के बाद अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर बनी चिंताओं के बावजूद, बैंकिंग और कंज्यूमर शेयरों में बढ़त के कारण भारतीय प्रमुख इक्विटी सूचकांक, सेंसेक्स और निफ्टी 50 सोमवार को तेजी के साथ बंद हुए. अमेरिका से आए आंकड़ों ने लेबर मार्केट में निरंतर मंदी का संकेत दिया. बीएसई बेंचमार्क सेंसेक्स 375 अंक या 0.46 फीसदी बढ़कर 81,559 पर बंद हुआ, जबकि कारोबारी सत्र के दौरान सेंसेक्स 81,653.36 अंकों पर पहुंच गया था. वैसे सेंसेक्स मामूली गिरावट के साथ 80,973.75 अंकों पर ओपन हुआ था. दूसरी ओर नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का प्रमुख सूचकांक निफ्टी 93 अंक या 0.34 फीसदी बढ़कर 24,936 पर बंद हुआ. कारोबारी सत्र के दौरान निफ्टी 25 हजार अंकों के करीब यानी 24,957.50 अंकों के साथ दिन के हाई पर पहुंच गया. वैसे निफ्टी अंकों पर ओपन हुआ था.
इन कंपनियों के शेयरों में उछाल
सेंसेक्स पर एचयूएल, आईसीआईसीआई बैंक, आईटीसी, कोटक बैंक, इंडसइंड बैंक, एक्सिस बैंक, एचडीएफसी बैंक और नेस्ले इंडिया 0.5% से 3% तक की बढ़त के साथ टॉप पर रहे. इसके विपरीत, टेक महिंद्रा, टाटा स्टील, एनटीपीसी, टाटा मोटर्स और पावर ग्रिड लाल निशान में बंद हुए. बजट एयरलाइन स्पाइसजेट लगभग 137.6 मिलियन डॉलर के एयरक्राफ्ट लीज के रिस्ट्रक्चर के लिए कार्लाइल एविएशन मैनेजमेंट के साथ एक समझौता करने के बाद 4 फीसदी से अधिक पर बंद हुआ. ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन (ओएनजीसी) से 1,402 करोड़ रुपए के ऑर्डर के बाद एनर्जी सॉल्यूशन प्रोवाइडर डीप इंडस्ट्रीज 20 फीसदी के अपर सर्किट के साथ बंद हुई.
सेक्टोरल मोर्चे पर, गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स, डाबर और यूबीएल के नेतृत्व में निफ्टी एफएमसीजी 2% से अधिक बढ़ा, जबकि निफ्टी बैंक 1% से अधिक बढ़ा. इस बीच, घरेलू स्तर पर अधिक केंद्रित छोटे और मिड-कैप सूचकांकों में क्रमशः 0.93% और 0.26% की गिरावट आई. इस बीच, बीएसई पर सभी सूचीबद्ध कंपनियों का बाजार मार्केट कैप 11,913 करोड़ रुपये बढ़कर 460.3 लाख करोड़ रुपये हो गया. बाजार का दायरा मंदड़ियों के पक्ष में झुका हुआ था. बीएसई पर लगभग 2,388 शेयरों में तेजी आई, 1,651 शेयरों में गिरावट आई और 142 शेयरों में कोई बदलाव नहीं हुआ.
क्या कहते हैं जानकर?
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के रिसर्च हेड विनोद नायर ने मीडिया रिपोर्ट में कहा कि कमजोर वैश्विक संकेतों के बीच नकारात्मक शुरुआत के बावजूद, घरेलू बाजार ने पिछले सप्ताह की भारी गिरावट से कुछ सुधार दिखाया. बाजार मौजूदा समय में अमेरिका में संभावित दर में कटौती और मंदी की आशंकाओं के बीच स्थिरता हासिल करने का प्रयास कर रहा है. अमेरिकी जॉब डाटा में मौजूदा रुझान से पता चलता है कि फेड रिजर्व की ओर संभावित 25 बीपीएस की कटौती पर्याप्त नहीं हो सकती है. इसका मतलब है कि अगर ब्याज दरों में 0.25 फीसदी से ज्यादा कटौती होगी तो शेयर बाजार में अच्छी तेजी देखने को मिल सकती है.