क्या इंश्योरेंस पर पूरा होगा सरकार का सपना, जीएसटी खत्म होने से आम आदमी को ऐसे मिलेगा फायदा
लाइफ और मेडिकल इंश्योरेंस आज हर किसी की जरुरत बन गया है लेकिन महंगाई के चलते हर कोई इसे ले सके ये संभव नहीं है. लेकिन सरकार ने साल 2047 तक हर किसी लिए बीमा या इंश्योरेंस फॉर ऑल की योजना बनाई है. जिसका मकसद है कि देश के सभी नागरिकों के पास 2047 तक जीवन और मेडिकल इंश्योरेंस हो. वहीं, हाल ही में केंद्रीय मंत्री ने भी बीमा पर से GST को मांग उठाई थी जिसकी चर्चा अब संसद में भी हो रही है. अगर बीमा से टैक्स हट जाता है तो आम आदमी के लिए ये कैसे फायदेमंद होगा और सरकार का इंश्योरेंस फॉर ऑल सपना कैसे पूरा हो सकता है आइए जानते हैं.
लेकिन पॉलिसीधारकों का कहना है कि इश्योरेंस एक ऐसा प्रोडक्ट है जहां अधिकांश लाभार्थियों को तभी फायदा मिलता है जब उन्हें मृत्यु या अस्पताल में भर्ती होने जैसी स्थिति का सामना करना पड़ता है. इसका मतलब यह है कि कुछ मामलों में, वे प्रीमियम और हाई टैक्स का भुगतान करेंगे लेकिन फायदा नहीं उठा पाएंगे.
सस्ते हो जाएंगे लाइफ और मेडिकल इंश्योरेंस?
फिलहाल लाइफ और मेडिकल इंश्योरेंस पर सरकार द्वारा लगाया गया GST 18 फीसदी है. इसे हटाए जाने की मांग लंबे समय से चल रही है और अब नागपुर रीजन के LIC कर्मचारी संघ की ओर से केंद्रीय सड़क और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को सौंपे गए ज्ञापन में इसे हटाने का आग्रह किया गया, जिसे संज्ञान में लेते हुए नितिन गडकरी ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को एक पत्र लिखकर जीएसटी हटाने की मांग की. अगर इस मांग को मान लिया जाता है और तो फिर लाइफ और मेडिकल इंश्योरेंस सस्ते हो सकते हैं और हर आदमी को लाइफ और मेडिकल इंश्योरेंस का फायदा मिल सकता है.
फाइनेंशियल सर्विस के तौर पर लगता है
GST 1 जुलाई 2017 में पूरे देश में लागू किए गए वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) ने भारत के टैक्स सिस्टम में बड़ा बदलाव किया है और तब से पूरे देश में अलग-अलग कर की जगह एक ही कर लगाया जाता है. GST के एक अप्रत्यक्ष कर होता है, जो कि घरेलू उत्पाद, कपड़े, उपभोक्ता वस्तुओं, इलेक्ट्रॉनिक्स, परिवहन, रियल एस्टेट के साथ ही सेवाओं पर लगाया जाता है. बीमा को भी एक फाइनेंशियल सर्विस मानते हुए इस कैटेगरी में शामिल किया जाता है. टर्म इंश्योरेंस और मेडिकल इंश्योरेंस दोनों पर एक समान 18 फीसदी की दर से जीएसटी लगता है.
वहीं, सरकार ने 24,500 करोड़ रुपये हेथ इंश्योरेंस पर जीएसटी कलेक्शन किया है. हेल्थ इंश्योरेंस पर जीएसटी का कलेक्शन Rs 24,529 रहा, इसका आधा 12,264 करोड़ राज्य से SGST में जाता है. उन्होंने एक्स पर पोस्ट में लिखा, भारत सरकार अकेले हेल्थ इंश्योरेंस पर 18 % जीएसटी दरों में कटौती नहीं कर सकती है.
कैसे बढ़ जाता है प्रीमियम का खर्च?
टर्म और मेडिकल इंश्योरेंस की बात करें, तो इसके लिए जीएसटी कुल प्रीमियम राशि पर लागू किया जाता है. इसे उदाहरण के तौर पर समझें, तो अगर आपका कोई मेडिकल इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदते हैं और इसका कवरेज 5 लाख रुपये है, तो प्रीमियम लागत करीब 11,000 रुपये साल होती है. अब इसपर 18 फीसदी की दर से जो जीएसटी लगाया जाता है, उसका कैलकुलेशन करें तो [11000/(100 + 18%)] यानी अपने हर प्रीमियम पर आपको 1980 रुपये का अतिरिक्त भुगतान जीएसटी के रूप में करना होता है और आपका प्रीमियम 12,980 रुपये हो जाता है. इस तरीके से जीएसटी लागू होने के बाद स्वास्थ्य बीमा खरीदने वाले पॉलिसी खरीदारों को अधिक प्रीमियम राशि का पेमेंट करना पड़ता है.