क्या इस बार भी टैक्स को लेकर संसद में दिखेगी शांति? बजट से पहले अर्थशास्त्रियों का बड़ा अनुमान

23 जुलाई को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पूर्ण बजट पेश करने जा रही हैं. इसके लिए सभी तैयारियां पूरी हो चुकी है. अब इंतजार वित्त मंत्री के बजट भाषण का है. इसके साथ आम टैक्सपेयर भी एक और चीज के इंतजार में बैठे हैं और वह ये है कि सरकार बजट में टैक्स छूट या टैक्स लिमिट को लेकर कोई बड़ा ऐलान कर दे. लेकिन इसपर एक्सपर्ट अपना अलग-अलग बयान दे रहे हैं. कुछ का मानना है कि इस बार के बजट में सरकार टैक्स को लेकर कोई बड़ा ऐलान नहीं कर सकती है.
लोकसभा चुनाव में भाजपा को पूर्ण बहुमत नहीं मिलने के बीच बजट में टैक्स मोर्चे पर राहत के बारे में पूछे जाने पर राष्ट्रीय लोक वित्त एवं नीति संस्थान (एनआईपीएफपी) में प्रोफेसर एन आर भानुमूर्ति ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि चुनाव नतीजों का डायरेक्ट टैक्स नीति पर असर पड़ेगा. चूंकि निजी खपत चिंता का विषय है, ऐसे में जीएसटी परिषद को अपनी दरों को कम करने पर विचार करना चाहिए, खासकर तब जब टैक्स कलेक्शन रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुका है.
कम ही लोग देते हैं इनकम टैक्स
म्यूनिख स्थित इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस के संचालन प्रबंधन मंडल की सदस्य की भी जिम्मेदारी निभा रही चक्रवर्ती ने कहा टैक्स दरों में कमी से लोगों के हाथों में खर्च करने लायक आय में वृद्धि होगी और यह उपभोग को बढ़ावा दे सकता है, लेकिन हमें ध्यान रखना होगा कि देश की आबादी का केवल एक छोटा हिस्सा (लगभग चार प्रतिशत) ही इनकम टैक्स पे करता है.
बजट में प्राथमिकता के बारे में आरबीआई निदेशक मंडल के सदस्य की भी जिम्मेदारी निभा रहे चतुर्वेदी ने कहा कि बजट में पहले से चिन्हित सभी सात प्राथमिकताओं, समावेशी विकास, अंतिम छोर तक पहुंच, बुनियादी ढांचा और निवेश, क्षमता का उपयोग, हरित विकास, युवा शक्ति और वित्तीय क्षेत्र के विस्तार पर ध्यान जारी रखा जाना चाहिए.
लग गया लंबा समय
अस्सी करोड़ आबादी को मुफ्त अनाज योजना से जुड़े सवाल के जवाब में चतुर्वेदी ने कहा, भारत ने काफी प्रयासों के बाद 35 करोड़ से अधिक लोगों को बहुआयामी गरीबी से बाहर निकाला है. उन्हें फिर से उसी स्थिति में जाने से रोकने के लिए सभी प्रयास किए जाने चाहिए. खाद्य कार्यक्रम उस स्तर पर समाधान का सिर्फ एक हिस्सा है. सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों का विकास, बेहतर स्वास्थ्य कवरेज और स्वच्छता तक पहुंच के लिए निरंतर प्रयास समान रूप से महत्वपूर्ण होंगे. कोविड के दौरान शुरू किए गए खाद्य योजना जैसे सभी उपायों पर पुनर्विचार की आवश्यकता है. इसके बजाय ग्रामीण विकास जैसे अन्य क्षेत्र हैं, जिनपर सरकार को ध्यान देने की जरूरत है.

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