क्या एआई की मदद से हो सकता है गठिया का इलाज? एक्सपर्ट से जानें
गठिया आज एक नॉर्मल प्रॉब्लम बन गई है लेकिन एक समय था जब ज्यादा उम्र वाले लोग इसकी चपेट में आते थे. आज 30 साल की उम्र वाला युवा भी इसका शिकार हो रहा है. आज दुनिया भर में लाखों लोग इससे प्रभावित है. मरीजों की संख्या बढ़ने के अलावा इस बीमारी के होने पर शरीर में दूसरी समस्याएं भी परेशान करती हैं. क्या आप जानते हैं कि एआई का आना गठिया से राहत पानी में एक अहम कदम साबित हो सकता है. इसकी टेकनिक्स के जरिए मरीजों का इलाज किया जा सकता है. एआई इस बीमारी के ट्रीटमेंट में काफी मदददार बन सकता है.
एआई उन महत्वपूर्ण और कारगर क्षेत्रों में से एक जो पर्याप्त प्रभाव डाल सकता है. आने वाले समय में ये गठिया को जल्दी ठीक करने और रोग से बचाने में अहम भूमिका निभा सकता है. एक्सपर्ट कहते हैं कि ये मशीन कई तरह से काम कर सकती है. इसके जरिए गठिया की शुरुआत के संकेत देने वाले पैटर्न और मार्करों की पहचान की जा सकती है.
इस तरह ये रोगी की मेडिकल हिस्ट्री, इमेजिंग स्कैन और बायोमार्कर सहित दूसरे जरूरी डेटा का विश्लेषण किया जा सकता है. डॉ. अभिषेक कहते हैं कि ये आरए की शुरुआत के पहले महीनों में सही समय पर जांच और इलाज से रोगों की संख्या काफी कम हो जाती है. या फिर बीमारी को समय रहते ठीक भी किया जा सकता है.
इलाज के लिए कैसे काम करता है एआई
मणिपाल हॉस्पिटल में रुमेटोलॉजी विभाग में एचओडी डॉ.अभिषेक पाटिल बताते हैं कि ये तकनीक चिकित्सा उपकरण और व्यक्तिगत उपचार योजनाएं डेवलप कर सकती है. इस तरह रोगी विशिष्ट डेटा, जैसे जेनेटिक प्रोफाइल और बीते इलाजों की प्रतिक्रियाओं का विश्लेषण कर सकते हैं. इलाज का ये तरीका सेफ साबित हो सकता है और इससे पहले के मुकाबले बेहतर रिजल्ट मिल सकते हैं. बताया जाता है कि एआई एल्गोरिदम बारीकी से एक्स-रे, एमआरआई और सीटी स्कैन जैसी रेडियोलॉजिकल में बेस्ट रिजल्ट दे सकता है.
दरअसल, ये छोटे से छोटे बदलावों का काफी हद तक पता लगा सकते हैं और मरीज के शरीर में बीमारी की गंभीरता को आसानी से माप सकता है. इस तरह की तकनीक से रेडियोलॉजिस्ट और डॉक्टरों को बड़ी हेल्प मिल सकती है. एआई एल्गोरिदम के जरिए लक्षणों पर सटीक डेटा जमा करके बीमारी की प्रगति और उपचार प्रभावशीलता में एक्चुअल टाइम की जानकारी मिलती है.