क्या एक से दूसरे व्यक्ति में भी फैल सकता है जापानी इंसेफेलाइटिस का बुखार? एक्सपर्ट से जानें
Japanese Encephalitis Virus : दिल्ली में जापानी इंसेफेलाइटिस बुखार का एक मामला सामने आया है. जापानी इंसेफेलाइटिस एक वायरस की वजह से होता है. ये वायरस संक्रमित जानवर और पक्षियों से मच्छरों में जाता है. मच्छर के इंसानों को काटने से ये वायरस इंसानों में जाता है. लेकिन क्या इंसेफेलाइटिस का वायरस एक से दूसरे व्यक्ति में भी जाता है? क्या कोविड और मंकीपॉक्स की तरह इसका भी ह्यूमन टू ह्यूमन ट्रांसमिशन होता है. इस बारे में एक्सपर्ट्स से जानते हैं.
महामारी विशेषज्ञ डॉ जुगल किशोर बताते हैं कि जापानी इंसेफेलाइटिस यानी जेई वायरस का ट्रांसमिशन मच्छर जनित बीमारियों जैसा है. यानी, मच्छर के इंसान को काटने से यह वायरस फैलता है. लेकिन किसी एक इंसान से दूसरे इंसान में नहीं जा सकता, जैसे डेंगू या मलेरिया मच्छरों के काटने से होता है, लेकिन एक से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता है. इसी तरह जापानी इंसेफाइटिस भी है. हालांकि अगर कोई संक्रमित व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को ब्लड देता है तो इसके फैलने का रिस्क हो सकता है, लेकिन ऐसे मामले दुनिया में न के बराबर ही हैं.
क्या हैं इंसेफेलाइटिस के शुरुआती लक्षण
डॉ किशोर बताते हैं कि जब कोई व्यक्ति इस बुखार से संक्रमति होता है तो उसमें इसके हल्के से लेकर गंभीर लक्षण दिख सकते हैं, हालांकि देखा जाता है कि इस वायरस के अधिकतर मामले बच्चों में ही आते हैं. इंसेफेलाइटिस होने के बाद शुरू में हल्का बुखार होता है. सिरदर्द के साथ उल्टी होती है. गंभीर मामलों में ये बुखार दिमाग में चला जाता है. ब्रेन सेल्स को डैमेज करने लगता है. इसमें मरीज की हालत बिगड़ सकती है और ये मौत का कारण भी बन सकता है. इंसेफेलाइटिस के कारण जो मौतें होती हैं वह इस बुखार के दिमाग में जाने के बाद ही होती हैं.
क्या इंसेफेलाइटिस का कोई इलाज है?
इंसेफेलाइटिस के साथ बड़ी समस्या यह है कि इसका कोई निर्धारित इलाज नहीं है. केवल लक्षणों के आधार पर ही ट्रीटमेंट किया जाता है. हालांकि इंसेफेलाइटिस से बचाव के लिए वैक्सीन मौजूद है. यह टीका बच्चे के जन्म के बाद उसको लगवाया जा सकता है.
बचाव कैसे करें
इंसेफेलाइटिस से बचाव के लिए जरूरी है कि मच्छरों से खुद को बचाएं
पूरी बाजू के कपड़े पहनें
घर के आसपास सफाई रखें
फ्लू जैसे लक्षण दिखने पर डॉक्टर से संपर्क करें