क्या गर्भनिरोधक दवाईयों से महिलाओं में बढ़ता है ब्लड क्लोटिंग का खतरा? जाने एक्सपर्ट से
महिलाएं अक्सर अनचाहे गर्भ को रोकने के लिए गर्भनिरोधक गोलियों का इस्तेमाल करती हैं. इन गोलियों को अगर डॉक्टर की सलाहनुसार और एक सीमित मात्रा में ली जाए तो ठीक हैं वर्ना ये एक बड़ी परेशानी का सबब बन सकती हैं क्योंकि इनके अनियमित इस्तेमाल से कई परेशानियों का खतरा बढ़ता है जिनमें से एक है ब्लड क्लोटिंग का. माना जाता है कि गर्भनिरोधक के ज्यादा इस्तेमाल से ब्लड क्लोटिंग की समस्या पैदा हो जाती है.
डॉक्टर की बिना सलाह न लें ये दवाई
कई महिलाएं जो कि सेक्सुअली एक्टिव है और निकट भविष्य में बच्चा भी नहीं चाहती ऐसे में अक्सर गर्भ निरोधक तरीकों का इस्तेमाल करती हैं. जिनमें गर्भनिरोधक गोलियों का इस्तेमाल भी शामिल है. लेकिन अगर ये दवाईयां काफी अधिक मात्रा में और बिना डॉक्टर के परामर्श के ली जाएं तो कई नुकसान हो सकते हैं. अक्सर देखा गया है कि इस दवाओं के ज्यादा इस्तेमाल से सिरदर्द, सूजन, पेट में दर्द और वजन बढ़ना जैसे लक्षण शामिल हैं.
ब्लड क्लोटिंग का खतरा 3 गुना अधिक
सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर वरूण बंसल कहते हैं कि कुछ बर्थ कंट्रोल दवाइयों से ब्लड क्लोटिंग का खतरा बढ़ सकता है, हालांकि इसके चांस बहुत कम हैं, परंतु जो महिलाएं ओबेसिटी या डायबिटीज की शिकार हैं या जिनका ब्लड प्रेशर ज्यादा रहता है, उनमें यह खतरा ज्यादा देखा गया है. दरअसल, इन दवाओं को लेने से हार्मोंस में तेजी से बदलाव होता है यही कारण है गर्भधारण नहीं हो पाता, ऐसे ही अन्य हार्मोन बेस्ड दवाईयां लेने से भी ब्लड क्लोटिंग का रिस्क 3 गुना तक बढ़ जाता है, साथ ही इस अध्ययन से ये बात भी सामने आई है कि अगर इन दवाईयों के उपयोग को बंद कर दिया जाए तो दो से चार सप्ताह के भीतर ये रिस्क काफी हद तक कम और खत्म हो जाता है.
दवाईयां बंद करने से घट जाता है खतरा
इसलिए एक्सपर्ट्स कहते हैं कि किसी भी बर्थ कंट्रोल मेडिसिन को डॉक्टर की सलाह लिए बगैर नहीं लेना चाहिए और अगर ये दवाएं लेना जरूरी न हो तो उस स्थिति में इन दवाओं को लेने से बचना चाहिए क्योंकि ज्यादातर मामलों में इसकी वजह से महिलाओं में डीप वेन थ्रोम्बोसिस या पलमोनरी एम्बोलिज्म जैसे जोखिम देखे गए हैं. इसके अलावा इन महिलाओं में ब्लड प्रेशर, आर्टरीज में ब्लॉकेज, स्ट्रोक और हार्ट अटैक का खतरा भी अन्य महिलाओं के मुकाबले ज्यादा रहता है.
अन्य उपायों का करें इस्तेमाल
एस्ट्रोजन युक्त गर्भनिरोधक दवाईयां लेने वाली प्रत्येक 10,000 महिलाओं में से 10 में ब्लड क्लोटिंग देखी गई है. लेकिन जिन महिलाओं ने ये दवाईयां लेना बंद कर दिया उनमें 2 सप्ताह के भीतर ही इसका रिस्क 80 प्रतिशत तक कम पाया गया वही चार सप्ताह बाद यही प्रतिशत बढ़कर 85 फीसदी पहुंच गया. इससे साफ जाहिर होता है कि ब्लड क्लोटिंग की संभावना इन दवाईयों को रोकने के कुछ हफ्तों में कम होनी शुरू हो जाती है. इसलिए एक्सपर्ट्स का कहना है कि इन दवाईयों का इस्तेमाल ज्यादा न करें साथ ही अनचाहे गर्भ को रोकने के लिए किन्हीं अन्य उपायों का इस्तेमाल किया जा सकता है जिससे ब्लड क्लोटिंग के खतरे को टाला जा सके.