क्या चलती रहेगी सरकारी कंपनियों की पार्टी या रॉकेट रफ्तार पर लगेगी लगाम, क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स

शेयर बाजार में बजट से पहले गजब का जोश नजर आ रहा है. सरकारी कंपनियों के शेयर की पार्टी चल रही है और वो लगातार राकेट की रफ़्तार से भी तेज भाग रहे हैं. इस कंपनियों के शेयरों में इस साल भारी तेजी आई है. नतीजा ये हुआ कि चुनावों का नतीजा आने के बाद इन कंपनियों का मार्केट कैप 12 लाख करोड़ रुपये बढ़ चुका है. वहीं बजट से पहले एक जुलाई से अबतक महज 16 दिन में रेल विकास, इंडियन रिन्यूएबल, शिपिंग कॉरपोरेशन, मझगांव डॉक, ऑयल इंडिया, रेलटेल कॉर्प और कोचीन शिपयार्ड के शेयरों में 25% से 50% की तेजी आई है.
शेयर बाजार में जारी तेजी के बीच निवेशकों को झोली भर-भरकर रिटर्न मिल रहा है. लेकिन क्या सरकारी कंपनियों की ये पार्टी आगे भी जारी रहेगी या रॉकेट रफ़्तार पर रोक लग जाएगी? आइए जानते हैं क्या है निवेशकों की राय…
इतना बढ़ गया मार्केट कैप
मार्केट में चुनाव नतीजों के बाद सरकारी कंपनियों के शेयरों खासतौर पर PSU स्टॉक्स में नई जान फूंक दी है. पिछले करीब एक महीने में इन शेयरों में भारी तेजी आई है. इससे PSU के मार्केट कैप में करीब ₹12 लाख करोड़ की बढ़ोतरी की है. इस साल अब तक PSU शेयरों की मार्केट वैल्यू में लगभग 22.5 लाख करोड़ रुपए की बढ़ोतरी हुई है.
जारी रहेगी तेजी या रुक जाएगी रफ़्तार
बाजार में जारी तेजी से इन अटकलों को भी बल मिला है कि सरकार इन कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी बेचकर पैसे जुटाने के बारे में सोच सकती है. फंड मैनेजरों का कहना है कि ऐसा होने पर शेयरों की तेजी प्रभावित हो सकती है. इकोनॉमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट में MojoPMS के चीफ इनवेस्टमेंट ऑफिसर के हवाले से बताया गया है कि इस बात की काफी संभावना है कि सरकार कुछ PSU में अपनी हिस्सेदारी कम करके धन जुटाना चाहेगी, जिससे उनकी कीमतों पर दबाव पड़ सकता है.
चुनाव परिणामों के बाद PSU के शेयरों में और तेजी आई. उम्मीद जताई जा रही थी कि सरकार की नीतियों को जारी रखने से इन कंपनियों को फायदा होगा. एक जुलाई से रेल विकास, इंडियन रिन्यूएबल, शिपिंग कॉरपोरेशन, मझगांव डॉक, ऑयल इंडिया, रेलटेल कॉर्प और कोचीन शिपयार्ड के शेयरों में 25% से 50% की तेजी आई है. 31 मार्च तक के आंकड़ों के मुताबिक सरकार के पास LIC, IRFC, यूको बैंक सहित लगभग 10 लिस्टेड कंपनियों में 75% से अधिक हिस्सेदारी थी.
सरकार के फैसले का दिख सकता है असर
इंडियन ओवरसीज बैंक, मझगांव डॉक, फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स त्रावणकोर (FACT) और जनरल इंश्योरेंस कॉर्प में भी सरकार की बड़ी हिस्सेदारी है. न्यूनतम सार्वजनिक हिस्सेदारी नियम के तहत प्रमोटरों के पास किसी कंपनी के 75% से अधिक शेयर नहीं होने चाहिए. ETIG के अनुमान के अनुसार, अगर सरकार इस सीमा को पूरा करने के लिए शेयर बेचती है तो वह कम से कम ₹2.9 लाख करोड़ कमा सकती है. मार्केट रेगुलेटर सेबी ने LIC को पहले 10% सार्वजनिक हिस्सेदारी हासिल करने के लिए मई 2027 तक का समय दिया है. 12 में से पांच सरकारी बैंकों में सार्वजनिक हिस्सेदारी अभी भी 25% से कम है. इन बैंकों के लिए न्यूनतम सार्वजनिक हिस्सेदारी को पूरा करने की मौजूदा समय सीमा अगस्त 2024 है.
मार्केट एक्सपर्ट्स की राय
हालांकि सरकार एसेट सेल के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए कोई जल्दबाजी नहीं कर रही है. पिछले साल के बजट में विनिवेश का लक्ष्य ₹51,000 करोड़ रखा गया था, जिसे बाद में घटाकर ₹30,000 करोड़ कर दिया गया था. फंड मैनेजरों और विश्लेषकों के मुताबिक, हालिया उछाल के बाद इनमें से कई शेयरों का मूल्यांकन महंगा है. लिहाजा ऐसे में आने वाले समय में थोड़ा करेक्शन देखने को मिल सकता है और शेयर की वैल्यू गिर सकती है.
इसके अलावा भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स, FACT, हिंदुस्तान कॉपर, मिश्र धातु निगम और रेलटेल कॉर्प जैसे PSU शेयर 100 से अधिक के प्राइस-टू-अर्निंग (PE) अनुपात पर कारोबार कर रहे हैं. निफ्टी लगभग 22 गुना के PE अनुपात पर कारोबार कर रहा है. बाजार जानकारों के मुताबिक, इन समृद्ध मूल्यांकनों से आगे कीमतों में वृद्धि की संभावना सीमित है. हालांकि कई PSU इंजीनियरिंग शेयर और PSU बैंक शेयर फंडामेंटल्स से आगे निकल गए हैं ऐसे में यहां निवेशकों को बहुत सेलेक्टिव होने की जरूरत है.

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