क्या जल्द आज़ाद होगा बलूचिस्तान? बलोच नेता अकबर बुगती के बेटे के बयान से उठे सवाल

बलूचिस्तान…पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत, लेकिन सरकार की अनदेखी और उपेक्षा के कारण यह देश का सबसे कम विकसित राज्य है. बलूचिस्तान में प्राकृतिक संसाधनों की भरमार है लेकिन उसकी बदनसीबी है कि वह पाकिस्तान जैसे मुल्क का हिस्सा है.
बंटवारे के बाद से पाकिस्तान ने बलूचिस्तान के विकास के लिए कोई काम नहीं किया बल्कि अपनी दमनकारी नीतियों के जरिए वहां के लोगों पर ज्यादतियां कीं, यही वजह है कि बलूचिस्तान की आजादी की मांग अब तेज़ होने लगी है. एक ओर हिंसा के जरिए आजादी की मांग करने वाली बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी है तो दूसरी ओर हैं बलूच महिलाएं, जो विद्रोह की नई आवाज़, नया चेहरा बनकर उभरी हैं.
बलूचिस्तान मुद्दे पर पाकिस्तान नाक़ाम
बीते रविवार पाकिस्तान में बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) का तांडव देखने को मिला. BLA के नाम से मशहूर इस संगठन ने कम से कम 10 इलाकों में हमला करने का दावा किया. BLA के हमलों में आम नागरिकों, पुलिस और सेना के जवान समेत 70 लोगों की मौत हो गई. 24 घंटे के अंदर हुए इन हमलों से पूरा पाकिस्तान हिल गया.
इन हमलों के बाद माना जा रहा है कि पाकिस्तान सरकार बलूचिस्तान के मुद्दे को सुलझाने में नाक़ाम रही है. खास बात ये है कि BLA ने इतने बड़े पैमाने पर हमला करने के लिए जिस दिन को चुना था वह अकबर बुगती की बरसी का दिन था. अकबर बुगती बलोच विद्रोह और आजाद बलूचिस्तान के संघर्ष के सबसे बड़े नेता रहे हैं. अगस्त 2006 में परवेज़ मुशर्रफ की सरकार ने बुगती को पकड़ने के लिए एक सैन्य ऑपरेशन चलाया था, 3 दिन तक चले इस ऑपरेशन में 26 अगस्त को अकबर बुगती की मौत हो गई. लेकिन उनकी मौत से बलोच आंदोलन को और बल मिला.
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बुगती के बेटे का बड़ा बयान
बुगती की बरसी के दिन उनके बेटे नवाबजादा जमील अकबर बुगती ने एक बयान से अंदाजा लगाया जा रहा है कि पाकिस्तान में अब आजाद बलूचिस्तान का विद्रोह तेज़ होने वाला है. सवाल उठ रहे हैं कि क्या बरसों से चले आ रहे इस संघर्ष के अंजाम पर पहुंचने का आगाज़ हो गया है? क्या बलूचिस्तान आज़ाद होने वाला है?
दरअसल जमील बुगती ने कहा है कि उनके पिता ने जिस आंदोलन की शुरुआत की थी, उसे आगे बढ़ाने में बलोच महिलाएं बेहद अहम भूमिका निभा रहीं हैं. जमील बुगती ने कहा कि उनके पिता की मौत ने न केवल बलूचिस्तान बल्कि पंजाब और सिंध में भी इस विद्रोह को गति दी है, बुगती के बेटे ने कहा है कि राजनीतिक दलों में प्रभावी नेतृत्व की कमी के बावजूद उनके पिता का मिशन काफी आगे बढ़ रहा है.
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बलूचिस्तान में बलोच अधिकारों की लड़ाई ने पाकिस्तान सरकार को बैकफुट पर ला दिया है. पाकिस्तान सरकार के खिलाफ आक्रोश सड़कों लगातार सड़कों पर नज़र आता रहा है, वहीं अब शहबाज सरकार का एक भी गलत कदम बलूचिस्तान में बड़े संघर्ष को जन्म दे सकता है. यही वजह है कि आज पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ बलूचिस्तान के दौरे पर हैं, शहबाज़ यहां सुरक्षा हालातों का जायज़ा लेने पहुंचे हैं, उनका यह दौरा बलूचिस्तान के हालात की गंभीरता को समझने के लिए काफी है.
बलूचिस्तान में संघर्ष की दो बड़ी वजह
दरअसल बलूचिस्तान में प्राकृतिक संसाधनों का बड़ा भंडार है, बलूचिस्तान के लोगों का आरोप है कि उनके प्राकृतिक संसाधनों को पाकिस्तान का पंजाब प्रांत लूट रहा है. पंजाब जो कि आबादी के लिहाज से पाकिस्तान का सबसे बड़ा राज्य है, यहां के लोगों की राजनीति के साथ-साथ नौकरशाही में भी मजबूत पकड़ है, लिहाजा ये अपने रसूख का फायदा उठाकर बलूचिस्तान का हक मार रहे हैं. बलूचिस्तान में पंजाब प्रांत के लोगों के खिलाफ हिंसा के पीछे भी यही वजह बताई जाती है.
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वहीं दूसरी ओर चीन पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) का बड़ा हिस्सा बलूचिस्तान से होकर गुजरता है, चीन यहां ग्वादर बंदरगाह का भी निर्माण कर रहा है लेकिन किसी भी परियोजना में स्थानीय लोगों को न तो रोजगार मिला है और ना ही इन प्रोजेक्ट्स से राज्य को कोई खास फायदा होता दिख रहा है. कहा तो यहां तक जा रहा है कि अगर शहबाज़ सरकार यूं ही चीन की चमचागिरी करती रही तो जल्द ही बलूचिस्तान में बड़ा विद्रोह हो सकता है.
कौन थे नवाब अकबर खान बुगती?
नवाब अकबर बुगती बलूचिस्तान के मुख्यमंत्री और गवर्नर भी रह चुके हैं. वैसे तो पाकिस्तान में आजाद बलूचिस्तान का संघर्ष काफी पुराना है लेकिन नवाब अकबर बुगती इस आंदोलन की मजबूत और बुलंद आवाज़ थे. उन्होंने अपनी आखिरी सांस तक बलोच अधिकारों के लिए संघर्ष किया और सत्ता की ताकत के आगे घुटने नहीं टेके. बुगती की हत्या के बाद पाकिस्तान में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए, लोग उनकी मौत के लिए पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ को दोषी मानते हैं, हालांकि साल 2016 में मुशर्रफ को लंबी अदालती सुनवाई के बाद केस से बरी कर दिया गया.

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