क्या जल्द आ सकती है मंकीपॉक्स की वैक्सीन, एक्सपर्ट्स से जानें
दुनियाभर में मंकीपॉक्स ( एमपॉक्स) के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. इस वायरस की कोई दवा या वैक्सीन नहीं है, लेकिन हाल ही
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने कहा है कि वह एमपॉक्स के लिए वैक्सीन बनाने के लिए काम कर रहा है. सालभर के भीतर वैक्सीन बनने की उम्मीद है. एमपॉक्स की वैक्सीन की कितनी जरूरत है और क्या ये सालभर के भीतर आ सकती है. मंकीपॉक्स वैक्सीन को लेकर दुनिया के अन्य देशों में भी काम चल रहा है. लेकिन सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने उम्मीद जताई है की एक साल में वह वैक्सीन तैयार कर लेंगे.
इस बारे में महामारी विशेषज्ञ डॉ जुगल किशोर बताते हैं कि की वैक्सीन बनाने के दौरान कई चीजों का ध्यान रखना पड़ता है. देखा जाता है की वायरस की मारक क्षमता कितनी है और ये किस रफ्तार से बढ़ रहा है. चूंकि 2 साल में दूसरी बार मंकीपॉक्स के मामले बढ़ रहे हैं तो ऐसे में इसकी वैक्सीन बनाना भी जरूरी हो गया है. 2022 में WHO ने भी कई देशों से वैक्सीन निर्माण को कहा था. तब से इस वायरस की वैक्सीन पर काम चल रहा है, लेकिन अभी टीका तैयार हो नहीं पाया है. हालांकि उम्मीद है की सीरम इंस्टीट्यूट जल्द ही वैक्सीन को तैयार कर सकता है.
क्या है मंकीपॉक्स
नोएडा के भारद्वाज अस्पताल में सीनियर फिजिशियन डॉ अभिषेक कुमार बताते हैं कि मंकीपॉक्स एक वायरल बीमारी है जो एक से दूसरे व्यक्ति में फैलती है.संक्रमित व्यक्ति के साथ शारीरिक संपर्क से इसका ट्रांसमिशन होता है. बुखार, सिरदर्द, त्वचा पर लाल चकत्ते, बदन दर्द, पीठ दर्द, थकान, लिम्फ नोड्स में सूजन इस वायरस के लक्षण हैं. संक्रमित होने के कुछ दिन बाद शरीर पर दाने निकलते हैं. जो मुंह से शुरू होकर पूरे शरीर में फैल सकते हैं. स्वाब पीसीआर/त्वचा घाव पीसीआर टेस्ट से इस वायरस की पहचान की जाती है. फिलहाल मंकीपॉक्स की वैक्सीन नहीं है. ऐसे में इससे बचाव करना जरूरी है.
मंकीपॉक्स से बचाव कैसे करें
किसी व्यक्ति में फ्लू जैसे लक्षण हैं तो उससे दूरी बनाएं
विदेश से यात्रा करके आएं हैं तो मंकीपॉक्स की जांच कराएं
असुरक्षित यौन संबंध न बनाएं
लक्षण दिखने पर डॉक्टर से सलाह लें
रोकथाम क्यों है जरूरी
इस समय मंकीपॉक्स फैल रहा है और इसका स्ट्रेन भी बदला हुआ है. ऐसे में वायरस के प्रसार को रोकने की कोशिश जरूरी है. अगर केस तेजी से बढ़े तो वैक्सीन की जरूरत होगी. चूंकि फिलहाल टीका नहीं है तो लक्षणों के आधार पर ही मरीज का इलाज किया जाएगा.