क्या ट्रंप को देंगी झटका… कमला हैरिस को राष्ट्रपति बनने की रेस में कहां मिलेंगी चुनौतियां, कहां रास्ता आसान?

अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के लिए भारतीय मूल की कमला हैरिस ने डेमोक्रेटिक पार्टी से नॉमिनेशन के लिए जरूरी बहुमत हासिल कर लिया है. उनको पहले बैलट पर नामांकन के लिए 1,976 से ज्यादा जरूरी प्रतिनिधियों का समर्थन चाहिए था, जो उन्हें मिल चुका है. इसके बाद हैरिस ने डोनाल्ड ट्रंप पर तीखे हमले के साथ चुनाव प्रचार शुरू कर दिया है.
आइए जानने की कोशिश करते हैं कि इस चुनाव में कमला हैरिस का रास्ता कहा आसान होगा और किन चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा.
व्यक्तिगत हमलों का करना होगा सामना
कमला हैरिस का जन्म 20 अक्तूबर 1964 को कैलिफोर्निया में हुआ था. उनकी मां भारतीय मूल की श्यामला गोपालन हैरिस जानी-मानी कैंसर साइंटिस्ट हैं. उनके पिता डोनाल्ड जे. हैरिस जमैका मूल के हैं. ऐसे में कमला हैरिस पर व्यक्तिगत निशाने भी खूब साधे जा रहे हैं. अमेरिका की पहली हिंदू सांसद रहीं तुलसी गबार्ड कमला हैरिस की पार्टी डेमोक्रेट्स की ही नेता थीं. अब वह डोनाल्ड ट्रंप के साथ खड़ी हैं. उन्होंने एक वीडियो संदेश में कहा था कि कमला हैरिस राष्ट्रपति राष्ट्रपति और सेना प्रमुख बनने लायक नहीं हैं. वह हिलेरी क्लिंटन की नौकरानी हैं.
इसके अलावा डोनाल्ड ट्रंप खुद भी कमला हैरिस की मजबूत दावेदारी देखकर उन पर व्यक्तिगत रूप से हमलावर हो गए हैं. डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि कमला हैरिस जिस चीज को छूती हैं, उसी को बर्बाद कर देती हैं. ट्रंप उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी के दौरान कमला को पागल तक कह चुके हैं. कमला हैरिस को इन सबसे उबरकर विदेशी मूल की छवि से भी बाहर आना होगा.
जो बाइडन के पीछे हटने का भुगतना होगा खामियाजा
इस बार राष्ट्रपति पद की रेस शुरू होने के साथ ही बहस में जो बाइडन हार चुके हैं. उनको हराने के बाद ट्रंप की टीम इसका सारा श्रेय डोनाल्ड ट्रंप को दिलाने में लगी है. इस बारे में ट्रंप की टीम की ओर से बाकायदा एक ज्ञापन जारी किया जा चुका है. इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने राष्ट्रपति पद की दौड़ से अचानक बाहर होने की घोषणा कर दी थी. डेमोक्रेटिक पार्टी की तरफ से उन्होंने राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी के लिए कमला हैरिस के नाम की सिफारिश की थी.
सहानुभूति पाने की कोशिश करेंगे ट्रंप, कमला पर बढ़ेगा दबाव
अमेरिका में चुनाव प्रचार के दौरान हाल ही में डोनाल्ड ट्रंप पर हमला हुआ था. पेंसिलवेनिया की एक रैली में 20 वर्षीय एक युवक ने उन पर 10 गोलियां चलाई थीं. एक गोली तो ट्रंप के कान को छूती निकली थी. इस जानलेवा हमले के बदले डोनाल्ड ट्रंप सहानुभूति बटोरने की कोशिश करेंगे.
इतिहास भी इस बात का गवाह है कि जब-जब अमेरिका में बड़े नेता पर ऐसा जानलेवा हमला हुआ है, ज्यादातर उसको जीत मिली है और उसकी पार्टी बहुमत के साथ सत्ता में आई है. हालांकि, एक बार रूजवेल्ट हमले के बावजूद चुनाव हार गए थे. इस बार हमले के बाद पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप को चुनाव में बड़े लोगों का भी समर्थन मिल रहा है. उनके समर्थन में एलन मस्क भी आ गए हैं.
इमिग्रेशन पॉलिसी और इकोनॉमी का प्रेशर
राष्ट्रपति जो बाइडेन की इमिग्रेशन पॉलिसी और देश की अर्थव्यवस्था को भी ट्रंप की टीम कमला हैरिस के खिलाफ इस्तेमाल करेगी. रिपब्लिकन पार्टी का कहना है कि जो बाइडन की इमिग्रेशन पॉलिसी के चलते मेक्सिको से जुड़ी दक्षिणी सीमा को लाखों लोग अवैध रूप से पार करते हैं. वहीं, अब तक के जनमत सर्वे से पता चला है कि लोग खान-पान, ईंधन की बढ़ती कीमतों और ब्याज दरों से नाखुश हैं. इसको भी ट्रंप की पार्टी चुनाव में भुनाने की कोशिश करेगी.
ट्रंप का भ्रष्टाचार कमला हैरिस की संजीवनी
भले ही कमला हैरिस पर ट्रंप व्यक्तिगत हमले कर रहे हैं पर कमला हैरिस के लिए उनका भ्रष्टाचार संजीवनी बन सकता है. अमेरिका में ट्रंप भ्रष्टाचार के एक दोषी साबित हुए हैं और कमला एक पूर्व अभियोजक हैं. अमेरिकी सीनेटर के रूप में कमला हैरिस ने ट्रम्प प्रशासन के अफसरों और न्यायिक उम्मीदवारों को कड़ी चुनौती दी थी. इससे बचने के लिए डोनाल्ड ट्रंप के वकील न्यूयॉर्क की अपील कोर्ट से आग्रह किया है कि न्यूयॉर्क सिविल धोखाधड़ी के फैसले को पलट दे. कोर्ट ने लगभग 500 मिलियन अमेरिकी डॉलर के घोटाले में ट्रंप को दोषी करार दिया है.
उम्र का मिल सकता है फायदा
जो बाइडन के उम्मीदवारी से पीछे हटने का एक अहम कारण कहीं न कहीं स्वास्थ्य को माना जा रहा है. अधिक उम्र के कारण बाइडन कई मौकों पर लड़खड़ाते देखे गए हैं. ऐसे में बाइडन से 22 साल छोटी कमला हैरिस एक तरह से पार्टी में नई पीढ़ी की अगुवाई करेंगी. इससे युवा वोटर डेमोक्रेटिक पार्टी से जुड़ सकते हैं. बाइडन ही नहीं, ट्रंप से भी कमला हैरिस छोटी हैं और इस वक्त उनकी उम्र 59 साल है. फिर भारतीय मूल की होने के कारण कमला को भारतीय मूल के वोटरों का भी साथ मिल सकता है.
अनुभव और विचारों की स्पष्टता
राष्ट्रपति जो बाइडेन के बाद कमला हैरिस ही हैं, जिनके पास पार्टी में सबसे अधिक अनुभव है. अंतरराष्ट्रीय समस्याओं जैसे, इजराइल और यूक्रेन को लेकर कमला का रुख बाइडेन से भी साफ दिख रहा है. कमला यहूदियों की प्रबल समर्थक मानी जाती हैं. इससे उनको इजराइल के कट्टर समर्थक अमेरिकियों के वोट मिल सकते हैं. बंदूक, हिंसा और गर्भपात जैसे मुद्दे उठाने वाली कमला को इससे युवाओं के बीच लोकप्रियता मिलती रही है. गर्भपात जैसे गंभीर मुद्दे पर तो डोनाल्ड ट्रंप को अपने विचारों को लेकर कई बार आलोचनाओं का शिकार भी होना पड़ा है.
महिला सशक्तीकरण
कमला हैरिस अगर राष्ट्रपति बनती हैं तो यह अमेरिका का नया इतिहास होगा. वह यूएस में पहली महिला राष्ट्रपति होंगी. इसे अमेरिकी महिलाएं अपने सशक्तीकरण के रूप में देख सकती हैं और इसके लिए कमला हैरिस को उनके वोट मिल सकता है. इसके अलावा अमेरिका में अब तक 14 उप राष्ट्रपति बाद में राष्ट्रपति बन चुके हैं. यह समीकरण भी कमला के हक में जाता है. वैसे जॉर्ज एचडब्लू बुश के बाद पिछले तीन दशकों में अमेरिका का कोई उप राष्ट्रपति राष्ट्रपति नहीं बना है. कमला अगर राष्ट्रपति बनती हैं तो 21वीं सदी में उपराष्ट्रपति से राष्ट्रपति बनने का रिकॉर्ड भी उनके नाम दर्ज हो जाएगा.
बाइडन का मिल रहा साथ
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन का साथ कमला को मिल रहा है. उन्होंने कहा है कि कोविड-19 संक्रमण के कारण फिलहाल वह लोगों के बीच नहीं जा पा रहे हैं. जल्द ही वह कमला हैरिस के साथ प्रचार करेंगे. जून में बाइडन अपने रिपब्लिकन प्रतिद्वंद्वी ट्रंप से बहस में खराब प्रदर्शन करने के बाद राष्ट्रपति पद की दौड़ से बाहर हो गए हैं.
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