क्या ट्रंप ने खुद रची थी हमले की साजिश? हैरान कर देगी फायरिंग से जुड़ी ये थ्योरी

पिछले 48 घंटे से अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप पर हुआ हमला ट्रेंड कर रहा है. शनिवार को एक रैली के दौरान उन्हें टारगेट करके फायरिंग की गई थी. इसके बाद से पूरी दुनिया में इस घटना को लेकर अलग-अलग थ्योरी चल रही हैं. खुद पर गोली चलवाने से लेकर राष्ट्रपति चुनाव जीतने की प्लानिंग तक की बातें सामने आ रही हैं. कहा ये भी जा रहा है कि ट्रंप को मारने की साजिश रची गई थी? सीक्रेट सर्विस पर भी उंगलियां उठ रही हैं. कुछ लोग इसे इत्तेफाक बताकर डिवाइन पावर का भ्रम फैला रहे हैं.
अमेरिकी मीडिया पर भी सवाल है. दूसरे देशों के मामले में मुखर रहने वाला, तथ्य और सबूत पेश करके शेरों की तरह दहाड़ने वाला अमेरिकी मीडिया अपने ही देश के इतने बड़े मामले में हेडलाइन मैनेजमेंट करने वाली भीगी बिल्ली कैसे बन गया. उन हेडलाइन्स की आलोचना पूरी दुनिया में हो रही है. इस आलोचना के बाद कुछ अमेरिकी मीडिया हाउसेज ने अपनी रिपोर्टिंग की लाइन लेंथ ठीक की है. आपको ट्रंप केस में चीन की व्यापार वाली मौकापरस्ती भी समझनी चाहिए.
अमेरिका का गन कल्चर, उसके लिए भस्मासुर बना
चीन ने बाकायदा ट्रंप की मुट्ठी बांधे हुए जो तस्वीर है, उसकी टीशर्ट बनाकर लॉन्च कर दी. कीमत रखी 450 रुपये मात्र. सवाल अमेरिका के गन कल्चर पर भी है. बोया पेड़ बंदूक का तो शांति कहां से होय… दुनियाभर में नये-नये युद्ध शुरू कराकर हथियार बेचने वाले अमेरिका में..ट्रंप भले ही शूटर की गोली से बच गए हों लेकिन टॉफी बिस्कुट कैंडी की तरह किराने की दुकानों पर बंदूक और गोली बेचने वाले अमेरिका का गन कल्चर… अब उसके लिए ही भस्मासुर बन चुका है.
ट्रंप पर 20 साल के शूटर थॉमस क्रुक्स ने हमला किया. सीक्रेट सर्विस के स्नाइपर ने उसे मार गिराया. FBI ने इस घटना को लोन वुल्फ अटैक करार दिया. ये बातें तो पूरी दुनिया जानती है. ट्रंप पेंसिलवेनिया के बटलर में खुले मैदान में रैली को संबोधित कर रहे थे. मतलब वो बड़ी बड़ी इमारतों और कंक्रीट के जंगलों वाली जगह नहीं थी. यानी वो शूटर का आसान शिकार थे.
ट्रंप जिस मंच से लोगों को संबोधित कर रहे थे, वहां पास में सिर्फ एक इमारत थी जो ट्रंप के ठीक पीछे थी. यहीं सीक्रेट सर्विस के
दो शूटर सुरक्षा में तैनात थे. ट्रंप के दाहिनी तरफ करीब 150 मीटर की दूरी पर एक कम ऊंचाई वाली इमारत थी. शूटर थॉमस क्रुक्स रेंगते हुए इसी इमारत की छत पर चढ़ा था.
रैली स्थल के पास शूटर एक नहीं बल्कि तीन थे
उसने मात्र 150 मीटर की दूरी से ट्रंप पर फायरिंग की थी. यानी ट्रंप की सुरक्षा में भारी चूक हुई. ये खामी किस-किस स्तर पर हुई. अब एक नजर इस पर भी डाल लेते हैं. दुनिया यही जानती थी कि ट्रंप को टारगेट करने वाला सिर्फ एक शूटर था. जबकि 48 घंटे बाद
गोली चलने की ऑडियो फॉरेंसिक रिपोर्ट से चौंकाने वाला खुलासा ये है कि पेंसिलवेनिया के बटलर में रैली स्थल के पास शूटर एक नहीं बल्कि तीन थे.
ट्रंप पर तीन गन से हमला हुआ था. एक गन से तीन और दूसरी गन से पांच गोलियां चली थीं. तीसरे हथियार से ट्रंप को टारगेट किया गया था. अब सवाल ये है कि बीस साल के थॉमस क्रुक्स नाम के एक शूटर को तो मार गिराया गया. बाकी के दो शूटर्स कौन थे? वो कहां छिपे थे? किस लोकेशन से फायरिंग कर रहे थे? उनके बारे में सीक्रेट सर्विस या FBI को कोई जानकारी है भी या नहीं?
सीक्रेट सर्विस पर सवाल सीधे तौर पर उठ रहे हैं. चश्मदीदों के ऐसे कई वीडियो वायरल हैं, जिसमें वो साफ-साफ बता रहे हैं कि उन्होंने हमलावर को बिल्डिंग पर रेंगते देखा और उसकी जानकारी ट्रंप की सुरक्षा में तैनात स्थानीय पुलिस को दी लेकिन पुलिस ने तुरंत कदम नहीं उठाया. चश्मदीदों की तरफ से पुलिस को बताने के बाद एक टीम हमलावर के पास तक गई थी लेकिन शूटर ने पुलिस पर भी बंदूक तान दी थी.
42 सेकेंड पहले ही टारगेट को लॉक कर दिया था
इससे पुलिस डरकर पीछे हट गई और उसने तुरंत सीक्रेट सर्विस को सूचना दी लेकिन सीक्रेट सर्विस ने इस पर रिएक्ट नहीं किया. जांच में ये भी खुलासा हुआ है कि हमलावर जब रैली स्थल पर लगे मेटल डिटेक्टर को क्रॉस कर रहा था, सुरक्षाकर्मियों को उसी वक्त उस पर शक हुआ था. तब भी सुरक्षाकर्मियों ने उसकी संदिग्ध गतिविधियों की जानकारी सीक्रेट सर्विस को दी थी लेकिन वहां भी सीक्रेट सर्विस ने इनपुट की अनदेखी की.
बाइडेन प्रशासन की ओर से शूटर को मार गिराने वाले स्नाइपर्स की प्रशंसा की जा रही है तो दूसरी तरफ आलोचक स्नाइपर्स की तरफ से हुई देरी पर सवाल उठा रहे हैं. कहा जा रहा है कि ट्रंप की दाहिनी तरफ पास वाली बिल्डिंग की छत पर तैनात सीक्रेट सर्विस के
दो शूटर्स ने हमलावर को देख लिया था. 42 सेकेंड पहले ही टारगेट को लॉक कर दिया था लेकिन उन्होंने रिएक्ट तब किया जब शूटर्स ने पहली गोली चला दी.
42 सेकेंड की देरी हुई. किसी पर हमला होने और उसकी जान बचाने के मामले में 42 सेकेंड बहुत होते हैं. हालांकि सीक्रेट सर्विस के इन दो स्नाइपर्स में से एक जोनाथन विलिस नाम के स्नाइपर का सनसनीखेज दावा ये है कि उन्होंने गोली चलाने से 3 मिनट पहले ही हमलावर पर नजर बना ली थी. वो उसे शूट करने की परमीशन मांग रहे थे लेकिन सीक्रेट सर्विस चीफ ने उन्हें ऐसा करने से मना कर दिया था. यानी उन्हें ऊपर से ही इजाजत नहीं मिली थी.
हमने एक शख्स को देखा: चश्मदीद
फायरिंग का चश्मदीद बताता है, ‘हमने एक शख्स को देखा जो हमारे पीछे बिल्डिंग की छत के ऊपर रेंग रहा था. वो हमसे 50 फीट दूर था. हमने उस शख्स को देखा, उसके हाथ में राइफल थी. हमने साफ तौर पर उसके हाथ में राइफल देखी. हमने उसे प्वॉइंट आउट किया, पुलिस इधर से उधर घूम रही थी. हमने पुलिस को बताया कि छत पर राइफल के साथ एक शख्स मौजूद है. पुलिस ने ऐसा रिएक्शन दिया जैसे कुछ नहीं हो रहा है. हमने बताया कि वहां पर हमने एक शख्स को देखा है, वो रेंग रहा है. मैं 2-3 मिनट तक उस तरफ प्वॉइंट करके उनको दिखाता रहा. सीक्रेट सर्विस के लोग देखते रहे. वो वहां पर 3-4 मिनट था, हमने पुलिस और सीक्रेट सर्विस को बताया था’.
‘ट्रंप पर फायरिंग की घटना कई थ्योरीज के इर्द-गिर्द सिमटी है. एक थ्योरी सबसे ज्यादा हैरान करने वाली है. इसको लेकर सवाल ये उठ रहा है कि क्या ट्रंप ने खुद अपने ऊपर हमले की साजिश रची? क्या अपने ऊपर गोली चलवाना ट्रंप का चुनावी स्टंट है? ये सवाल इसलिए क्योंकि डॉनल्ड ट्रंप की पर्सनालिटी ऐसी है कि वो हमेशा सुर्खियों में बने रहना चाहते हैं. चुनावी रैलियों के दौरान भी लोगों से कनेक्ट करने के लिए वो स्टेज पर डांस मूव्स करने लगते हैं. कुछ ना कुछ ऐसा करते हैं जिससे वो लाइम लाइट में रह सकें. ऐसे में अमेरिका में कुछ लोग फायरिंग की घटना को भी उनके चुनावी स्टंट से जोड़कर देख रहे हैं’.
डॉनल्ड ट्रंप के मुताबिक, शूटर ने जो गोली चलाई वो उनके कान को छूकर निकली जिससे कान से खून निकल आया. हालांकि, अमेरिकी वेबसाइट न्यूज मैक्स का दावा इससे उलट है. न्यूज़ मैक्स के मुताबिक ट्रंप के कान पर खून, गोली लगने से नहीं निकला. बल्कि गोली लगने से टेलीप्रॉम्प्टर का शीशा टूटा जो कान पर जाकर लगा और खून निकलने लगा.
स्नाइपर गन से हमला क्यों नहीं किया गया
इसके अलावा कहा जा रहा है कि ट्रंप पर हमलावर ने असॉल्ट राइफल AR-15 से हमला किया. इस गन से ट्रंप पर पहली बार में 3 राउंड फायर किए गए. इनमें से एक बुलेट ट्रंप के कान को छूती हुई निकल गई. सवाल ये है कि असॉल्ट राइफल की जगह एकदम सटीक निशाने पर लगने वाली स्नाइपर गन से हमला क्यों नहीं किया गया, जबकि हमलावर के पास स्नाइपर गन थी.
इसी थ्योरी के बाद सवाल उठता है कि क्या ट्रंप ने चुनाव में सहानुभूति लेने के लिए खुद पर हमला कराया है. कई अमेरिकी एक्सपर्ट्स और सोशल मीडिया यूजर्स यही मान रहे हैं और इसे ट्रंप का चुनावी खेल बता रहे हैं. वैसे हमले के बाद ट्रंप का मुट्ठी बांधकर बोलने वाला जो अंदाज है, वो भी विक्टिम कार्ड से विक्ट्री पाने वाला लग रहा है.
हमले को डॉनल्ड ट्रंप की साजिश मान रहे लोग, शूटर्स की पहचान का हवाला दे रहे हैं. शूटर थॉमस क्रुक्स को लेकर जो जानकारी सामने आई है उसके मुताबिक वो ट्रंप की रिपब्लिकन पार्टी का रजिस्टर्ड वोटर था. वो नवंबर में राष्ट्रपति चुनाव में पहली बार वोटिंग करने वाला था.
अगर ट्रंप मिली-सेकेंड्स के लिए सिर नहीं झुकाते
एक और थ्योरी है…ये एक चार्ट और ट्रंप के सिर झुकाने से जुड़ी है. अगर ट्रंप मिली-सेकेंड्स के लिए सिर नहीं झुकाते तो गोली उनके सिर से आर-पार होकर निकल जाती. ट्रंप पर जानलेवा हमले करने वाले शूटर की कैलकुलेशन एकदम सटीक थी. टारगेट था ट्रंप का सिर लेकिन आखिरी पलों में कुछ ऐसा हुआ जिससे गोली सिर्फ कान को छूकर निकल गई.
रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रंप ने बताया कि आखिरी मिली-सेकेंड्स में अगर उन्होंने सिर नहीं झुकाया होता, तो उनकी जान चली गई होती. हमले वाली फुटेज को स्लो मोशन से देखने पर पता चलता है कि गोली चलने से कुछ क्षण पहले ही ट्रंप ने अपना सिर हिलाया था. ऐसा भी हो सकता था कि गोली उनके सिर के पिछले हिस्से में लगती जिससे उनकी जान जा सकती थी.
अब यहां ये जानना भी दिलचस्प है कि ट्रंप ने सिर क्यों झुकाया था. ट्रंप ने व्हाइट हाउस के पूर्व डॉक्टर रॉनी जैक्सन को बताया है कि उन्होंने रैली में बड़े स्क्रीन पर लगे अवैध इमीग्रेशन के आंकड़ों वाले चार्ट को देखने के लिए सिर घुमाया था. अगर चार्ट की ओर इशारा नहीं किया होता और उसे देखने के लिए अपना सिर नहीं घुमाया होता तो वो गोली सीधे मेरे सिर में लग जाती. दो चीजों ने ट्रंप की जान बचाने में मदद की. पहला, हवा की रफ्तार जिससे बुलेट की दिशा थोड़ी बदल गई. दूसरा, आखिरी क्षणों में ट्रंप का मुड़ना, जिससे गोली उनके कान को छूकर निकली और पीछे खड़े व्यक्ति को लगी जिसकी मौत हो गई.
ट्रंप पर गोली चलाई वो हाईली ट्रेंड स्किल्ड स्नाइपर था
एक बात जो गौर करने वाली है वो ये कि जिस शूटर ने ट्रंप पर गोली चलाई वो हाईली ट्रेंड स्किल्ड स्नाइपर था. उसने हेड शॉट लिया था. हेड शॉट अक्सर ट्रेंड स्नापर्स ही लेते हैं वरना वो चेस्ट पर टारगेट करते हैं. सवाल ये भी है कि जब पूरा पोडियम वाला इलाका सिक्योरिटी की तरफ से सैनेटाइज किया गया था तो उस बिल्डिंग की जांच क्यों नहीं की गई जिस पर ये शूटर मौजूद था.
अब एक और थ्योरी है. वो ये कि ट्रंप को बचाने वाला और कोई नहीं बल्कि टेलीप्रॉम्प्टर है. ये असल में डिस्प्ले स्क्रीन है. किसी भी देश के राष्ट्रपति उपराष्ट्रपति प्रधानमंत्री या न्यूज एंकर तक… सभी लोग अक्सर कैमरे पर धाराप्रवाह बोलने के लिए बगल में लगे इसी डिस्प्ले स्क्रीन की मदद लेते हैं. इस डिस्प्ले स्क्रीन पर भाषणों का कंटेंट या फिर न्यूज कंटेंट बड़े बड़े अक्षरों में लिखा जाता है, जिसे आराम से पढ़ा जा सकता है. ट्रंप भी अपनी रैलियों में धाराप्रवाह बोलने के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं.
सवाल है क्या डोनाल्ड ट्रम्प को पहले से अंदाजा था कि गोली चलेगी. इसीलिए उन्होंने टेलीप्रॉम्प्टर के इस्तेमाल से दूरी बनाई. नेताओं को जनता की सहानुभूति लेकर चुनाव में वोट हासिल करने की कला खूब आती है और ट्रंप फायरिंग केस में तो बुलेटप्रूफ इत्तेफाक का कनेक्शन एक भविष्यवाणी से भी जुड़ रहा है. ट्रंप पर ये भविष्यवाणी हमले से ठीक 4 महीने पहले की गई थी.

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