क्या ट्रेन के चक्के पंचर होते हैं? कैसे ठीक की जाती है पहियों की गड़बड़ी
ट्रेन के चक्के पंचर नहीं होते, क्योंकि ट्रेन के पहिए आम वाहनों के टायरों की तरह रबर के नहीं होते. ट्रेन के पहिए स्टील के बने होते हैं और इन्हें बहुत ही मजबूती और हाई क्वालिटी वाले मटेरियल से बनाया जाता है ताकि वो रेल की पटरियों पर भारी वजन और तेज गति को सह सकें. वहीं अगर रेलगाड़ी या मालगाड़ी के पहियों में खराबी आ जाए तो इसमें आम कारों. ट्रकों की तरह जैक लगाना मुमकिन नहीं है. बल्कि इसके लिए अलग तरीका अपनाया जाता है.
ट्रेन के पहियों में रबर के टायर नहीं होते, इसलिए उनमें पंचर नहीं होते हैं. लेकिन पहियों में समय के साथ घिसाव, फ्लैट स्पॉट्स, दरारें और दूसरी गड़बड़ियां हो सकती हैं जिन्हें प्रोफाइलिंग, चेकिंग और रिपेयरिंग की मदद से ठीक किया जाता है. इन्हें ठीक करने के लिए ट्रेन के डब्बों को ऐसी जगह पर खड़ा किया जाता है, जहां पर बड़ी कैविटी होती है. यहां पर ट्रेन की व्हील असेम्बली को नीचे उतारकर डब्बे से अलग कर दिया जाता है. फिर पहियों को रिपेयरिंग के लिए भेजकर व्हील असेम्बली को रिप्लेस कर दिया जाता है.
कितने तरीकों से आ सकती है ट्रेन के पहियों में गड़बड़ी
ट्रेन के पहियों में कुछ समस्याएं हो सकती हैं, जिन्हें ठीक करना जरूरी होता है. यहां ट्रेन के पहियों में हो सकने वाली गड़बड़ियों और उनके समाधान के बारे में जानकारी दी गई है.
ट्रेन के पहियों में फ्लैट स्पॉट्स
जब ट्रेन के पहियों में ब्रेक लगाते समय घिसाव होता है, तो पहियों के कुछ हिस्से पर सपाट धब्बे बन सकते हैं. इसे फ्लैट स्पॉट्स कहा जाता है. फ्लैट स्पॉट्स को ठीक करने के लिए पहियों को फिर से प्रोफाइलिंग के लिए भेजा जाता है. इस प्रक्रिया में पहियों को एक खास मशीन में डालकर उसकी सतह को दोबारा गोल किया जाता है ताकि वे फिर से सही तरीके से चल सकें.
वियर एंड टियर की दिक्कत
ट्रेन के पहियों पर समय के साथ घिसाव हो सकता है, खासकर अगर ट्रेन लगातार भारी भार ले जा रही हो या तेज गति से चल रही हो. ऐसे में पहियों का निरीक्षण और रेगुलर मेंटेनेंस बहुत जरूरी है. अगर पहियों पर अधिक घिसाव हो गया है, तो उन्हें बदल दिया जाता है या फिर से प्रोफाइल किया जाता है.
पहियों में क्रैक्स की समस्या
ज्यादा प्रेशर या पुराने होने के कारण ट्रेन के पहियों में दरारें (क्रैक्स) आ सकती हैं, जो पहियों की बनावट को कमजोर बना सकती हैं. अगर पहियों में दरारें आ जाती हैं, तो इन्हें तुरंत बदलना जरूरी होता है. दरारों वाले पहियों का इस्तेमाल करना खतरनाक हो सकता है और ये एक्सीडेंट की वजह बन सकता है.
आउट ऑफ राउंडनेस की गड़बड़ी
अगर रेलगाड़ी/ मालगाड़ी के पहिए अपनी सही गोलाई खो देते हैं, तो इससे ट्रेन की यात्रा में असमानता आ सकती है और ये पैसेंजर्स के लिए असुविधाजनक हो सकता है. इस स्थिति में भी पहियों को प्रोफाइल किया जाता है ताकि उनकी गोलाई सही की जा सके.
शॉक एब्जॉर्बर और सस्पेंशन सिस्टम
पहियों के साथ शॉक एब्जॉर्बर और सस्पेंशन सिस्टम भी जुड़े होते हैं जो झटकों को रोकते हैं और ट्रेन की स्थिरता बनाए रखते हैं. शॉक एब्जॉर्बर और सस्पेंशन सिस्टम की रेगुलर चेकिंग और मेंटेनेंस जरूरी है. अगर इनमें कोई गड़बड़ी होती है, तो उन्हें ठीक या बदल दिया जाता है.
ट्रैक्शन मोटर और ब्रेक सिस्टम
ट्रैक्शन मोटर ट्रेन के पहियों को घुमाने के लिए बिजली या डीजल से मिली एनर्जी का इस्तेमाल करता है. अगर इसमें गड़बड़ी होती है, तो पहिए सही तरीके से नहीं घूमेंगे. इसके अलावा ट्रेन के ब्रेक सिस्टम का पहियों पर बड़ा असर पड़ता है. ब्रेक सिस्टम की खराबी से पहियों पर अधिक दबाव पड़ सकता है और घिसाव बढ़ सकता है. इन दोनों सिस्टम्स का रेगुलर चेक और मेंटेनेंस जरूरी है. ऐसी किसी भी गड़बड़ी की स्थिति में तुरंत रिपेयरिंग की जाती है.