क्या भारत-चीन के रिश्तों पर जमी बर्फ पिघल रही है? मिल रहे संकेत

भारत और चीन के बीच हाल ही में LAC पर गतिरोध को हल करने के लिए 31वीं बॉर्डर अफेयर्स मीटिंग हुई. इसके बाद भारत-चीन संबंधों में सुधार की उम्मीद जताई जा रही है. दोनों देश द्विपक्षीय संबंधों को सुधारने के लिए सहयोग और मिलकर काम करने में रुचि दिखा रहे हैं.
विदेश मंत्रालय के अनुसार दोनों देशों के बीच LAC की स्थिति को लेकर स्पष्ट, रचनात्मक और दूरदर्शी वार्ता हुई. भारत और चीन जल्द समाधान के लिए राजनयिक और सैन्य चैनलों के माध्यम से बातचीत को बढ़ाने पर सहमत हुए. दोनों देशों के बीच संबंधों में सुधार का एक और उदाहरण चीनी निवेश और चीनी टेक्नीशियन्स के लिए वीजा नियमों पर भारत के बदलते विचार भी हैं.
चीनी निवेश पर भारत की नरमी
आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार, भारत की चीन विरोधी नीति से हमारे मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है. इसके अलावा चीन भी अच्छी तरह समझता है कि भारत उसके लिए एक बहुत बड़ा बाजार है. भारत के चीन से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश बंद करने के बाद, दोनों ही देशों को मुश्किलों का सामना करना पड़ा है.
आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट में कहा गया है कि मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर को बढ़ावा देने और भारत को ग्लोबल सप्लाई चेन में जोड़ने के लिए यह ज़रूरी है कि भारत आयात के ज़रिए या चीनी निवेश के माध्यम से खुद को चीन की सप्लाई चेन से जोड़े.
उद्योग जगत के बड़े खिलाड़ियों ने 2020 के गलवान संघर्ष के बाद प्रतिबंधों के कारण जरूरी उपकरण और चीनी टैलेंट लाने में असमर्थता को लेकर भी चिंता जताई है. इससे हाई-टेक परियोजनाओं में बाधा आती है. रिपोर्ट्स में कहा गया है कि PLI योजना के तहत कंपनियों में काम करने वाले चीनी टेक्नीशियंस के लिए वीज़ा नियमों में पहले ही ढील दी जा चुकी है. नॉन-PLI कंपनियों में भी चीनी श्रमिकों के लिए जल्द ही हालात सुधरने की संभावना है.
PM मोदी और जिनपिंग की होगी मुलाकात!
लोकसभा चुनावों से पहले, पीएम मोदी ने चीन के साथ चर्चा करने की इच्छा जताई थी. माना जा रहा है कि अक्टूबर में रूस में होने वाले ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की बातचीत हो सकती है. इस बातचीत का लक्ष्य द्विपक्षीय मुद्दों को सुलझाने के प्रयासों पर ज़ोर देना है.
इससे पहले इसी साल मई में जू फेइहोंग ने भारत में चीन के राजदूत के रूप में पदभार संभाला था. इससे पहले 18 महीने तक भारत में चीन के राजदूत का पद खाली था. इसे भारत को लेकर चीन की ओर से सकारात्मक संकेत माना जा गया है.
खालिस्तानी एक्टिविस्ट का प्रत्यर्पण महत्वपूर्ण
चीन ने हाल ही में खालिस्तानी एक्टिविस्ट रमनजीत सिंह को हांगकांग से प्रत्यर्पित किया था. रमनजीत 2016 के नाभा जेलब्रेक का मास्टरमाइंड था. रमनजीत ने पंजाब की हाई सिक्योरिटी जेल से खालिस्तान लिबरेशन फोर्स के दो आतंकवादियों सहित 6 अपराधियों को भागने में मदद की थी. 7 साल बाद हांगकांग के अधिकारियों और भारत सरकार के बीच सहयोग से उसकी गिरफ्तारी संभव हो सकी. खास बात यह है कि इससे पहले भी हांगकांग की ओर से एक आरोपी को भारत को प्रत्यर्पित किया था.
इन तमाम घटनाओं और तथ्यों से कयास लगाए जा रहे हैं कि भारत और चीन के रिश्तों में जमी बर्फ शायद पिघलने वाली है. एशिया के दो बड़े दिग्गज आपसी तनाव को कम कर आगे बढ़ने और मिलकर काम करने में रुचि दिखा रहे हैं. इससे भारत और चीन दोनों ही देशों को फायदा होगा.

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