क्या मुस्लिम विरोधी हैं इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी, क्यों लगते हैं इस्लामोफोबिक होने के आरोप?

अक्टूबर 2022 में हुए इटली के प्रधानमंत्री चुनाव में जॉर्जिया मेलोनी की पार्टी ‘ब्रदर्स ऑफ इटली’ के सत्ता में आने के बाद अमेरिकी लेखक एलेन गैबॉन ने कहा था, “मेलोनी की जीत वैश्विक स्तर पर मजबूत होते मुस्लिम विरोधी गठबंधन का संकेत है.”
मेलोनी प्रधानमंत्री पद संभालने के बाद से ही कई बार आलोचनात्मक बयानों के कारण सुर्खियों में रही हैं. मेलोनी की जीत के बाद उठाए गए उनके कदमों ने कई यूरोपीय उदारवादी पार्टियों को भी चिंतित किया है.
मेलोनी कई विषयों पर काफी आक्रामक रुख अपनाती हैं. माइग्रेंट्स की बात हो या बॉर्डर की, एलजीबीटी समुदाय से लेकर इस्लामिक चरमपंथ पर वो सख्ती से पेश आने की वकालत करती हैं.
दक्षिणपंथी पार्टी ‘ब्रदर्स ऑफ इटली’ की सह संस्थापक मेलोनी ने अपनी सहयोगी पार्टी ‘द लीग’ के साथ LGBTQ (lesbian, gay, bisexual, transgender, and questioning) विरोधी नीतियों को आगे बढ़ाने का काम किया है. इसके अलावा यूरोप में कथित तौर पर इस्लाम को लेकर चलाई जा रहीं कांस्पीरेसी थ्योरियों का भी उन्होंने समर्थन किया है. उनके ऊपर कई बार इस्लामोफोबिक होने के आरोप भी चुके हैं. चुनाव जीतने से पहले ही वो अपने बयानों में इस्लामिक वायलेंस के नाम पर काफी आक्रामक रुख अपनाती रही हैं.
क्यों कहा जाता है इस्लामोफोबिक?
मेलोनी के प्रधानमंत्री बनने के बाद दिसंबर 2022 में उनका एक पुराना वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें वे कहती हुई दिख रही हैं कि ‘इस्लाम की इटली में कोई जगह नहीं है’. इसके अलावा उन्होंने वीडियो में ये भी कहते हुए सुना गया था कि इटली में चलने वाले इस्लामिक इंस्टीट्यूशन्स को पैसा सऊदी अरब से आता है. ये कहा जाता है कि मेलोनी ने सत्ता संभालते ही अपनी इस्लाम विरोधियों नीतियों को देश के ऊपर थोपना शुरू किया था. उन्होंने इटली में नई मस्जिदें बनाने और गैराज-बेसमेंट को नमाज के लिए इस्तेमाल पर रोक लगाई. मेलोनी सरकार ने 13 धर्मों को देश में मान्यता दी, जिसमें हिंदू और यहूदी धर्म भी शामिल है, लेकिन इस्लाम को इससे दूर रखा गया.
मेलोनी यूरोप में इमिग्रेशन पर रोक लगाने की भी मांग करती आई हैं. हाल ही में यूरोपिय संघ के चुनाव में उनकी पार्टी की विचारधारा की पार्टियों ने बढ़त हासिल की है. उदारवादी संगठनों और पार्टियों को डर है कि आने वाले दिनों में पूरे यूरोप के देशों की नीतियों में ‘जेनोफोबिक’ नेचर (बाहरी लोगों से नफरत) देखने को मिल सकता है.
इस्लामोफोबिया के खिलाफ हो रहे प्रदर्शन
हालांकि मेलोनी को अपनी इन नीतियों पर इटली की ग्रीन्स, लिबरल (एक्शन), अल्पसंख्यकों का प्रतिनिधित्व करने वाली पार्टियां और कई संगठनों के विरोध का सामना करना पड़ा है. उनका दावा है कि सरकार के नए कानून मुसलमानों की धार्मिक आजादी को छीन रहे हैं.
इटली में मुसलमानों की क्या स्थिति?
इटली में मुसलमानों की कुल आबादी करीब 27 लाख है, जोकि देश की कुल जनसंख्या का करीब 5 फीसदी है. इटली के मुसलमान मुख्य रूप से गरीब मजदूर और अप्रवासी हैं. पैसे की कमी इटली की मस्जिदों में भी दिखाई देती है, यहां की मस्जिदें सुंदर और बड़ी नहीं है और ज्यादातर गैराज और कारखानों में स्थित हैं.
दुनिया में बढ़ता इस्लामोफोबिया
हाल ही के कुछ सालों में दुनियाभर में दक्षिणपंथी आंदोलनों को एकसाथ आते हुए देखा गया है. दक्षिणपंथी गुट एक-दूसरे की मदद कर रहे हैं और एक-दूसरे से प्रेरणा लेते नजर आ रहे हैं. दक्षिणपंथी पार्टियां अब सीमा पार भी अपनी जैसी विचारधारा वाली पार्टियों से संबंध और राजनीतिक गठबंधन बना रही हैं. हाल ही में हुए यूरोपिय संघ चुनावों के परिणाम इस बात का सटीक उदाहरण है. 2020 में मेलोनी को यूरोपीय कंजर्वेटिव और रिफॉर्मिस्ट्स की अध्यक्ष चुना गया था. ये एक ऐसा गठबंधन जो 40 से ज्यादा दक्षिणपंथी पार्टियों को एक साथ लाता है.

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *