क्या राजनयिकों के सामान की जांच होती है? गोल्ड स्मगलिंग के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा

यूएई के वाणिज्य दूतावास की पूर्व कर्मचारी स्वप्ना सुरेश को एनआईए ने साल 2020 में हिरासत में लिया था. उनके साथ ही संदीप नायर को भी पकड़ा था. एनआईए ने स्वप्ना को तिरुवनंतपुरम में पकड़ा था. जबकि संदीप को बेंगलुरु से हिरासत में लिया था. इन्हें गोल्ड स्मगलिंग के मामले में पकड़ा गया था. सुप्रीम कोर्ट में केस को केरल से कर्नाटक ट्रांसफर करने की याचिका दायर की गई है. इस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा है, क्या राजनयिकों के बैगेज की भारत में स्कैनिंग की जा सकती है. या उन्हें तलाशी से छूट मिली हुई है.
जस्टिस ऋषिकेश रॉय और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल(एएसजी) एसवी राजू से पूछा है कि क्या राजनयिकों के बैगेज की भारत में स्कैनिंग की जा सकती है. इसका जवाब देने के लिए उनकी ओर से समय मांगा गया है.
क्या ऐसा किया जा सकता है?
पीठ ने मामले की सुनवाई 3 सप्ताह बाद होगी. मंगलवार को सुनवाई करते हुए कोर्ट ने एएसजी से कहा कि अहम बात ये है कि क्या भारत सरकार राजनयिकों के सामानों को स्कैन कर सकती है? क्या ऐसा किया जा सकता है? क्या इससे उन्हें छूट मिली है? साथ ही कोर्ट ने इसकी पूरी प्रक्रिया पूछी है.
आरोपियों और अधिकारियों के बीच सांठगांठ
कोर्ट के इन सवालों पर एएसजी ने कहा है कि वह इस मामले में निर्देश मांगेंगे. इसके बाद कोर्ट को जवाब देंगे. उन्होंने कहा कि प्रथमदृष्टया अगर किसी अपराध के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है तो ऐसा हो सकता है. सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि मामले में राज्य में निष्पक्ष जांच और सुनवाई संभव नहीं है. ईडी ने अपनी याचिका में कहा है कि आरोपियों और केरल सरकार के अधिकारियों के बीच सांठगांठ है.

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