क्या विदेशों में भारतीय असभ्य समझे जाते हैं!

दो साल पहले टोरंटो से वासागा बीच जाते समय हमें गंतव्य तक पहुंचने के पूर्व बैरी कस्बे में हमारे मोबाइल पर थंडर स्ट्रॉम (भयानक आंधी-तूफान) की सूचना आ गई. हम फौरन एक ऑन रूट रेस्तरां में रुक गए. एक घंटे के भयानक आंधी-तूफान के बाद जब यह स्ट्रॉम शांत हो गया तब हम आगे बढ़े. वासागा बीच टोरंटो के पास का अकेला बालू वाला समुद्र तट (सैंडी बीच) है. यह तट जॉर्जियाई खाड़ी के दक्षिणी छोर पर है. टोरंटो से इसकी दूरी लगभग 150 किमी है. जब हम वहां पहुंचे तब शाम ढल आई थी और बूंदा-बांदी के कारण गाड़ी से नीचे उतरना मुश्किल था. अभी पिछले दिनों जुलाई में इसी बीच पर फैली गंदगी को लेकर कनाडा में खूब हंगामा मचा. सोशल मीडिया पर परस्पर कटाक्ष हुए. अंत में भारतीयों को असभ्य बताने वाली मेघा ने X से अपनी पोस्ट हटा ली.
कनाडा में मूल निवासी कौन!
कनाडा की मेघा ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म X पर भारत के लोगों को गंदा बताया था. उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा था, ‘मेरे माता-पिता और पूरा परिवार कनाडा में रहने वाले भारतीय प्रवासियों से नफरत करते हैं. शायद दूसरे प्रवासियों से भी ज्यादा भारतीयों को हम नापसंद करते हैं क्योंकि उन्होंने हमारी प्रतिष्ठा को भारी नुकसान पहुंचाया है. हालांकि शिक्षित भारतीय प्रवासी शिष्टाचार, अंग्रेजी कौशल और सभ्यता के साथ पेश आते हैं. लेकिन इनका एक बड़ा वर्ग ऐसा है, जो महिलाओं के साथ बदसलूकी करता है. एक अच्छे शहरी की तरह यह लोग रहना भी नहीं जानते हैं इस पोस्ट के आते ही भारतीयों के बीच तीखी प्रतिक्रिया हुई. भारतीयों ने भी इस पोस्ट के जवाब में खूब तीखा हमला किया. उन्होंने सवाल उठा दिया कि मूल निवासी तो तुम लोग भी नहीं हो.
कौन समुदाय पराया
अमेरिका (USA) के प्रवासियों के बारे में वहां के भारत वंशी एक चुटकुला सुनाते हैं. भारतीय मूल के किसी अमेरिकी नागरिक से एक गोरे ने पूछा न्यूयार्क में कहां से आए हो. उसने अमेरिका के किसी प्रांत का नाम बताया. वहां पर कहां से? उसने अगला सवाल किया. भारतीय ने अफ़्रीका का नाम बता दिया. पर वह गोरा अमेरिकन उसका मूल जानने को आतुर था. पूछा, अफ़्रीका में कहां से पहुंचे थे. अंत में उसने भारत और भारत में गुजरात का नाम खोल दिया. अब उस भारतीय ने उस गोरे से भी यही सवाल पूछना शुरू किया. थोड़ी देर बाद ही गोरा अमेरिकन कई महाद्वीपों तक पहुंच कर बोला, हम असली अमेरिकन हैं. भारतीय ने पूछा तो क्या इंडियन हो? तब वह शर्मा कर बोला, नहीं हमारे पुरखे ब्रिटिश थे. कहने का आशय यह कि आज यह बताना बहुत मुश्किल है कि जिस देश को वह अपना बताता है औरों को पराया, वह खुद भी बाहरी है.
कनाडा में लोग क्यों बसते हैं?
नॉर्थ अमेरिका में कनाडा में आबादी भले कम हो लेकिन लोकतंत्र का वैविध्य वहां मौजूद है. वहां किसी से भी किसी का मूल देश, उसका धर्म, जाति, समुदाय पूछना गलत समझा जाता है. पैसे के आधार पर किसी ऊंचा-नीचा समझना या हेय दृष्टि से देखना असभ्यता है और किसी ने भी सार्वजनिक तौर पर ऐसी टिप्पणी कर दी तो उसके विरुद्ध कार्रवाई होती है. इसलिए जब लोगों में गुस्सा भड़का तब मेघा ने वह टिप्पणी वापस ले ली. कनाडा क्षेत्रफल के हिसाब से दुनिया में रूस के बाद दूसरा सबसे बड़ा देश है. लगभग एक करोड़ वर्ग किमी में फैला देश. किंतु उसकी आबादी दिल्ली-एनसीआर से भी कम है. 3.89 करोड़ की आबादी वाले इस मुल्क में कामगार नहीं मिलते. कुशल टेक्नीशियन नहीं हैं. चिकित्सकों और प्रोफेशनल्स का घोर अभाव है. इसलिए कनाडा सरकार हर देश से प्रवासियों को अपने देश में आने को न्योता देती है.
कुलीनता की कुंठा
विश्व में भारतीय और चीनी लोगों को हर क्षेत्र में अव्वल माना जाता है. वह चाहे मजदूर हों या स्किल टेक्नीशियन, प्रोफेशनल्स. इस वजह इन दोनों मुल्कों के लोग यहां भरे पड़े हैं. भारतीयों की परिभाषा में सभी साउथ एशियाई देशों के लोग आते हैं. उत्तर भारतीय, पाकिस्तानी और बांग्लादेशी लोगों के आचार-व्यवहार और लोकाचार में काफी समानता है. इनकी एथिनिक पहचान भी समान है. इसी तरह साउथ इंडिया और श्रीलंकन में भी. लेबर फ़ोर्स से लेकर आईटी के क्षेत्र में साउथ एशिया के लोग खूब हैं. लेकिन भारतीयों में कुछ सिख और पंजाबी परिवार यहां सौ साल से रह रहे हैं. इसलिए कनाडा में जमीन-जायदाद और संपत्ति में वह बहुत ऊपर हैं. कनाडा में एक सदी से बसे ये कुलीन भारतीय अपने को 1990 के बाद जाने वाले भारतीयों को तुच्छ समझते हैं. उनको लगता है, यह गरीब लोग यहां का माहौल बिगाड़ रहे हैं.

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