क्या हैं गाड़ी पर लाल-नीली बत्ती लगाने के नियम? कौन लगा सकता है कौन नहीं जानें यहां

भारत में गाड़ी पर लाल-नीली बत्ती लगाने का चलन काफी पुराना है. इसके जरिए बहुत से लोग अपना भौकाल टाइट करने की कोशिश करते हैं, लेकिन जब ये पुलिस के हत्थे चढ़ते हैं तो कोई सिफारिश काम नहीं आती. इसके बाद पुलिस मोटा चालान काटती है या फिर वाहन को सीज कर देती है.
वैसे कुछ सालों पहले केंद्र सरकार ने VIP कल्चर को हटाने के लिए मंत्री और कैबिनेट मंत्री की गाड़ी पर लगने वाली नीली बत्ती को हटाने का आदेश दिया था. जिसके बाद सरकार या विपक्ष का कोई भी माननीय अपनी गाड़ी पर बत्ती का यूज नहीं करता है. लेकिन इसके बावजूद रोड पर आपको कई गाड़ी में लाल और नीली बत्ती लगी हुई दिखाई दे जाती है. जिसको लगाने के नियम के बारे में हम आपको विस्तार से बता रहे हैं.
लाल बत्ती का यूज कौन कर सकता है? (बीकन लाइट)
लाल बत्ती का उपयोग अब केवल उच्च सरकारी पदों पर बैठे अधिकारियों की गाड़ियों पर ही किया जा सकता है. जिसमें मुख्य तौर पर राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और लोकसभा अध्यक्ष जैसे अधिकारियों की गाड़ियों पर लाल बत्ती लग सकती है.
लाल बत्ती (लाल फ्लैशर)
इस प्रकार की बत्ती का उपयोग केवल आपातकालीन सेवाओं जैसे एम्बुलेंस, फायर ब्रिगेड, और पुलिस वाहनों द्वारा किया जा सकता है. इसके साथ ही कलेक्टर और आर्मी के अफसर कर सकते हैं.
नीली बत्ती का यूज कौन कर सकता है?
नीली बत्ती का उपयोग उन वाहनों पर किया जा सकता है जो पुलिस, आपातकालीन सेवाओं या अन्य सरकारी कार्यों से संबंधित होते हैं. यह विशेष रूप से पुलिस अधिकारियों, आपातकालीन सेवाओं, और सरकारी एजेंसियों के लिए आरक्षित है.
इन नियमों का मुख्य उद्देश्य ट्रैफिक को नियमित करना और आपातकालीन सेवाओं को बिना बाधा के काम करने देना है. इन बत्तियों का दुरुपयोग रोकने के लिए सरकार ने यह कदम उठाए हैं. यह नियम पूरे भारत में लागू हैं और सभी नागरिकों और अधिकारियों को इनका पालन करना अनिवार्य है.

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