क्या है एक्टोपिक प्रेगनेंसी, क्यों इसमें रहता है मिसकैरेज का खतरा, एक्सपर्ट से जानें

प्रेगनेंसी के कुल मामलों में से 5 से 10 प्रतिशत एक्टोपिक प्रेगनेंसी के होते हैं. सामान्य प्रेगनेंसी में गर्भाशय में भ्रूण पलता है, लेकिन एक्टोपिक प्रेगनेंसी में यह फैलोपियन ट्यूब्स या फिर अंडाशय के अंदर ही विकसित होने लगता है. इस तरह की प्रेगनेंसी में मिसकैरेज का खतरा होता है. आमतौर पर ये प्रेगनेंसी 11 से 12 सप्ताह तक चलती है और इसके बाद भ्रूण खत्म हो जाता है. एक्टोपिक प्रेगनेंसी क्यों होती है और इसमें मिसकैरेज का रिस्क कैसे होता है. इस बारे में एक्सपर्ट से जानते हैं.
स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ चंचल शर्मा बताती हैं कि पोषक तत्वों के अभाव और भ्रूण के विकसित होने के लिए जगह न मिलने के कारण भ्रूण नष्ट हो जाता है और इससे मिसकैरेज हो जाती है. इस दौरान महिला को काफी ब्लीडिंग होती है. डॉ चंचल बताती हैं कि एक्टोपिक प्रेगनेंसी का कोई स्पष्ट कारण नहीं है, लेकिन इसके कुछ रिस्क फैक्टर हैं. जैसे कि अगर फैलोपियन ट्यूब में किसी प्रकार का संक्रमण हुआ हो या फिर
एंडोमेट्रिओसिस की बीमारी हुई है तो इस तरह की प्रेगनेंसी हो सकती है.
एक्टोपिक प्रेगनेंसी हेल्थ को कैसे पहुंचाती है नुकसान
डॉ चंचल शर्मा कहती हैं कि अगर एक्टोपिक प्रेगनेंसी हुई है तो भविष्य में मां बनने की संभावना कम हो सकती है.अगर एक्टोपिक प्रेगनेंसी के दौरान ट्यूब रप्चर कर जाती है तो ब्लड दूसरी ट्यूब में जमा हो सकता है. ऐसी स्थिति में डॉक्टर एक ट्यूब को हटा देते हैं. ऐसे में कन्सीव करना मुश्किल हो सकता है, हालांकि कुछ तरीके हैं जिससे बच्चा कंसीव हो सकता है. आयुर्वेदा में हज़ारों वर्ष पूर्व की पद्धति का इस्तेमाल करते हुए इस समस्या का इलाज किया जा सकता है. ट
क्या एक्टोपिक प्रेगनेंसी से बचा जा सकता है?
डॉ, चंचल कहती हैं कि एक्टोपिक प्रेगनेंसी से बचाव का कोई खास तरीका नहीं है. अगर एक बार इस तरह की प्रेगनेंसी हो जाती है तो भ्रूण को नष्ट करना ही पड़ता है नहीं तो गर्भवती महिला और बच्चे दोनों को ही खतरा हो सकता है. हालांकि कुछ रिस्क फैक्टर है जिनको कंट्रोल कर सकते हैं. जैसे अगर प्रेगनेंट होना चाहती हैं तो शराब का सेवन और धूम्रपान न करें. अगर महिला को पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज है तो इसका इलाज कराएं.

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